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तात्पर्य यह है कि हर समाज की मान्यताओं में भिन्नता होती है । इन मान्यताओं के आधार पर वह समाज व्यवहार करे ऐसी अपेक्षा की जाती है। ऐसा व्यवहार व्यक्ति कर सके इस के लिये अनुकूल और अनुरूप व्यवस्थाएं निर्माण की जातीं है। ऐसा करने से समाज का जीवन सुचारू रूप से चलता है।  
 
तात्पर्य यह है कि हर समाज की मान्यताओं में भिन्नता होती है । इन मान्यताओं के आधार पर वह समाज व्यवहार करे ऐसी अपेक्षा की जाती है। ऐसा व्यवहार व्यक्ति कर सके इस के लिये अनुकूल और अनुरूप व्यवस्थाएं निर्माण की जातीं है। ऐसा करने से समाज का जीवन सुचारू रूप से चलता है।  
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यह प्रक्रिया दुनिया भर के सभी देशों को लागू है। आजकल व्हॅल्यू एज्युकेशन का बोलबाला है। दुनियाभर के लोग आज अनेकों भीषण समस्याओं से जूझ रहे है। महिलाओं पर अत्याचार बढ रहे है। बेरोजगारी के कारण युवक वर्ग गुनहगारी की दिशा में खींचा जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण की बातें तो हो रही है फिर भी हवा, पानी और जमीन का प्रदूषण बढता ही जा रहा है। प्लॅस्टिक के कचरे के अंबार लग रहे है। आण्विक कचरे और आण्विक विकीरणों के कारण नयी पीढी में जन्मगत विकृतियाँ आ रही है। कार्य के घण्टे बढ रहे है और जीना कम हो रहा है। युवकों को आयु से पूर्व ही बुढापा घेर रहा है। निराधार महिलाओं के लिये महिलाश्रम, वृध्दाश्रम, अनाथाश्रम बढ रहे है। उच्च शिक्षा विभूषित युवक अपने माता पिताओं को वृध्दाश्रमों मे धकेल रहे है। इसीलिये युनेस्को की पहल से सभी देशों में व्हॅल्यू एज्युकेशन (मूल्यशिक्षा) का विचार किया जा रहा है। भारत में भी हो रहा है। अंग्रेज भारत में आए तब भारत अपने पतन के निम्नतम स्तरपर था। फिर भी सामान्य भारतीय मनुष्य की नीतिमत्ता ब्रिटिश पाद्री से श्रेष्ठ पाई गई थी, इसीलिये १७९२ की चार्टर डिबेट में चर्चा के बाद, भारत के ईसाईकरण के लिये भारत में पाद्री भेजने की योजना को रोक दिया गया था। जीवनमूल्यों की शिक्षा का विचार भारत में प्राचीन काल से अंग्रेज पूर्व काल तक की शिक्षा के इतिहास में कभी भी ऐसा अलग से किया नहीं किया गया था। किंतु अब विदेशी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यह हो रहा है।  
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यह प्रक्रिया दुनिया भर के सभी देशों को लागू है। आजकल व्हॅल्यू एज्युकेशन का बोलबाला है। दुनियाभर के लोग आज अनेकों भीषण समस्याओं से जूझ रहे है। महिलाओं पर अत्याचार बढ रहे है। बेरोजगारी के कारण युवक वर्ग गुनहगारी की दिशा में खींचा जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण की बातें तो हो रही है फिर भी हवा, पानी और जमीन का प्रदूषण बढता ही जा रहा है। प्लॅस्टिक के कचरे के अंबार लग रहे है। आण्विक कचरे और आण्विक विकीरणों के कारण नयी पीढी में जन्मगत विकृतियाँ आ रही है। कार्य के घण्टे बढ रहे है और जीना कम हो रहा है। युवकों को आयु से पूर्व ही बुढापा घेर रहा है। निराधार महिलाओं के लिये महिलाश्रम, वृध्दाश्रम, अनाथाश्रम बढ रहे है। उच्च शिक्षा विभूषित युवक अपने माता पिताओं को वृध्दाश्रमों मे धकेल रहे है। इसीलिये युनेस्को की पहल से सभी देशों में व्हॅल्यू एज्युकेशन (मूल्यशिक्षा) का विचार किया जा रहा है। भारत में भी हो रहा है। अंग्रेज भारत में आए तब भारत अपने पतन के निम्नतम स्तरपर था। फिर भी सामान्य भारतीय मनुष्य की नीतिमत्ता ब्रिटिश पादरी से श्रेष्ठ पाई गई थी, इसीलिये १७९२ की चार्टर डिबेट में चर्चा के बाद, भारत के ईसाईकरण के लिये भारत में पादरी भेजने की योजना को रोक दिया गया था। जीवनमूल्यों की शिक्षा का विचार भारत में प्राचीन काल से अंग्रेज पूर्व काल तक की शिक्षा के इतिहास में कभी भी ऐसा अलग से किया नहीं किया गया था। किंतु अब विदेशी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यह हो रहा है।  
    
वर्तमान में जीवनमूल्य शब्द का जिस अर्थ से प्रयोग किया जाता है वह भारतीय सोच के अनुसार ठीक नहीं है। यह अंग्रेजी ‘व्हैल्यू’ शब्द का सीधा अनुवाद है। अंग्रेजों का अन्धानुकरण है। भारतीय शिक्षा के इतिहास में जीवनमूल्य शब्द का कभी प्रयोग नहीं किया गया था। जो मूल में होता है उसे मूल्य कहते हैं। जो मूल में होता है उसे प्रकृति कहते हैं। शिक्षा की आवश्यकता ही, जो प्राकृतिक है उसे अन्नत कर सांस्कृतिक बनाने के लिए होती है। इसे जीवनदृष्टि की, जीवनशैली की शिक्षा कहा जाना चाहिए।  
 
वर्तमान में जीवनमूल्य शब्द का जिस अर्थ से प्रयोग किया जाता है वह भारतीय सोच के अनुसार ठीक नहीं है। यह अंग्रेजी ‘व्हैल्यू’ शब्द का सीधा अनुवाद है। अंग्रेजों का अन्धानुकरण है। भारतीय शिक्षा के इतिहास में जीवनमूल्य शब्द का कभी प्रयोग नहीं किया गया था। जो मूल में होता है उसे मूल्य कहते हैं। जो मूल में होता है उसे प्रकृति कहते हैं। शिक्षा की आवश्यकता ही, जो प्राकृतिक है उसे अन्नत कर सांस्कृतिक बनाने के लिए होती है। इसे जीवनदृष्टि की, जीवनशैली की शिक्षा कहा जाना चाहिए।  
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# अत्यंत गौरवशाली भारतीय इतिहास को नकारना।  
 
# अत्यंत गौरवशाली भारतीय इतिहास को नकारना।  
 
# केवल काँग्रेस के स्वाधीनता संग्राम में जुटे, 'वी आर ए नेशन इन द मेकिंग We are a nation in the making' ऐसा लगने वाले नेताओं का महिमा मंडन करना। लगभग १५ वर्ष पूर्व प्रस्तुत लेखक ने ७वीं में पढ रही एक लडकी से प्रश्न पूछा था 'स्वाधीनता किस के कारण प्राप्त हुई ?' तुरंत उत्तर आया 'गांधीजी और नेहरूजी'।  
 
# केवल काँग्रेस के स्वाधीनता संग्राम में जुटे, 'वी आर ए नेशन इन द मेकिंग We are a nation in the making' ऐसा लगने वाले नेताओं का महिमा मंडन करना। लगभग १५ वर्ष पूर्व प्रस्तुत लेखक ने ७वीं में पढ रही एक लडकी से प्रश्न पूछा था 'स्वाधीनता किस के कारण प्राप्त हुई ?' तुरंत उत्तर आया 'गांधीजी और नेहरूजी'।  
# इस्लाम और ईसाई शासकों और आक्रमकों के हत्याकांडों, अत्याचारों, स्त्रियों पर बलात्कार, गुलाम बनाकर बेचना, तलवार के बल पर इस्लामीकरण और ईसाईकरण, कत्ले आम आदि को नकारना।  
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# वाह्य आक्रान्ताओं के हत्याकांडों, अत्याचारों, स्त्रियों पर बलात्कार, गुलाम बनाकर बेचना, तलवार के बल पर धर्मान्तरण, कत्ले आम आदि को नकारना।  
 
# एक आभासी साझी संस्कृति को जन्म देना।  
 
# एक आभासी साझी संस्कृति को जन्म देना।  
  

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