2,057 bytes added
, 14:06, 16 March 2020
{{StubArticle}} {{NeedCitation}}
महर्षि वाल्मीकि, [[Ramayana (रामायणम्)|रामायण]] के रचयिता कवि हैं, जिन्होंने संस्कृत में रामचरित का वर्णन किया। इनका महाकाव्य रामायण बाद में अनेकानेक कवियों-लेखकों के लिए उपजीव्य बना। कहा जाता है कि पहले ये लूटपाट का काम करते थे। [[Narada (नारदः)|नारद]] जी ने इन्हें राम का नाम स्मरण करने की प्रेरणा दी। एक बार एक व्याध ने क्रौंच युगल में से नर क्रौंच को बाण से मार गिराया। इस पर उसकी भार्या ने करुण क्रन्दन प्रारम्भ कर दिया। यह दृश्य देखकर वाल्मीकि के हृदय की करुणा काव्यधारा के रूप में फूट निकली। उनकी वाणी व्याध के प्रति शाप के रूप में प्रकट हुई, किन्तु विशेष बात यह रही कि वह अभिव्यक्ति छन्दोबद्ध थी। वही वाणी आद्य कविता कहलायी। जिस छन्द में शाप फूटा था, उसी अनुष्टुप छन्द में बाद में वाल्मीकि ने नारद जी के बताये श्री राम के अत्युज्ज्वल जीवन-चरित्र का वर्णन किया।
[[Category:Hindi Articles]]
[[Category:Stories]]
[[Category:Rishis]]