Changes

Jump to navigation Jump to search
→‎कार्तिक व्रत कथा: लेख सम्पादित किया
Line 4: Line 4:     
==== कार्तिक व्रत कथा ====
 
==== कार्तिक व्रत कथा ====
में
+
पहले सतयुग में मायापुरी में अत्रिकुल में वेद तथा शास्त्रों का पारगामी वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह सूर्य का बड़ा भक्त था। वह नित्य ही अग्नि तथा अतिथि की सेवा करता हुआ सूर्य की आराधना किया करता था। उसके कोई पुत्र न था परन्तु बड़ी आयु में उसके एक कन्या हुई जिसका नाम गुणवती था। उसने अपनी कन्या का विवाह अपने शिष्य चन्द्र के साथ कर दिया। एक दिन वह ब्राह्मण हो मूर्छा खाकर भूमि पर गिर पड़ी। अपने जामात सहित लकड़ी लेने जंगल में गया। वन में वे दोनों एक राक्षस के हाथों मारे गये और वहां के क्षेत्र के प्रभाव से बैकुण्ठ को गये। गुणवता दुःख से ग्रस्त जब उसे चेतना आई तो उसने घर का सामान बेचकर उन दोनों की अंत्येष्टी क्रिया की और मेरी प्रिय एकादशी और कार्तिक का व्रत करने लगी। कार्तिक मास में जो प्रात:काल स्नान करता है; जागरण, दीपदान, भगवान के मन्दिर की सफाई, पूजन करता है वह मनुष्य जीवनमुक्त हो बैकुण्ठ को प्राप्त होता है। एक समय वह दुर्बल शरीर वाली, स्नान के निमित्त गंगाजी में प्रवेश करते ही उसकी सारी देह शीत के मारे कांपने लगी और वह शिथिल हो गयी। उसी समय हमारे तुलापार्षदों ने उसको विमान में बैठाकर बैकुण्ठ पहुंचा दिया। कार्तिक के व्रत के प्रभाव से तुम सत्यभामा होकर हमारी प्रिया बनीं। आजन्म तुलसी रोपने से तुम्हारे आंगन में कल्पवृक्ष है। तुमने कार्तिक में जो दीपदान किया, इसी से तुम्हारे घर में  लक्ष्मी का वास है। अत: हे सत्यभामे! जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत करता है, वह तुम्हारी तरह हमको प्रिय है।
   −
पहले सतयुग में मायापुरी में अत्रिकुल में वेद तथा शास्त्रों का पारगामी वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह सूर्य का बड़ा भक्त था। वह नित्य ही अग्नि तथा अतिथि की सेवा करता हुआ सूर्य की आराधना किया करता था। उसके कोई पुत्र न था परन्तु बड़ी आयु में उसके एक कन्या हुई जिसका नाम गुणवती था। उसने अपनी कन्या का विवाह अपने शिष्य चन्द्र के साथ कर दिया। एक दिन वह ब्राह्मण
+
==== करवा चौथ की पूजा विधि ====
 +
करवा चौथ के दिन अर्थात् कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन लकड़ी का पाट-पूजकर उस पर जल का भरा लोटा रखें। बायना निकालने के लिए एक मिट्टी का करवा रखकर करवे में गेहूं व उसके ढक्कन में चीनी और नकद रुपये रखें। फिर उसे रोली से बांधकर गुड़-चावल से पूजा करें। पुन: 13 बार करवे का टोका करें, उसे सात बार पाट के चारों तरफ घुमावें तब भी हाथ में 13 दाने गेहूं के लेकर कहानी सुनें। कहानी सुनने के पश्चात् करवे पर हाथ फेरकर सासुजी के पांव छुएं। तदुपरान्त वह तेरह दाने गेहूं व लोटा यथा स्थान रख दें। रात होने पर चाँद देखकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस तरह करके प्रसाद खाकर व्रत रखने वाली स्त्री व्रत खोले। करवा चौथ करने वाली को चाहिए कि बहन और
1,192

edits

Navigation menu