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→‎बछवारस की कथा-: लेख सम्पादित किया
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=== गूंगा नवमी ===
 
=== गूंगा नवमी ===
भादवा बदी नवमी को गूंगा नवमी कहते हैं। इस दिन महापराक्रमी पीरवर गूंगा ने जन्म लेकर मलेच्छों का मान-मर्दन करते हुए हिन्दू धर्म की रक्षा की थी। इस दिन तेल के गुलगुले बनाकर और पूरी बनाकर वीरवर की पूजा कर बच्चों को भोजन खिलाकर उत्सव मनाया जाता है । कई महानुभाओं का यह भी विशवास है की गूंगा के पूजन से सर्पो का भय कम हो जाता है |
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भादवा बदी नवमी को गूंगा नवमी कहते हैं। इस दिन महापराक्रमी पीरवर गूंगा ने जन्म लेकर मलेच्छों का मान-मर्दन करते हुए हिन्दू धर्म की रक्षा की थी। इस दिन तेल के गुलगुले बनाकर और पूरी बनाकर वीरवर की पूजा कर बच्चों को भोजन खिलाकर उत्सव मनाया जाता है । कई महानुभाओं का यह भी विशवास है की गूंगा के पूजन से सर्पो का भय कम हो जाता है
    
=== जया एकादशी ===
 
=== जया एकादशी ===
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==== बछवारस की कथा- ====
 
==== बछवारस की कथा- ====
एक राजा के सात बेटे और एक पोता था। एक दिन राजा ने सोचा, कुआं बनवाया जाए। उसने कुआं बनवाया लेकिन उसमें पानी नहीं आया। तब राजा ने पण्डितों से कुएं में पानी न आने का कारण पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा-महाराज! अगर आप यज्ञ करायें और अपने पोते की बलि दें तो पानी आयेगा। राजा ने ऐसा ही करने की आज्ञा दे दी। यज्ञ की तैयारियां हुई और बच्चे की बलि दी गयी। बच्चे की बलि देते ही पानी बरसने लगा, कुआं पानी से भर गया। राजा ने जब यह समाचार सुना तो वह अपनी रानी सहित कुआं पूजने गया। घर में साग-सब्जी न होने के कारण गाय के बछड़े को काटकर बना दिया। जब राजा और रानी पूजा करके वापस आये तब राजा ने कहा-गाय का बछड़ा कहां है? तब नौकरानी ने कहा, उसे तो मैंने काटकर साग बना दिया। तब राजा बोला, पापिन तूने यह क्या किया! राजा ने उस मांस की हांडी को जमीन में गाड़ दिया और सोचने लगा कि गाय को किस
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एक राजा के सात बेटे और एक पोता था। एक दिन राजा ने सोचा, कुआं बनवाया जाए। उसने कुआं बनवाया लेकिन उसमें पानी नहीं आया। तब राजा ने पण्डितों से कुएं में पानी न आने का कारण पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा-महाराज! अगर आप यज्ञ करायें और अपने पोते की बलि दें तो पानी आयेगा। राजा ने ऐसा ही करने की आज्ञा दे दी। यज्ञ की तैयारियां हुई और बच्चे की बलि दी गयी। बच्चे की बलि देते ही पानी बरसने लगा, कुआं पानी से भर गया। राजा ने जब यह समाचार सुना तो वह अपनी रानी सहित कुआं पूजने गया। घर में साग-सब्जी न होने के कारण गाय के बछड़े को काटकर बना दिया। जब राजा और रानी पूजा करके वापस आये तब राजा ने कहा-गाय का बछड़ा कहां है? तब नौकरानी ने कहा, उसे तो मैंने काटकर साग बना दिया। तब राजा बोला, पापिन तूने यह क्या किया! राजा ने उस मांस की हांडी को जमीन में गाड़ दिया और सोचने लगा कि गाय को किस प्रकार समझाऊंगा ? गाय शाम को जब वापस आयी तो वह गड़े स्थान पर सींग से खोदने लगी, हांड़ी से सींग लगते ही उसमे से गाय का बछड़ा व राजा का पोता बाहर निकला | तभी इसी दिन का नाम बछावारस पड़ गया तथा गाय और बछड़ो की पूजा होती है |
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