Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 46: Line 46:     
            व्यास जी बोले –“हे भद्र! ज्येष्ठ की एकादशी को निर्जल व्रत कीजिये |स्नान आचमन में जल ग्रहण कर सकते हैं | अन्न बिलकुल भी ग्रहण न करे | अन्नाहार लेने से व्रत खण्डित हो जायेगा |” व्यास की आज्ञा अनुसार भीमसेन ने बड़े साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया |जिसके फलस्वरूप प्रातः होते होते ज्ञानहीन हो गये |तब पाण्डवो ने गंगाजल, तुलसी ,चरणामृत प्रसाद लेकर उनकी मूर्च्छा दूर की |तभी से भीमसेन पाप मुक्त हो गये |
 
            व्यास जी बोले –“हे भद्र! ज्येष्ठ की एकादशी को निर्जल व्रत कीजिये |स्नान आचमन में जल ग्रहण कर सकते हैं | अन्न बिलकुल भी ग्रहण न करे | अन्नाहार लेने से व्रत खण्डित हो जायेगा |” व्यास की आज्ञा अनुसार भीमसेन ने बड़े साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया |जिसके फलस्वरूप प्रातः होते होते ज्ञानहीन हो गये |तब पाण्डवो ने गंगाजल, तुलसी ,चरणामृत प्रसाद लेकर उनकी मूर्च्छा दूर की |तभी से भीमसेन पाप मुक्त हो गये |
 +
[[Category:Hindi Articles]]
 +
[[Category:हिंदी भाषा के लेख]]
 +
[[Category:Festivals]]
1,192

edits

Navigation menu