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== मान्यताओं की बुद्धियुक्तता ==
 
== मान्यताओं की बुद्धियुक्तता ==
किसी भी विषय का प्रारम्भ तो कुछ मान्यताओं से ही होता है। अतः मान्यता तो सभी समाजों की होती हैं। मनुष्य एक बुद्धिशील जीव है। अतः मनुष्य को जो मान्यताएँ बुद्धियुक्त लगें, उन्हें मानना चाहिए। विश्व निर्माण की धार्मिक  मान्यता को स्वीकार करने पर प्रश्नों के बुद्धियुक्त उत्तर प्राप्त हो जाते हैं। अतः इन मान्यताओं पर विश्वास रखना तथा इन्हें मानकर व्यवहार करना अधिक उचित है। धार्मिक  [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान] यह मानता है कि सृष्टि की रचना की गयी है। यह करने वाला परमात्मा है। जिस प्रकार से मकडी अपने शरीर से ही अपने जाल के तंतु निर्माण कर उसी में निवास करती है, उसी तरह से इस परमात्मा ने सृष्टि को अपने में से ही बनाया है और उसी में वास करा रहा है। अतः चराचर सृष्टि के कण कण में परमात्मा है।   
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किसी भी विषय का प्रारम्भ तो कुछ मान्यताओं से ही होता है। अतः मान्यता तो सभी समाजों की होती हैं। मनुष्य एक बुद्धिशील जीव है। अतः मनुष्य को जो मान्यताएँ बुद्धियुक्त लगें, उन्हें मानना चाहिए। विश्व निर्माण की धार्मिक  मान्यता को स्वीकार करने पर प्रश्नों के बुद्धियुक्त उत्तर प्राप्त हो जाते हैं। अतः इन मान्यताओं पर विश्वास रखना तथा इन्हें मानकर व्यवहार करना अधिक उचित है। धार्मिक  [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]] यह मानता है कि सृष्टि की रचना की गयी है। यह करने वाला परमात्मा है। जिस प्रकार से मकडी अपने शरीर से ही अपने जाल के तंतु निर्माण कर उसी में निवास करती है, उसी तरह से इस परमात्मा ने सृष्टि को अपने में से ही बनाया है और उसी में वास करा रहा है। अतः चराचर सृष्टि के कण कण में परमात्मा है।   
    
== जीवन का आधार ==
 
== जीवन का आधार ==
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८. जोपासना घटकत्वाची, लेखक दिलीप कुलकर्णी, संतुलन प्रकाशन, कुडावले, दापोली
 
८. जोपासना घटकत्वाची, लेखक दिलीप कुलकर्णी, संतुलन प्रकाशन, कुडावले, दापोली
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९. [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान] और [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान], लेखक – गुरुदत्त, प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन, नई दिल्ली
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९. [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]] और [[Dharmik_Science_and_Technology_(धार्मिक_विज्ञान_एवं_तन्त्रज्ञान_दृष्टि)|विज्ञान]], लेखक – गुरुदत्त, प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन, नई दिल्ली
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान - भाग १)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान - भाग १)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]

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