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==== आश्रमपरिसरः || Hermitage ====
 
==== आश्रमपरिसरः || Hermitage ====
कुशचीरपरिक्षिप्तं ब्राह्म्या लक्ष्म्या समावृतम्।
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कुशचीरपरिक्षिप्तं ब्राह्म्या लक्ष्म्या समावृतम्।
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यथा प्रदीप्तं दुर्दर्शं गगने सूर्यमण्डलम्।।3.1.2।।
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यथा प्रदीप्तं दुर्दर्शं गगने सूर्यमण्डलम्।।3.1.2।।
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शरण्यं सर्वभूतानां सुसम्मृष्टाजिरं सदा।
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शरण्यं सर्वभूतानां सुसम्मृष्टाजिरं सदा।
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मृगैर्बहुभिराकीर्णं पक्षिसङ्घैस्समावृतम्।।3.1.3।।
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मृगैर्बहुभिराकीर्णं पक्षिसङ्घैस्समावृतम्।।3.1.3।।
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पूजितं च प्रनृत्तं च नित्यमप्सरसां गणैः।
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पूजितं च प्रनृत्तं च नित्यमप्सरसां गणैः।
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विशालैरग्निशरणैः स्रुग्भाण्डैरजिनैः कुशैः।।3.1.4।।
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विशालैरग्निशरणैः स्रुग्भाण्डैरजिनैः कुशैः।।3.1.4।।
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समिद्भिस्तोयकलशैः फलमूलैश्च शोभितम्।
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समिद्भिस्तोयकलशैः फलमूलैश्च शोभितम्।
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आरण्यैश्च महावृक्षैः पुण्यैस्स्वादुफलैर्वृतम्।।3.1.5।।
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आरण्यैश्च महावृक्षैः पुण्यैस्स्वादुफलैर्वृतम्।।3.1.5।।
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बलिहोमार्चितं पुण्यं ब्रह्मघोषनिनादितम्।
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बलिहोमार्चितं पुण्यं ब्रह्मघोषनिनादितम्।
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पुष्पैश्चान्यैः परिक्षिप्तं पद्मिन्या च सपद्मया।।3.1.6।।
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पुष्पैश्चान्यैः परिक्षिप्तं पद्मिन्या च सपद्मया।।3.1.6।।
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फलमूलाशनैर्दान्तैश्चीरकृष्णाजिनाम्बरैः।
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फलमूलाशनैर्दान्तैश्चीरकृष्णाजिनाम्बरैः।
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सूर्यवैश्वानराभैश्च पुराणैर्मुनिभिर्वुतम्।।3.1.7।।
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सूर्यवैश्वानराभैश्च पुराणैर्मुनिभिर्वुतम्।।3.1.7।।
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पुण्यैश्च नियताहारैः शोभितं परमर्षिभिः।
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पुण्यैश्च नियताहारैः शोभितं परमर्षिभिः।
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तद्ब्रह्मभवनप्रख्यं ब्रह्मघोषनिनादितम्।।3.1.8।।
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तद्ब्रह्मभवनप्रख्यं ब्रह्मघोषनिनादितम्।।3.1.8।।
    
ब्रह्मविद्भिर्महाभागैर्ब्राह्मणैरुपशोभितम्।
 
ब्रह्मविद्भिर्महाभागैर्ब्राह्मणैरुपशोभितम्।

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