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# कामनाएँ और उनकी पूर्ति के लिए किये गए प्रयास और उपयोग में लाये गए धन, साधन और संसाधन सभी धर्म के अनुकूल होने चाहिए।  
 
# कामनाएँ और उनकी पूर्ति के लिए किये गए प्रयास और उपयोग में लाये गए धन, साधन और संसाधन सभी धर्म के अनुकूल होने चाहिए।  
 
# कौटुम्बिक उद्योगों को समाज अपने हित में नियंत्रित करता है। बडी जोईंट स्टोक कम्पनियां समाज को आक्रामक, अनैतिक, महँगे विज्ञापनों द्वारा अपने हित में नियंत्रित करती हैं।  
 
# कौटुम्बिक उद्योगों को समाज अपने हित में नियंत्रित करता है। बडी जोईंट स्टोक कम्पनियां समाज को आक्रामक, अनैतिक, महँगे विज्ञापनों द्वारा अपने हित में नियंत्रित करती हैं।  
# [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]] के दर्जनों लाभ और [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]] पर किये गए दोषारोपों का वास्तव समझना आवश्यक है। वास्तव समझकर किसी सक्षम वैकल्पिक व्यवस्था निर्माण की आवश्यकता है।  
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# [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] के दर्जनों लाभ और [[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|[[Jaati_System_(जाति_व्यवस्था)|जाति व्यवस्था]]]] पर किये गए दोषारोपों का वास्तव समझना आवश्यक है। वास्तव समझकर किसी सक्षम वैकल्पिक व्यवस्था निर्माण की आवश्यकता है।  
 
# मानव की धर्म सुसंगत इच्छाओं में और उनकी पूर्ति में किसी का विरोध नहीं होना चाहिए (आर्थिक स्वतंत्रता)।  
 
# मानव की धर्म सुसंगत इच्छाओं में और उनकी पूर्ति में किसी का विरोध नहीं होना चाहिए (आर्थिक स्वतंत्रता)।  
 
# उत्पादकों की संख्या जितनी अधिक उतनी कीमतें कम होती हैं। कौटुम्बिक उद्योगोंपर आधारित समृद्धि व्यवस्था में ही यह संभव होता है। कौटुम्बिक उद्योग आधारित समृद्धि व्यवस्था के भी दर्जनों लाभ हैं।  
 
# उत्पादकों की संख्या जितनी अधिक उतनी कीमतें कम होती हैं। कौटुम्बिक उद्योगोंपर आधारित समृद्धि व्यवस्था में ही यह संभव होता है। कौटुम्बिक उद्योग आधारित समृद्धि व्यवस्था के भी दर्जनों लाभ हैं।  
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# सन्यास
 
# सन्यास
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=== विकसित प्रणाली : ग्राम व्यवस्था ===
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=== विकसित प्रणाली : [[Grama_Kul_(ग्रामकुल)|ग्राम व्यवस्था]] ===
 
व्यक्ति अपनी केवल दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति भी अपने प्रयासों से नहीं कर सकता। लेकिन परावलम्बन से स्वतन्त्रता नष्ट होती है। परस्परावलंबन से स्वतन्त्रता और आवश्यकताओं की पूर्ति का समन्वय हो जाता है। जैसे जैसे भूक्षेत्र बढ़ता है, परस्परावलंबन कठिन होता जाता है। प्राकृतिक संसाधन भी विकेन्द्रित ही होते हैं। अतः छोटे से छोटे भूक्षेत्र में परस्परावलंबी कुटुम्ब मिलकर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति के सन्दर्भ में स्वावलंबी बना हुआ समुदाय ही ग्राम है। ग्राम शब्द भी ‘गृ’ धातु से बना है। इसका अर्थ भी ‘गृह’ ऐसा ही है। अनुवांशिक कौटुम्बिक उद्योगों से निरंतर आपूर्ति की आश्वस्ती हो जाती है।
 
व्यक्ति अपनी केवल दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति भी अपने प्रयासों से नहीं कर सकता। लेकिन परावलम्बन से स्वतन्त्रता नष्ट होती है। परस्परावलंबन से स्वतन्त्रता और आवश्यकताओं की पूर्ति का समन्वय हो जाता है। जैसे जैसे भूक्षेत्र बढ़ता है, परस्परावलंबन कठिन होता जाता है। प्राकृतिक संसाधन भी विकेन्द्रित ही होते हैं। अतः छोटे से छोटे भूक्षेत्र में परस्परावलंबी कुटुम्ब मिलकर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति के सन्दर्भ में स्वावलंबी बना हुआ समुदाय ही ग्राम है। ग्राम शब्द भी ‘गृ’ धातु से बना है। इसका अर्थ भी ‘गृह’ ऐसा ही है। अनुवांशिक कौटुम्बिक उद्योगों से निरंतर आपूर्ति की आश्वस्ती हो जाती है।
 
# बड़ा कुटुम्ब : कौटुम्बिक भावना
 
# बड़ा कुटुम्ब : कौटुम्बिक भावना
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=== प्रकृति सुसंगतता ===
 
=== प्रकृति सुसंगतता ===
समाज जीवन में केन्द्रिकरण और विकेंद्रीकरण का समन्वय हो यह आवश्यक है। विशाल उद्योग, बाजार का सन्तुलन, शासकीय कार्यालय, व्यावसायिक, भाषिक, प्रादेशिक समूहों के समन्वय की व्यवस्थाएं आदि के लिये शहरों की आवश्यकता होती है। वनवासी या गिरिजन भी ग्राम व्यवस्था से ही जुड़े हुए होने चाहिए।
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समाज जीवन में केन्द्रिकरण और विकेंद्रीकरण का समन्वय हो यह आवश्यक है। विशाल उद्योग, बाजार का सन्तुलन, शासकीय कार्यालय, व्यावसायिक, भाषिक, प्रादेशिक समूहों के समन्वय की व्यवस्थाएं आदि के लिये शहरों की आवश्यकता होती है। वनवासी या गिरिजन भी [[Grama_Kul_(ग्रामकुल)|ग्राम व्यवस्था]] से ही जुड़े हुए होने चाहिए।
    
=== प्रक्रियाएं ===
 
=== प्रक्रियाएं ===

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