Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 40: Line 40:     
== पृथ्वी की गतियाँ ==
 
== पृथ्वी की गतियाँ ==
{{Main|Prthvi_(पृथ्वी)}}पृथ्वी की गति दो प्रकार की है- घूर्णन एवं परिक्रमण। पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
+
{{Main|Prthvi_(पृथ्वी)}}पृथ्वी स्थिर न होकर गतिशील है। पृथ्वी अपने स्थान पर घूमने के साथ ही सूर्य का चक्कर भी लगाती है। जिस तरह से लड्डू अपनी कील पर घूमता है और साथ- ही साथ अण्डाकार चक्कर भी लगाता है, ठीक इसी तरह हमारी पृथ्वी भी अंतरिक्ष में अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ अण्डाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा भी करती है। इस प्रकार पृथ्वी की दो गतियाँ हैं-
 +
 
 +
# '''घूर्णन अथवा दैनिक गति (Daily movement)'''
 +
# '''परिक्रमण अथवा वार्षिक गति ('''
 +
 
 +
पृथ्वी की गति दो प्रकार की है- घूर्णन एवं परिक्रमण। पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
 +
 
 +
=== पृथ्वी की दैनिक गति॥ Revolation of the earth ===
 +
 
 +
=== घूर्णन गति (Rotation) ===
 +
पृथ्वी अपनी धुरी अथवा अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है। पृथ्वी की इस गति को ही घूर्णन गति कहते हैं। पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में लगभग २४ घण्टे लगते हैं अर्थात् एक दिन और रात का समय (१२ घण्टे का दिन और १२ घण्टे की रात) लगता है। इसी कारण इस गति को दैनिक गति भी कहते हैं।  
   −
=== पृथ्वी की दैनिक गति ===
   
सूर्योदय से सूर्योदय तक के समय को २४ भाग में बांटा गया है, जिसे घण्टा कहते हैं। पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमने में प्रायः ४ मिनट कम लगता है। किन्तु १ दिन में पृथ्वी अपनी कक्षा पर १ अंश आगे बढ़ जाती है, अर्थात् सूर्य १ अंश आगे दीखता है। ३६० अंश अक्ष भ्रमण में २४ घण्टा लगा, अतः १ अंश में २४ x ६० ३६० मिनट = ४ मिनट लगेगा। अतः यदि दिन मान २४ घण्टा है तो अक्ष भ्रमण काल २३ घण्टा ५६ मिनट प्रायः होगा।
 
सूर्योदय से सूर्योदय तक के समय को २४ भाग में बांटा गया है, जिसे घण्टा कहते हैं। पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमने में प्रायः ४ मिनट कम लगता है। किन्तु १ दिन में पृथ्वी अपनी कक्षा पर १ अंश आगे बढ़ जाती है, अर्थात् सूर्य १ अंश आगे दीखता है। ३६० अंश अक्ष भ्रमण में २४ घण्टा लगा, अतः १ अंश में २४ x ६० ३६० मिनट = ४ मिनट लगेगा। अतः यदि दिन मान २४ घण्टा है तो अक्ष भ्रमण काल २३ घण्टा ५६ मिनट प्रायः होगा।
   −
=== वार्षिक गति तथा ऋतु ===
+
=== वार्षिक गति तथा ऋतु॥ Rotation of the earth ===
 +
 
 +
=== परिक्रमण गति (Revolution) ===
 +
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ एक अण्डाकार मार्ग पर सूर्य के चारों ओर परिक्रमा भी करती है। पृथ्वी की इस गति को परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा ३६५/ १\४ दिन अर्थात् एक वर्ष में पूरी करती है। इसलिये पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति भी कहते हैं।
 +
 
 
सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी जिस पथ पर करती है, वह उसकी कक्षा है। इस कक्षा के तल पर पृथ्वी का घूमने का अक्ष प्रायः २३.५ अंश झुका हुआ है। जब पृथ्वी का उत्तरी भाग सूर्य की तरफ झुका रहेगा तो पृथ्वी के उत्तर भाग में गर्मी होगी क्योंकि वहां सूर्य किरण सीधी पड़ती है। प्रायः २३ जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ सबसे अधिक झुका रहता है। उस समय दक्षिण भाग में ठण्डा होगा। इसके विपरीत ६ मास बाद २३ दिसम्बर को कक्षा के उलटे भाग में सूर्य की तरफ दक्षिणी ध्रुव होगा जब दक्षिण भाग या गोल में गर्मी तथा उत्तर गोल में ठण्डा होगा। इसके बाद सूर्य किरण क्रमशः उत्तर की तरफ लम्ब होने लगेगी तथा २३ मार्च को विषुव रेखा पर लम्ब होगी। उस समय दिन रात बराबर होते हैं अतः इसे अंग्रेजी (ग्रीक) में इक्विनौक्स (Equinox, इक्वि = बराबर, नौक्स = रात) कहते हैं। इस रेखा को इकुएटर (Equator, बराबर करने वाला) कहते हैं। यह सूर्य किरण का क्रमशः उत्तर भाग में लम्ब होना है, अतः २३ दिसम्बर से २३ जून तक उत्तरायण या उत्तर गति कहते हैं। उसके बाद ६ मास तक दक्षिण गति होती है। उसमें भी सूर्य किरण एक बार विषुव रेखा पर लम्ब होगी। विषुव का अर्थ भी यही है कि दिन-रात का अन्तर शून्य है। उत्तरायण में जब सूर्य विषुव को पार करता है तो उस समय उत्तर भाग में वसन्त होता है अतः इसे वसन्त सम्पात (Spring equinox) तथा इसके ६ मास बाद २३ सितम्बर को शिशिर सम्पात (Autumnal equinox) होगा।
 
सूर्य की परिक्रमा पृथ्वी जिस पथ पर करती है, वह उसकी कक्षा है। इस कक्षा के तल पर पृथ्वी का घूमने का अक्ष प्रायः २३.५ अंश झुका हुआ है। जब पृथ्वी का उत्तरी भाग सूर्य की तरफ झुका रहेगा तो पृथ्वी के उत्तर भाग में गर्मी होगी क्योंकि वहां सूर्य किरण सीधी पड़ती है। प्रायः २३ जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ सबसे अधिक झुका रहता है। उस समय दक्षिण भाग में ठण्डा होगा। इसके विपरीत ६ मास बाद २३ दिसम्बर को कक्षा के उलटे भाग में सूर्य की तरफ दक्षिणी ध्रुव होगा जब दक्षिण भाग या गोल में गर्मी तथा उत्तर गोल में ठण्डा होगा। इसके बाद सूर्य किरण क्रमशः उत्तर की तरफ लम्ब होने लगेगी तथा २३ मार्च को विषुव रेखा पर लम्ब होगी। उस समय दिन रात बराबर होते हैं अतः इसे अंग्रेजी (ग्रीक) में इक्विनौक्स (Equinox, इक्वि = बराबर, नौक्स = रात) कहते हैं। इस रेखा को इकुएटर (Equator, बराबर करने वाला) कहते हैं। यह सूर्य किरण का क्रमशः उत्तर भाग में लम्ब होना है, अतः २३ दिसम्बर से २३ जून तक उत्तरायण या उत्तर गति कहते हैं। उसके बाद ६ मास तक दक्षिण गति होती है। उसमें भी सूर्य किरण एक बार विषुव रेखा पर लम्ब होगी। विषुव का अर्थ भी यही है कि दिन-रात का अन्तर शून्य है। उत्तरायण में जब सूर्य विषुव को पार करता है तो उस समय उत्तर भाग में वसन्त होता है अतः इसे वसन्त सम्पात (Spring equinox) तथा इसके ६ मास बाद २३ सितम्बर को शिशिर सम्पात (Autumnal equinox) होगा।
   Line 51: Line 64:     
पृथ्वी का अक्ष अपनी कक्षा (क्रान्ति वृत्त) पर जितना झुका रहेगा कर्क रेखा विषुव से उतना ही उत्तर या मकर रेखा उतना ही दक्षिण होगा। पृथ्वी अक्ष का झुकाव २२ से २६ अंश तक ४१,००० वर्ष के चक्र में घटता बढ़ता है। अभी यह घट रहा है। कर्क रेखा का सबसे उत्तर का स्थान लखनऊ के निकट था अतः उसे नैमिषारण्य कहते थे जहां सूर्य के रथ की नेमि शीर्ण हो गयी थी (धुरा टूट गया, गति रुक गयी)। (पद्म पुराण, १/१, वायु पुराण, १२५/२७ आदि)। इक्ष्वाकु के पुत्र मिथिला राजा निमि के काल में (८५०० ईपू) कर्क रेखा मिथिला को छूती थी, अतः कहते थे कि राजा निमि की परक (निमि) नहीं गिरती है।
 
पृथ्वी का अक्ष अपनी कक्षा (क्रान्ति वृत्त) पर जितना झुका रहेगा कर्क रेखा विषुव से उतना ही उत्तर या मकर रेखा उतना ही दक्षिण होगा। पृथ्वी अक्ष का झुकाव २२ से २६ अंश तक ४१,००० वर्ष के चक्र में घटता बढ़ता है। अभी यह घट रहा है। कर्क रेखा का सबसे उत्तर का स्थान लखनऊ के निकट था अतः उसे नैमिषारण्य कहते थे जहां सूर्य के रथ की नेमि शीर्ण हो गयी थी (धुरा टूट गया, गति रुक गयी)। (पद्म पुराण, १/१, वायु पुराण, १२५/२७ आदि)। इक्ष्वाकु के पुत्र मिथिला राजा निमि के काल में (८५०० ईपू) कर्क रेखा मिथिला को छूती थी, अतः कहते थे कि राजा निमि की परक (निमि) नहीं गिरती है।
 +
 +
=== पृथ्वी की गतियों का प्रभाव ===
 +
 +
==== दिन-रात का होना ====
 +
 +
==== ऋतु परिवर्तन (Seasonal changes) ====
 +
 +
==== उपसौर  व अपसौर॥ (Perihelion nd Aphelion) ====
 +
 +
==== अक्षांश रेखायें॥ (Latitudes)- ====
 +
 +
==== देशान्तर॥ (Longitude) ====
 +
 +
==== स्थानीय और प्रामाणिक समय(Local and Standard  Times) ====
 +
 +
==== अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा॥ (International Date Lirne) ====
    
== उद्धरण ==
 
== उद्धरण ==
748

edits

Navigation menu