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# मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष है। परमात्मपद प्राप्ति है। कुटुम्ब के साथ, समाज के साथ, पर्यावरण के साथ, विश्व के साथ एकात्मता का विकास ही परमात्मपद प्राप्ति है। कुटुम्ब भावना का असीम विस्तार और विकास ही मोक्ष है।
 
# मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष है। परमात्मपद प्राप्ति है। कुटुम्ब के साथ, समाज के साथ, पर्यावरण के साथ, विश्व के साथ एकात्मता का विकास ही परमात्मपद प्राप्ति है। कुटुम्ब भावना का असीम विस्तार और विकास ही मोक्ष है।
 
उपर्युक्त जीवनदृष्टि के अनुसार भारतीय जीवनशैली के जो व्यवहार सूत्र बनते हैं वे निम्न हैं:
 
उपर्युक्त जीवनदृष्टि के अनुसार भारतीय जीवनशैली के जो व्यवहार सूत्र बनते हैं वे निम्न हैं:
# नर करनी करे तो नारायण बन जाए। जिस के परोपकार की कोई सीमा नहीं होती वह नारायण बन जाता है।
   
# आत्मवत् सर्वभूतेषु । मैं अपने लिए औरों से जैसे व्यवहार की अपेक्षा करता हूँ वैसा ही व्यवहार मैं औरों से करूँ। इसी का विस्तार है – मातृवत परदारेषु, काष्ठवत परद्रव्येषु आदि।
 
# आत्मवत् सर्वभूतेषु । मैं अपने लिए औरों से जैसे व्यवहार की अपेक्षा करता हूँ वैसा ही व्यवहार मैं औरों से करूँ। इसी का विस्तार है – मातृवत परदारेषु, काष्ठवत परद्रव्येषु आदि।
 
# सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सब सुखी हों। सबका स्वास्थ्य अच्छा रहे।
 
# सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सब सुखी हों। सबका स्वास्थ्य अच्छा रहे।

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