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# मालिकों का समाज होगा। ८०-८५ % लोग मालिक होंगे। नौकर बनना हीनता का लक्षण माना जाएगा।
 
# मालिकों का समाज होगा। ८०-८५ % लोग मालिक होंगे। नौकर बनना हीनता का लक्षण माना जाएगा।
 
# २० % लोगोंं में दान की, अर्पण/समर्पण की मानसिकता होगी। यह प्रमाण बढ़ने का वातावरण होगा।
 
# २० % लोगोंं में दान की, अर्पण/समर्पण की मानसिकता होगी। यह प्रमाण बढ़ने का वातावरण होगा।
# परिवारों के साथ ही सुधारित आश्रम व्यवस्था को समाज का समर्थन, स्वीकृति और सहायता मिलेगी।  
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# परिवारों के साथ ही सुधारित [[Ashram System (आश्रम व्यवस्था)|आश्रम व्यवस्था]] को समाज का समर्थन, स्वीकृति और सहायता मिलेगी।  
 
# व्यापारी वर्ग के प्रामाणिक और दानी व्यवहार से लोगोंं की व्यापारियों के बारे में सोच बदलेगी। व्यापारियों के व्यवहार में लाभ और शुभ का सन्तुलन बनेगा। इसमें शुभ को प्रधानता होगी।
 
# व्यापारी वर्ग के प्रामाणिक और दानी व्यवहार से लोगोंं की व्यापारियों के बारे में सोच बदलेगी। व्यापारियों के व्यवहार में लाभ और शुभ का सन्तुलन बनेगा। इसमें शुभ को प्रधानता होगी।
 
# सामान्य मनुष्य जो धर्म का जानकार नहीं होता उस में इस की समझ होना और उसने धर्म के अनुसार चलनेवालों का अनुसरण करना। ऐसा करने वालों की संख्या लक्षणीय होगी।
 
# सामान्य मनुष्य जो धर्म का जानकार नहीं होता उस में इस की समझ होना और उसने धर्म के अनुसार चलनेवालों का अनुसरण करना। ऐसा करने वालों की संख्या लक्षणीय होगी।
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[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान - भाग २)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान - भाग २)]]
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[[Category:Dharmik Jeevan Pratimaan Paathykram]]

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