Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 62: Line 62:  
=== वार्षिक गति तथा ऋतु॥ Rotation of the earth ===
 
=== वार्षिक गति तथा ऋतु॥ Rotation of the earth ===
   −
=== परिक्रमण गति (Revolution) ===
+
=== परिक्रमण / परिभ्रमण गति (Revolution) ===
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ एक अण्डाकार मार्ग पर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा भी करती है। पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा ३६५/ १\४ दिन अर्थात् एक वर्ष में पूरी करती है। इसलिये पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति भी कहते हैं।  
+
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ एक अण्डाकार मार्ग पर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा भी करती है। पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा ३६५/ १\४ दिन अर्थात् एक वर्ष में पूरी करती है। हम लोग एक वर्ष ३६५ दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिये ६ घण्टे को इसमें नहीं जोडते हैं। चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए ६ घण्टे मिलकर एक दिन यानी २४ घण्टे के बराबर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोडा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह २८/२९ दिन का होता है। ऐसा वर्ष जिसमें ३६६ दिन होते हैं उसे लीप वर्ष कहा जाता है। इसलिये पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति भी कहते हैं।  
    
सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी जिस पथ पर करती है, वह उसकी कक्षा है। इस कक्षा के तल पर पृथ्वी का घूमने का अक्ष प्रायः २३.५ अंश झुका हुआ है। जब पृथ्वी का उत्तरी भाग सूर्य की तरफ झुका रहेगा तो पृथ्वी के उत्तर भाग में गर्मी होगी क्योंकि वहां सूर्य किरण सीधी पड़ती है। प्रायः २३ जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ सबसे अधिक झुका रहता है। उस समय दक्षिण भाग में ठण्डा होगा। इसके विपरीत ६ मास बाद २३ दिसम्बर को कक्षा के उलटे भाग में सूर्य की तरफ दक्षिणी ध्रुव होगा जब दक्षिण भाग या गोल में गर्मी तथा उत्तर गोल में ठण्डा होगा। इसके बाद सूर्य किरण क्रमशः उत्तर की तरफ लम्ब होने लगेगी तथा २३ मार्च को विषुव रेखा पर लम्ब होगी। उस समय दिन रात बराबर होते हैं अतः इसे अंग्रेजी (ग्रीक) में इक्विनौक्स (Equinox, इक्वि = बराबर, नौक्स = रात) कहते हैं। इस रेखा को इकुएटर (Equator, बराबर करने वाला) कहते हैं। यह सूर्य किरण का क्रमशः उत्तर भाग में लम्ब होना है, अतः २३ दिसम्बर से २३ जून तक उत्तरायण या उत्तर गति कहते हैं। उसके बाद ६ मास तक दक्षिण गति होती है। उसमें भी सूर्य किरण एक बार विषुव रेखा पर लम्ब होगी। विषुव का अर्थ भी यही है कि दिन-रात का अन्तर शून्य है। उत्तरायण में जब सूर्य विषुव को पार करता है तो उस समय उत्तर भाग में वसन्त होता है अतः इसे वसन्त सम्पात (Spring equinox) तथा इसके ६ मास बाद २३ सितम्बर को शिशिर सम्पात (Autumnal equinox) होगा।
 
सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी जिस पथ पर करती है, वह उसकी कक्षा है। इस कक्षा के तल पर पृथ्वी का घूमने का अक्ष प्रायः २३.५ अंश झुका हुआ है। जब पृथ्वी का उत्तरी भाग सूर्य की तरफ झुका रहेगा तो पृथ्वी के उत्तर भाग में गर्मी होगी क्योंकि वहां सूर्य किरण सीधी पड़ती है। प्रायः २३ जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ सबसे अधिक झुका रहता है। उस समय दक्षिण भाग में ठण्डा होगा। इसके विपरीत ६ मास बाद २३ दिसम्बर को कक्षा के उलटे भाग में सूर्य की तरफ दक्षिणी ध्रुव होगा जब दक्षिण भाग या गोल में गर्मी तथा उत्तर गोल में ठण्डा होगा। इसके बाद सूर्य किरण क्रमशः उत्तर की तरफ लम्ब होने लगेगी तथा २३ मार्च को विषुव रेखा पर लम्ब होगी। उस समय दिन रात बराबर होते हैं अतः इसे अंग्रेजी (ग्रीक) में इक्विनौक्स (Equinox, इक्वि = बराबर, नौक्स = रात) कहते हैं। इस रेखा को इकुएटर (Equator, बराबर करने वाला) कहते हैं। यह सूर्य किरण का क्रमशः उत्तर भाग में लम्ब होना है, अतः २३ दिसम्बर से २३ जून तक उत्तरायण या उत्तर गति कहते हैं। उसके बाद ६ मास तक दक्षिण गति होती है। उसमें भी सूर्य किरण एक बार विषुव रेखा पर लम्ब होगी। विषुव का अर्थ भी यही है कि दिन-रात का अन्तर शून्य है। उत्तरायण में जब सूर्य विषुव को पार करता है तो उस समय उत्तर भाग में वसन्त होता है अतः इसे वसन्त सम्पात (Spring equinox) तथा इसके ६ मास बाद २३ सितम्बर को शिशिर सम्पात (Autumnal equinox) होगा।
Line 77: Line 77:     
वेद का सिद्धान्त है कि सूर्य बृहती छन्द के बीच में(विषुवत् के बीच में) स्थिर रूप से प्रतिष्ठित रहता है अत एव सूर्यो बृहतीमध्यूढस्तपति कहा जाता है। बृहद्धतस्थौ भुवनेष्वन्तः इत्यादि मन्त्र सूर्य के स्थिरत्व का प्रतिपादन करते हैं। इस सूर्य के चारों ओर चन्द्रमा को साथ लिये हुये पृथ्वी घूमती है, परन्तु पृथ्वी अपने अक्ष पर भी २४ घण्टों में घूम जाती है इसी को स्वाक्षपरिभ्रमण कहते हैं। जैसे गाडी का पहिया अपने स्थान पर घूमता हुआ आगे चलता है उसी प्रकार पृथ्वी अपने स्थान पर घूमती हुई क्रान्ति वृत्त के चारों ओर परिक्रमाअ लगाती है। इसी परिभ्रमण से दिन-रात होते हैं। इस स्वाक्षपरिभ्रमण का नाम दैनन्दिन गति है। कुम्भकार के चाक पर दृष्टि डालिये। उस चाक का बिन्दु-बिन्दु चल रहा है, परन्तु जिसके चारों ओर चाक घूम रहा है, वह कील बिल्कुल स्थिर है। इसी प्रकार पृथ्वी का भी प्रत्येक बिन्दु गतिमान है। पृथ्वी अपनी धुरी पर तो घूमती ही है साथ ही सूर्य के चारों ओर भी परिक्रमा लगाती है, यह परिक्रमा ३६५ दिन में समाप्त होती है।
 
वेद का सिद्धान्त है कि सूर्य बृहती छन्द के बीच में(विषुवत् के बीच में) स्थिर रूप से प्रतिष्ठित रहता है अत एव सूर्यो बृहतीमध्यूढस्तपति कहा जाता है। बृहद्धतस्थौ भुवनेष्वन्तः इत्यादि मन्त्र सूर्य के स्थिरत्व का प्रतिपादन करते हैं। इस सूर्य के चारों ओर चन्द्रमा को साथ लिये हुये पृथ्वी घूमती है, परन्तु पृथ्वी अपने अक्ष पर भी २४ घण्टों में घूम जाती है इसी को स्वाक्षपरिभ्रमण कहते हैं। जैसे गाडी का पहिया अपने स्थान पर घूमता हुआ आगे चलता है उसी प्रकार पृथ्वी अपने स्थान पर घूमती हुई क्रान्ति वृत्त के चारों ओर परिक्रमाअ लगाती है। इसी परिभ्रमण से दिन-रात होते हैं। इस स्वाक्षपरिभ्रमण का नाम दैनन्दिन गति है। कुम्भकार के चाक पर दृष्टि डालिये। उस चाक का बिन्दु-बिन्दु चल रहा है, परन्तु जिसके चारों ओर चाक घूम रहा है, वह कील बिल्कुल स्थिर है। इसी प्रकार पृथ्वी का भी प्रत्येक बिन्दु गतिमान है। पृथ्वी अपनी धुरी पर तो घूमती ही है साथ ही सूर्य के चारों ओर भी परिक्रमा लगाती है, यह परिक्रमा ३६५ दिन में समाप्त होती है।
 +
 +
== दीर्घवृत्ताकार पथ पर गति ==
 +
पृथ्वी के कक्ष का आकार दीर्घवृत्ताकार होता है। कक्ष के इस आकार के कारण पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी पूरे साल में बदलती रहती है। कभी पृथ्वी सूर्य के बहुत नजदीक होती है तो कभी बहुत दूर हो जाती है।
 +
 +
=== उपसौर(Perihelion) पेरीहेलियन ===
 +
परिक्रमा करती हुई पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक नजदीक होती हैं तब इस स्थिति को '''उपसौर (Perihelion)''' कहते हैं। यह स्थिति सामान्यतया ३ जनवरी को होती है।
 +
 +
=== अपसौर (Aphelion) ===
 +
पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है। तब इस स्थिति को '''अपसौर(Aphelion)''' कहते हैं। यह स्थिति ४ जुलाई को होती है।
    
=== पृथ्वी की गतियों का प्रभाव ===
 
=== पृथ्वी की गतियों का प्रभाव ===
748

edits

Navigation menu