Difference between revisions of "सुखी ग्रह सूचकांक (पृथ्वी)"

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<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
 
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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Revision as of 21:46, 24 June 2020

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हेप्पी प्लानेट इंडेक्स ( एचपीआई ) मानव कल्याण और पर्यावरणीय प्रभाव का सूचकांक है जिसे जुलाई २००६ में न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन (एनईएफ) द्वारा शुरू किया गया था।

यह सूचकांक देश के विकास के लिए अच्छी तरह से स्थापित इंडेक्स, जैसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कि स्थायीत्व को ध्यान में नहीं रखते हैं। विशेष रूप से, जीडीपी को अनुचित रूप में देखा जाता है, क्योंकि अधिकांश लोगों का सामान्य उद्देश्य अंतिम रूप से अमीर होना नहीं चाहिए, लेकिन खुश और स्वस्थ रहना होना चाहिये। इसके अलावा, यह माना जाता है कि टिकाऊ विकास की धारणा के लिए पर्यावरणीय लागत आवश्यक है।

२००६ में सर्वेक्षण किए गए १७८ देशों में से, वानुअतु , कोलम्बिया , कोस्टा रिका , डोमिनिका और पनामा सर्वश्रेष्ठ स्कोरिंग देशों में से एक थे, हालांकि वानुअतु सभी बाद के इंडेक्स में से अनुपस्थित हैं। २००९ में, कोस्टा रिका १४३ देशों में सबसे अच्छा स्कोरिंग देश था, इसके बाद डोमिनिकन गणराज्य , जमैका , ग्वाटेमाला और वियतनाम ने इसका मूल्यांकन किया।

२०१२ रैंकिंग के लिए, १५१ देशों की तुलना की गई, और दूसरी बार सबसे अच्छा स्कोरिंग देश कोस्टा रिका था, उसके बाद वियतनाम, कोलंबिया, बेलीज और एल सल्वाडोर २०१२ में सबसे कम रैंकिंग वाले देश बोत्सवाना, चाड और कतार थे।

कार्यपद्धति

एचपीआई सामान्य उपयोगितावादी सिद्धांतों पर आधारित है जैसे कि ज्यादातर लोग लंबे और सफल जीवन को जीना चाहते हैं, और जो देश अपने नागरिकों को भविष्य की पीढी के और अन्य देशो के लोगों के अवसरों को भंग किए बिना ऐसा करने की अनुमति देता है वह श्रेष्ठ है।

मानव कल्याण को सुखी जीवन की अपेक्षा के रूप में शुरू किया गया है। प्रकृति का निष्कर्षण या लगाव का प्रतीनिधित्व प्रति व्यक्ति उसके उपभोग करने पर निर्भर करता है, इससे देश की जीवनशैली को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का अनुमान लगाने का प्रयास कीया जा सकता है। जिस देश का उपभोग प्रति व्यक्ति ज्यादा होगा, वह अन्य देशों के संसाधनों को खींचकर, संसाधनों के अपने उचित हिस्से से ज्यादा और अधिक से अधिक का उपभोग करता है, और भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित करने वाले ग्रह को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है।

एचपीआई दुनिया में सबसे खुशहाल देश कौन है, इसका मापन नहीं है। इसमें दुसरे देशो के सापेक्ष में उच्च स्तरीय जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में सबसे उपर (६ वें स्थान पर कोलंबिया) और कम जीवन संतुष्टि वाला देश क्रम में बहुत नीचे (११४ वें स्थान पर) पाया जाता हैं।एचपीआई किसी देश में अच्छा जीवन जीने का समर्थन करने की पर्यावरणीय क्षमता का सबसे अच्छा मापन माना जाता है।

प्रत्येक देश का एचपीआई मूल्य अपनी औसत व्यक्तिगत जीवन संतुष्टि , जन्म के समय जीवन प्रत्याशा , और प्रति व्यक्ति उपभोग पर निर्भर करता है।

अंतराष्ट्रीय रैंकिंग

२०१६ रैंकिंग

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References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे