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सत्य की व्याख्या की गई है {{Citation needed}}<blockquote>'यदभूत हितं अत्यंत' </blockquote><blockquote>याने जिस में चराचर का हित हो या किसी का भी अहित नहीं हो वही सत्य है। </blockquote>इसी का अर्थ है जिसे चराचर का हित किस या किन बातों में है, यह नहीं समझ में आता वह सत्य को स्वत: नहीं समझ सकता।   
 
सत्य की व्याख्या की गई है {{Citation needed}}<blockquote>'यदभूत हितं अत्यंत' </blockquote><blockquote>याने जिस में चराचर का हित हो या किसी का भी अहित नहीं हो वही सत्य है। </blockquote>इसी का अर्थ है जिसे चराचर का हित किस या किन बातों में है, यह नहीं समझ में आता वह सत्य को स्वत: नहीं समझ सकता।   
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ऐसे लोगों के लिये कहा गया है:  
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ऐसे लोगों के लिये कहा गया है{{Citation needed}}:  
    
'महाजनो येन गत: स पंथ:'। ऐसे लोगों को श्रेष्ठ लोगों का अनुकरण करना चाहिये।   
 
'महाजनो येन गत: स पंथ:'। ऐसे लोगों को श्रेष्ठ लोगों का अनुकरण करना चाहिये।   
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