Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "[[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]" to "[[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_वि...
Line 82: Line 82:  
# दिखाऊ नहीं टिकाऊ पर बल। संसाधनों का संपूर्ण / पुन: पुन: उपयोग करें। शोषण न करने की दृष्टि।  
 
# दिखाऊ नहीं टिकाऊ पर बल। संसाधनों का संपूर्ण / पुन: पुन: उपयोग करें। शोषण न करने की दृष्टि।  
 
# अतिथि सत्कार के लिए सदैव तत्पर रहना।  
 
# अतिथि सत्कार के लिए सदैव तत्पर रहना।  
# सभी को सुख मिलने के लिए चार बातें आवश्यक होतीं हैं। सुसाध्य आजीविका, स्वतंत्रता, शान्ति और पौरुष। इन का विश्लेषण हम [[Bharat's Science and Technology (भारतीय [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान] तन्त्रज्ञान दृष्टि)|इस]] अध्याय में देखेंगे। यहाँ इतना ही समझ लें कि सुख के सार्वत्रिक होने के लिए समाज के हर व्यक्ति के लिए समाज के हित में कुछ समय देना आवश्यक होता है। सामान्यत: अपनी आजीविका से भिन्न ऐसा कोई काम हर व्यक्ति करे जिससे समाज के अन्य घटकों का लाभ हो। ऐसा करने की आदतें और प्रारम्भ का स्थान कुटुम्ब है।  
+
# सभी को सुख मिलने के लिए चार बातें आवश्यक होतीं हैं। सुसाध्य आजीविका, स्वतंत्रता, शान्ति और पौरुष। इन का विश्लेषण हम [[Bharat's Science and Technology (भारतीय [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]] तन्त्रज्ञान दृष्टि)|इस]] अध्याय में देखेंगे। यहाँ इतना ही समझ लें कि सुख के सार्वत्रिक होने के लिए समाज के हर व्यक्ति के लिए समाज के हित में कुछ समय देना आवश्यक होता है। सामान्यत: अपनी आजीविका से भिन्न ऐसा कोई काम हर व्यक्ति करे जिससे समाज के अन्य घटकों का लाभ हो। ऐसा करने की आदतें और प्रारम्भ का स्थान कुटुम्ब है।  
 
# [[Family Structure (कुटुंब व्यवस्था)|इस लेख]] को भी देखें।  
 
# [[Family Structure (कुटुंब व्यवस्था)|इस लेख]] को भी देखें।  
    
=== ग्राम धर्म ===
 
=== ग्राम धर्म ===
# ग्राम के हर व्यक्ति के लिए सार्थक रोजगार की व्यवस्था करना यह ग्राम का सबसे महत्वपूर्ण धर्म है। यहाँ रोजगार का अर्थ केवल धनार्जन तक ही सीमित नहीं है। ऐसे कई काम हैं जो नि:शुल्क करने होते हैं। जैसे अन्न दान, कला, कारीगरी आदि या ऐसा कहें कि ज्ञान/ [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान] / तंत्रज्ञान की विविध विधाओं की शिक्षा, ग्राम की सुरक्षा, ग्राम सेवा (मुखिया, पञ्च, सरपञ्च आदि), वैद्यकीय सेवा आदि। वानप्रस्थी या उन्नत गृहस्थाश्रमी लोगोंं यह काम हैं। सेवा और नौकरी में अंतर है। सेवा नि:स्वार्थ भाव से की जाती है। नौकरी स्वार्थ भाव से होती है।  
+
# ग्राम के हर व्यक्ति के लिए सार्थक रोजगार की व्यवस्था करना यह ग्राम का सबसे महत्वपूर्ण धर्म है। यहाँ रोजगार का अर्थ केवल धनार्जन तक ही सीमित नहीं है। ऐसे कई काम हैं जो नि:शुल्क करने होते हैं। जैसे अन्न दान, कला, कारीगरी आदि या ऐसा कहें कि ज्ञान/ [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]] / तंत्रज्ञान की विविध विधाओं की शिक्षा, ग्राम की सुरक्षा, ग्राम सेवा (मुखिया, पञ्च, सरपञ्च आदि), वैद्यकीय सेवा आदि। वानप्रस्थी या उन्नत गृहस्थाश्रमी लोगोंं यह काम हैं। सेवा और नौकरी में अंतर है। सेवा नि:स्वार्थ भाव से की जाती है। नौकरी स्वार्थ भाव से होती है।  
 
# ग्राम के सभी लोगोंं का चरितार्थ सम्मान के साथ चले। इस दृष्टि से रचना बनाना और चलाना। अनाथ, विधवा, वृद्ध, अपंग आदि दुर्बल घटकों के भी सम्मानपूर्ण आजीविका की व्यवस्था हो। आचार्य, विद्वान, कलाकार, वैद्य आदि की यथोचित सम्मानपूर्ण आजीविका की भी व्यवस्था हो।  
 
# ग्राम के सभी लोगोंं का चरितार्थ सम्मान के साथ चले। इस दृष्टि से रचना बनाना और चलाना। अनाथ, विधवा, वृद्ध, अपंग आदि दुर्बल घटकों के भी सम्मानपूर्ण आजीविका की व्यवस्था हो। आचार्य, विद्वान, कलाकार, वैद्य आदि की यथोचित सम्मानपूर्ण आजीविका की भी व्यवस्था हो।  
 
# किसी पर भी अन्याय न हो। सुख शांति से जीवन चले। दुष्ट दुर्जनों और मूर्खों को नियंत्रण में रखना।  
 
# किसी पर भी अन्याय न हो। सुख शांति से जीवन चले। दुष्ट दुर्जनों और मूर्खों को नियंत्रण में रखना।  

Navigation menu