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हेप्पी प्लानेट इंडेक्स ( एचपीआई ) मानव कल्याण और पर्यावरणीय प्रभाव का सूचकांक है जिसे जुलाई २००६ में न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन (एनईएफ) द्वारा शुरू किया गया था।
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हेप्पी प्लानेट इंडेक्स ( एचपीआई ) मानव कल्याण और पर्यावरणीय प्रभाव का सूचकांक है जिसे जुलाई २००६ में न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन (एनईएफ) द्वारा आरम्भ किया गया था।
    
यह सूचकांक देश के विकास के लिए अच्छी तरह से स्थापित इंडेक्स, जैसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कि स्थायीत्व को ध्यान में नहीं रखते हैं। विशेष रूप से, जीडीपी को अनुचित रूप में देखा जाता है, क्योंकि अधिकांश लोगों का सामान्य उद्देश्य अंतिम रूप से अमीर होना नहीं चाहिए, लेकिन खुश और स्वस्थ रहना होना चाहिये। इसके अलावा, यह माना जाता है कि टिकाऊ विकास की धारणा के लिए पर्यावरणीय लागत आवश्यक है।
 
यह सूचकांक देश के विकास के लिए अच्छी तरह से स्थापित इंडेक्स, जैसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कि स्थायीत्व को ध्यान में नहीं रखते हैं। विशेष रूप से, जीडीपी को अनुचित रूप में देखा जाता है, क्योंकि अधिकांश लोगों का सामान्य उद्देश्य अंतिम रूप से अमीर होना नहीं चाहिए, लेकिन खुश और स्वस्थ रहना होना चाहिये। इसके अलावा, यह माना जाता है कि टिकाऊ विकास की धारणा के लिए पर्यावरणीय लागत आवश्यक है।
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एचपीआई सामान्य उपयोगितावादी सिद्धांतों पर आधारित है जैसे कि ज्यादातर लोग लंबे और सफल जीवन को जीना चाहते हैं, और जो देश अपने नागरिकों को भविष्य की पीढी के और अन्य देशो के लोगों के अवसरों को भंग किए बिना ऐसा करने की अनुमति देता है वह श्रेष्ठ है।
 
एचपीआई सामान्य उपयोगितावादी सिद्धांतों पर आधारित है जैसे कि ज्यादातर लोग लंबे और सफल जीवन को जीना चाहते हैं, और जो देश अपने नागरिकों को भविष्य की पीढी के और अन्य देशो के लोगों के अवसरों को भंग किए बिना ऐसा करने की अनुमति देता है वह श्रेष्ठ है।
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मानव कल्याण को सुखी जीवन की अपेक्षा के रूप में शुरू किया गया है। प्रकृति का निष्कर्षण या लगाव का प्रतीनिधित्व प्रति व्यक्ति उसके उपभोग करने पर निर्भर करता है, इससे देश की जीवनशैली को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का अनुमान लगाने का प्रयास कीया जा सकता है। जिस देश का उपभोग प्रति व्यक्ति ज्यादा होगा, वह अन्य देशों के संसाधनों को खींचकर, संसाधनों के अपने उचित हिस्से से ज्यादा और अधिक से अधिक का उपभोग करता है, और भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित करने वाले ग्रह को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है।
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मानव कल्याण को सुखी जीवन की अपेक्षा के रूप में आरम्भ किया गया है। प्रकृति का निष्कर्षण या लगाव का प्रतीनिधित्व प्रति व्यक्ति उसके उपभोग करने पर निर्भर करता है, इससे देश की जीवनशैली को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का अनुमान लगाने का प्रयास कीया जा सकता है। जिस देश का उपभोग प्रति व्यक्ति ज्यादा होगा, वह अन्य देशों के संसाधनों को खींचकर, संसाधनों के अपने उचित हिस्से से ज्यादा और अधिक से अधिक का उपभोग करता है, और भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित करने वाले ग्रह को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है।
    
एचपीआई दुनिया में सबसे खुशहाल देश कौन है, इसका मापन नहीं है। इसमें दूसरे देशो के सापेक्ष में उच्च स्तरीय जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में सबसे उपर (६ वें स्थान पर कोलंबिया) और कम जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में बहुत नीचे (११४ वें स्थान पर) पाया जाता हैं।एचपीआई किसी देश में अच्छा जीवन जीने का समर्थन करने की पर्यावरणीय क्षमता का सबसे अच्छा मापन माना जाता है।
 
एचपीआई दुनिया में सबसे खुशहाल देश कौन है, इसका मापन नहीं है। इसमें दूसरे देशो के सापेक्ष में उच्च स्तरीय जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में सबसे उपर (६ वें स्थान पर कोलंबिया) और कम जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में बहुत नीचे (११४ वें स्थान पर) पाया जाता हैं।एचपीआई किसी देश में अच्छा जीवन जीने का समर्थन करने की पर्यावरणीय क्षमता का सबसे अच्छा मापन माना जाता है।

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