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इन संप्रदायों को भी धर्म कहते हैं।
 
इन संप्रदायों को भी धर्म कहते हैं।
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सृष्टि की धारणा हेतु मनुष्य को अपने में अनेक गुण विकसित करने होते हैं। ये सदुण कहे जाते हैं। ये सदुण भी धर्म के आयाम हैं। इसीलिए कहा गया है .
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सृष्टि की धारणा हेतु मनुष्य को अपने में अनेक गुण विकसित करने होते हैं। ये सदुण कहे जाते हैं। ये सदुण भी धर्म के आयाम हैं। इसीलिए कहा गया है:<ref>मनुस्‍मृति ६.९२</ref><blockquote>धृति: क्षमा दमोऽस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह:।</blockquote><blockquote>धीर्विद्या सत्‍यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्‌।।</blockquote>इन सभी आयामों में धर्म धारण करने का ही कार्य करता है। इन सभी धर्मों के पालन से व्यक्ति को और समष्टि को अभ्युदय और निःश्रेयस की प्राप्ति होती है। अभ्युद्य
 
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धृतिक्षमा दमोस्तेयम्‌ शौचमिन्दट्रिय निग्रह:।  
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धीर्विद्या सत्यमक्रो धो दशकं धर्म लक्षणम्‌।।
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इन सभी आयामों में धर्म धारण करने का ही कार्य करता है। इन सभी धर्मों के पालन से व्यक्ति को और समष्टि को अभ्युद्य और निःश्रेयस की प्राप्ति होती है। अभ्युद्य
      
का अर्थ है सर्व प्रकार की भौतिक समृद्धि और निःश्रेयस का अर्थ है आत्यन्तिक कल्याण |
 
का अर्थ है सर्व प्रकार की भौतिक समृद्धि और निःश्रेयस का अर्थ है आत्यन्तिक कल्याण |

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