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== प्रस्तावना ==
 
== प्रस्तावना ==
समाज में एक विचार है - दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पडेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पडेगा। यह गीत की पंक्तियाँ जीने की विवशता बतातीं हैं। तो दूसरा विचार है कि मानव जन्म यह दुर्लभ है। यह हमें अपने जीवन का जो लक्ष्य “मोक्ष” है उसकी प्राप्ति के प्रयासों के लिए मिला हुआ सर्वश्रेष्ठ अवसर है। जीना मजबूरी है ऐसा मानना यह विकृत शिक्षा का लक्षण है।  
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समाज में एक विचार है - दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा। यह गीत की पंक्तियाँ जीने की विवशता बतातीं हैं। तो दूसरा विचार है कि मानव जन्म यह दुर्लभ है। यह हमें अपने जीवन का जो लक्ष्य “मोक्ष” है उसकी प्राप्ति के प्रयासों के लिए मिला हुआ सर्वश्रेष्ठ अवसर है। जीना मजबूरी है ऐसा मानना यह विकृत शिक्षा का लक्षण है।  
    
मानव को परमात्मा ने अन्य प्राणियों से स्वरयंत्र, मन, बुद्धि जैसी कुछ विशेष नेमतें दीं हैं। प्राणी जीवन अव्यवस्थित होता है। अनिश्चितताओं से भरा होता है। मनुष्य अपनी परमात्मा प्रदत्त क्षमताओं के आधारपर जीवन को व्यवस्थित बनाकर अनिश्चितताओं से मुक्ति पा सकता है। इसी कारण विश्वभर में मानवों ने अपनी अपनी व्यवस्थाएं निर्माण की हैं।  
 
मानव को परमात्मा ने अन्य प्राणियों से स्वरयंत्र, मन, बुद्धि जैसी कुछ विशेष नेमतें दीं हैं। प्राणी जीवन अव्यवस्थित होता है। अनिश्चितताओं से भरा होता है। मनुष्य अपनी परमात्मा प्रदत्त क्षमताओं के आधारपर जीवन को व्यवस्थित बनाकर अनिश्चितताओं से मुक्ति पा सकता है। इसी कारण विश्वभर में मानवों ने अपनी अपनी व्यवस्थाएं निर्माण की हैं।  

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