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हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह यह पहला महिना होता है । हिन्दुओं का नयावर्ष इसी माह से आरंभ होता है और चैत्र माह पुरे ब्रहमांड का प्रथम दिन मन जाता है जिसे संवत्सर भी कहते है ।वेदों और पुराणों के मान्यतानुसार चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि के निर्माण का आरंभ भगवान ब्रह्मा जी ने किया था और सतयुग का आरंभ भी इसी महीने से मन जाता है । भगवान विष्णु ने प्रथम अवतार के रूप मत्स्यावतार रूप  में अवतरित इसी माह की पर्तिपदा के दिन माना जाता है ऐसा अपने पौराणिक कथाओं में अंकित है जहाँ प्रलय के बिच से मनु को सुरक्षित स्थान पर पहुचाया था और नए युग का आरम्भ हुआ ।   
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[[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] [[Panchanga (पञ्चाङ्गम्)|पंचांग]] के अनुसार चैत्र माह यह पहला महिना होता है । हिन्दुओं का नयावर्ष इसी माह से आरंभ होता है और चैत्र माह पुरे ब्रहमांड का प्रथम दिन मन जाता है जिसे संवत्सर भी कहते है ।[[Vedas (वेदाः)|वेदों]] और [[Puranas (पुराणानि)|पुराणों]] के मान्यतानुसार चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि के निर्माण का आरंभ भगवान ब्रह्मा जी ने किया था और सतयुग का आरंभ भी इसी महीने से मन जाता है । भगवान विष्णु ने प्रथम अवतार के रूप मत्स्यावतार रूप  में अवतरित इसी माह की पर्तिपदा के दिन माना जाता है ऐसा अपने पौराणिक कथाओं में अंकित है जहाँ प्रलय के बिच से मनु को सुरक्षित स्थान पर पहुचाया था और नए युग का आरम्भ हुआ ।   
    
=== चैत्र नवरात्र ===
 
=== चैत्र नवरात्र ===
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=== कामदा एकादशी ===
 
=== कामदा एकादशी ===
 
चैत्र मास में शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी कामदा एकादशी के नाम से जानी जाती है, इसकी कथा इस प्रकार है- एक बार की बात है कि नागलोक में पुण्डरिक नामक एक राजा राज्य करता था। उसके दरबार में किन्नरों एवं गंधवों का गायन होता रहता था। एक दिन गन्दर्भ ललित दरबार में गाना गा रहा था, अचानक गाते हुए उसे अपनी पत्नी की याद आने से उसकी स्वर लहरी व ताल विकृत होने लगी। उसकी इस त्रुटी को इसके शत्रु कर्कट ने ताड़ लिया और राजा को बता दिया। राजा पुण्डरिक को अत्यन्त क्रोध आया और उसे राक्षस होने का अभिशाप दे दिया। राक्षस योनि में ललित अपनी पत्नी के संग इधर-उधर भटकता रहता। एक दिन उसकी पत्नी ने विन्ध्य पर्वत पर जाकंर ऋृष्यमक ऋषि से अपने पति के उद्धार हतु विधि पूछी। ऋषि ने ललित को एकाटशी का व्रत करने की सलाह दी। ललत ने सच्ची लगन और आस्था से व्रत किया। बत के प्रभाव से व शापमुक्त हो गन्वव स्वरूप को प्राप्त हुआ।
 
चैत्र मास में शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी कामदा एकादशी के नाम से जानी जाती है, इसकी कथा इस प्रकार है- एक बार की बात है कि नागलोक में पुण्डरिक नामक एक राजा राज्य करता था। उसके दरबार में किन्नरों एवं गंधवों का गायन होता रहता था। एक दिन गन्दर्भ ललित दरबार में गाना गा रहा था, अचानक गाते हुए उसे अपनी पत्नी की याद आने से उसकी स्वर लहरी व ताल विकृत होने लगी। उसकी इस त्रुटी को इसके शत्रु कर्कट ने ताड़ लिया और राजा को बता दिया। राजा पुण्डरिक को अत्यन्त क्रोध आया और उसे राक्षस होने का अभिशाप दे दिया। राक्षस योनि में ललित अपनी पत्नी के संग इधर-उधर भटकता रहता। एक दिन उसकी पत्नी ने विन्ध्य पर्वत पर जाकंर ऋृष्यमक ऋषि से अपने पति के उद्धार हतु विधि पूछी। ऋषि ने ललित को एकाटशी का व्रत करने की सलाह दी। ललत ने सच्ची लगन और आस्था से व्रत किया। बत के प्रभाव से व शापमुक्त हो गन्वव स्वरूप को प्राप्त हुआ।
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[[Category:Education Series]]
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==References==
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[[Category:हिंदी भाषा के लेख]]
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[[Category:Festivals]]

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