यह भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनायी जाती है। इस दिन व्रत रखकर गायों का पूजन करें तथा सात गायों के लिए सात आटे की लोई बनायें और उनको गुड़, घी आदि सहित गायों को खिला दें, फिर स्वयं भोजन करें। इस दिन बहुओं के शृंगार का सामान व साड़ी (सिंधारा) दिया जाता है और बहुए चीनी और रुपयों का बायना निकालकर अपनी सासु मां को पैर छूकर देती हैं। | यह भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनायी जाती है। इस दिन व्रत रखकर गायों का पूजन करें तथा सात गायों के लिए सात आटे की लोई बनायें और उनको गुड़, घी आदि सहित गायों को खिला दें, फिर स्वयं भोजन करें। इस दिन बहुओं के शृंगार का सामान व साड़ी (सिंधारा) दिया जाता है और बहुए चीनी और रुपयों का बायना निकालकर अपनी सासु मां को पैर छूकर देती हैं। |