Changes

Jump to navigation Jump to search
no edit summary
Line 1: Line 1: −
पंचांग के अन्तर्गत करण का पञ्चम स्थान में समावेश होता है। तिथि का आधा भाग करण होता है। करण दो प्रकार के होते हैं। एक स्थिर एवं द्वितीय चलायमान। स्थिर करणों की संख्या ४ तथा चलायमान करणों की संख्या ७ है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य करण ज्ञान, करण का मान एवं साधन।
+
पंचांग के अन्तर्गत करण का पञ्चम स्थान में समावेश होता है। तिथि का आधा भाग करण होता है। करण दो प्रकार के होते हैं। एक स्थिर एवं द्वितीय चलायमान। स्थिर करणों की संख्या ४ तथा चलायमान करणों की संख्या ७ है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य करण ज्ञान, करण का मान एवं साधन।{{#evu:https://www.youtube.com/watch?v=f93I48P7iI8&list=PLZ83joYJYmWR8dUgfxbcKFgxbCOaKw91J&index=11=youtu.be
 +
|alignment=right
 +
|dimensions=500x248
 +
|container=frame
 +
|description=Introduction to Elements of a Panchanga - Karana. Courtesy: Prof. K. Ramasubramaniam and Shaale.com
 +
}}
    
== परिचय ==
 
== परिचय ==
748

edits

Navigation menu