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==== चाना छठ की कहानी  ====
 
==== चाना छठ की कहानी  ====
एक नगर में एक सहकर और उसकी पत्नी रहते थे |
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एक नगर में एक सहकर और उसकी पत्नी रहते थे | वे अपना कोई भी कार्य स्वयं ना करके नौकरों से करवाते थे। साहूकार की पत्नी बर्तनों को सूंघ-सूंघकर देखती थी कि बर्तन गंदा तो नहीं है। कुछ समय पश्चार उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। उसकी उन्होंने बड़े होने पर शादी कर दी। विवाह के कुछ समय उपरान्त साहूकार व उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के बाद साहूकार तो बैल बना और साहूकारनी कुतिया। वे दोनों अपने बेटे के घर ही पहुंच गये। साहूकार का बेटा बैल से खूब काम करवाता, दिन भर खेत जुतवाता और कुएं से पानी खिंचवाता। कुतिया उसके घर की रखवाली करती थी। एक वर्ष के पश्चात् उसके पिता का श्राद्ध आया। श्राद्ध के दिन खूब पकवान बनाये। गये उसमें खीर भी बनायी गयी। खीर को ठण्डा करने के लिए बहू ने उसे थाली में रख दिया। उसी समय एक चील उड़ती हुई आई उसके में भरा हुआ सर्प था। वह सर्प चील के मुंह से छूटकर खीर में गिर गया। यह सब कुतिया बैठी हुई देख रही थी परन्तु उसकी बहू को कुछ पता नहीं था। कुतिया सोचने लगी, यदि खीर किसी ने खायी तो तुरन्त ही मर जायेगा। अत: अब क्या करना चाहिए। कुतिया अभी सोचने लगी ही थी कि भीतर से उसकी बहू खीर उठाने आई। कुतिया ने खीर में मुंह दे दिया। जब लड़के की बहू ने कुतिया को खीर में मुंह देते हुए देखा तो वह उसके पीछे डण्डा लेकर भागी। जब बहू ने कुतिया की पीठ पर डण्डा मारा तो उसकी पीठ की हड्डी टूट गयी। रात्रि में कुतिया बैल के पास आयी और बोली-आज तो तुम्हारा श्राद्ध था। तुम्हें तो खूब भोजन मिला होगा।
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बैल बोला-मैं तो दिन भर खेत में ही कार्य करता रहा। आज तो मुझे कुछ भी नहीं मिला। कुतिया बोली, जो आज श्राद्ध की खीर बनी थी उसमें चील ने सर्प डाल दिया था। उस खीर को कोई खाकर मर न जाये इसी कारण मैंने उस खीर में मुंह दे दिया था जिस कारण बहू ने मेरी पीठ पर ऐसा डण्डा मारा कि मेरी हड्डी टूट गयी। इससे बहुत दर्द हो रहा है और कुछ खाने को भी नहीं मिला।यह सब बातें बहू सुन रही थी। उसने कुतिया और बैल की सब बातें अपने पति से कहीं। तब लड़के ने ज्योतिषियों को बुलाकर पूछा कि मेरे माता-पिता किस योनि में हैं? तब ज्योतिष बोला-तुम्हारे यहां जो बैल है वह तुम्हारे पिता और तुम्हारे घर में जो कुतिया है वही तुम्हारी मां है। लड़का बोला--तब इनका उद्धार कैसे होगा? ज्योतिष बोला, तुम अपनी कुंवारी कन्याओं को भाद्रपद लगते ही जो चाना छठ आती है उसका व्रत रखवाओ तब तुम्हारे माता-पिता का उद्धार हो जायेगा। लड़के ने ऐसा ही किया जिससे उसके माता-पिता पशु योनि से छूटकर दिव्य देह धारण कर स्वर्ग को चले गये। चाना छठ का उजमन-जिस साल जिस लड़की का विवाह हो उस साल वह लड़की चाना छठ का उजमन करे। व्रत पूजा पहले की तरह करे। कहानी सुनकर
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