Difference between revisions of "Maharshi Vyasa (महर्षि व्यास)"

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आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का दिन व्यास-पूजा अर्थात गुरुपूजा-दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि प्रत्येक [[Manvantaras (मन्वन्तराणि)|मन्वन्तर]] में भगवान विष्णु 'व्यास' अवतार ग्रहण कर [[Vedas (वेदाः)|वेदों]] का उद्धार करते हैं। आज तक 28 व्यासावतार हुए हैं। प्रचलित वैवस्वत मन्वन्तर में कृष्ण-द्वैपायन व्यास का आविर्भाव हुआ। पराशर और सत्यवती के पुत्र कृष्ण-द्वैपायन व्यास ने 18 पुराणों की रचना की और अपने कुछ शिष्यों को वेदों का ज्ञान प्रदान कर उनके द्वारा उन्होंने वेदों की भिन्न-भिन्न शाखाओं का विस्तार कराया, ब्रह्मसूत्रों की रचना कर [[Upanishads (उपनिषदः)|उपनिषदों]] का रहस्य जगत के सामने रखा,  जैसे अत्युत्कृष्ट महाकाव्य की रचना की जिसमें [[Bharatiya Samskrtika Parampara (भारतीयसांस्कृतिकपरम्परा)|भारतीय संस्कृति]] को सुन्दर आख्यानों-उपाख्यानों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। [[Narada (नारदः)|नारद]] की आज्ञा से भक्तिरसपूर्ण श्रीमद्भागवत ग्रंथ का प्रणयन कर उन्होंने मनःशान्ति प्राप्त की। व्यास ने वैदिक संस्कृति की परम्परा को सुरक्षित रखने के लिए वेदों के तत्त्वों को विविध माध्यमों से लोक में प्रचारित किया।
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आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का दिन व्यास-पूजा अर्थात गुरुपूजा-दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि प्रत्येक [[Manvantaras (मन्वन्तराणि)|मन्वन्तर]] में भगवान विष्णु 'व्यास' अवतार ग्रहण कर [[Vedas (वेदाः)|वेदों]] का उद्धार करते हैं। आज तक 28 व्यासावतार हुए हैं। प्रचलित वैवस्वत मन्वन्तर में कृष्ण-द्वैपायन व्यास का आविर्भाव हुआ। पराशर और सत्यवती के पुत्र कृष्ण-द्वैपायन व्यास ने 18 पुराणों की रचना की और अपने कुछ शिष्यों को वेदों का ज्ञान प्रदान कर उनके द्वारा उन्होंने वेदों की भिन्न-भिन्न शाखाओं का विस्तार कराया, ब्रह्मसूत्रों की रचना कर [[Upanishads (उपनिषदः)|उपनिषदों]] का रहस्य जगत के सामने रखा,  जैसे अत्युत्कृष्ट महाकाव्य की रचना की जिसमें [[Bharatiya Samskrtika Parampara (धार्मिकसांस्कृतिकपरम्परा)|धार्मिक संस्कृति]] को सुन्दर आख्यानों-उपाख्यानों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। [[Narada (नारदः)|नारद]] की आज्ञा से भक्तिरसपूर्ण श्रीमद्भागवत ग्रंथ का प्रणयन कर उन्होंने मनःशान्ति प्राप्त की। व्यास ने वैदिक संस्कृति की परम्परा को सुरक्षित रखने के लिए वेदों के तत्त्वों को विविध माध्यमों से लोक में प्रचारित किया।
 
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आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का दिन व्यास-पूजा अर्थात गुरुपूजा-दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि प्रत्येक मन्वन्तर में भगवान विष्णु 'व्यास' अवतार ग्रहण कर वेदों का उद्धार करते हैं। आज तक 28 व्यासावतार हुए हैं। प्रचलित वैवस्वत मन्वन्तर में कृष्ण-द्वैपायन व्यास का आविर्भाव हुआ। पराशर और सत्यवती के पुत्र कृष्ण-द्वैपायन व्यास ने 18 पुराणों की रचना की और अपने कुछ शिष्यों को वेदों का ज्ञान प्रदान कर उनके द्वारा उन्होंने वेदों की भिन्न-भिन्न शाखाओं का विस्तार कराया, ब्रह्मसूत्रों की रचना कर उपनिषदों का रहस्य जगत के सामने रखा,  जैसे अत्युत्कृष्ट महाकाव्य की रचना की जिसमें धार्मिक संस्कृति को सुन्दर आख्यानों-उपाख्यानों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। नारद की आज्ञा से भक्तिरसपूर्ण श्रीमद्भागवत ग्रंथ का प्रणयन कर उन्होंने मनःशान्ति प्राप्त की। व्यास ने वैदिक संस्कृति की परम्परा को सुरक्षित रखने के लिए वेदों के तत्त्वों को विविध माध्यमों से लोक में प्रचारित किया।