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# जिस प्रकार यह कौशल रंग एवं रेखा का है, उसी तरह कल्पनाशीलता एवं सर्जनशीलता की अभिव्यक्ति का भी है। अतः दोनों दृष्टिकोण से यह क्रिया-कलाप करना चाहिए।  
 
# जिस प्रकार यह कौशल रंग एवं रेखा का है, उसी तरह कल्पनाशीलता एवं सर्जनशीलता की अभिव्यक्ति का भी है। अतः दोनों दृष्टिकोण से यह क्रिया-कलाप करना चाहिए।  
 
# रेखा खींचने का अभ्यास हो चुका है। अब रेखा का उपयोग अपने मन की कल्पना, भावना, सोच आदि को आकारबद्ध करने में करना है। इसके लिए वास्तविक जीवन की अलग अलग वस्तुओं को रेखाबद्ध करते समय जो पैमाना रखना महत्वपूर्ण है वह मनमें समाए उस दिशा में छात्रों को प्रेरित करना चाहिए।  
 
# रेखा खींचने का अभ्यास हो चुका है। अब रेखा का उपयोग अपने मन की कल्पना, भावना, सोच आदि को आकारबद्ध करने में करना है। इसके लिए वास्तविक जीवन की अलग अलग वस्तुओं को रेखाबद्ध करते समय जो पैमाना रखना महत्वपूर्ण है वह मनमें समाए उस दिशा में छात्रों को प्रेरित करना चाहिए।  
# इसमें हम हमेशा एक गलती करते आए हैं। वह यह कि हम छात्रों को अपने बनाए हुए चित्र के जैसा चित्र ही बनाने के लिए कहते हैं। देख देखकर अनुकरण करने से कल्पनाशक्ति या पैमाना दो में से एक भी विकसित नहीं होता है। एक अच्छा चित्र अनुकरण करके बनाया जाए इसकी अपेक्षा कल्पना से बनाया हुआ चित्र थोड़ा कम सुन्दर हो तो भी अच्छा है। बाह्य एवं उधार ली हुई सुन्दरता की अपेक्षा मौलिकता का महत्व हमेशा से अधिक रहा है। इस बात का खास ख्याल रखें।  
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# इसमें हम सदा एक गलती करते आए हैं। वह यह कि हम छात्रों को अपने बनाए हुए चित्र के जैसा चित्र ही बनाने के लिए कहते हैं। देख देखकर अनुकरण करने से कल्पनाशक्ति या पैमाना दो में से एक भी विकसित नहीं होता है। एक अच्छा चित्र अनुकरण करके बनाया जाए इसकी अपेक्षा कल्पना से बनाया हुआ चित्र थोड़ा कम सुन्दर हो तो भी अच्छा है। बाह्य एवं उधार ली हुई सुन्दरता की अपेक्षा मौलिकता का महत्व सदा से अधिक रहा है। इस बात का खास ख्याल रखें।  
 
# यदि अनुकरण ही करना है तो आसपास के पर्यावरण एवं विश्व में जो प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है उसका करना चाहिए। अनुकरण के लिए वस्तु को चुनने का अवकाश छात्रों को देना चाहिए। इसमें छात्रों को मार्गदर्शन एवं सहायता करना चाहिए; उनका नियंत्रण नहीं।
 
# यदि अनुकरण ही करना है तो आसपास के पर्यावरण एवं विश्व में जो प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है उसका करना चाहिए। अनुकरण के लिए वस्तु को चुनने का अवकाश छात्रों को देना चाहिए। इसमें छात्रों को मार्गदर्शन एवं सहायता करना चाहिए; उनका नियंत्रण नहीं।
 
# इसके बाद छात्रों को कल्पना से मौलिक दृश्य निर्माण के लिए कहना चाहिए।
 
# इसके बाद छात्रों को कल्पना से मौलिक दृश्य निर्माण के लिए कहना चाहिए।
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# मिट्टी खोदकर क्यारे तैयार करना : छोटी छोटी कुदालियों से मिट्टी खोदने का कार्य करवाएँ। छोटे फावड़े से खोदी हुई मिट्टी बाहर निकाल कर एक तरफ ढेर बनाएँ।
 
# मिट्टी खोदकर क्यारे तैयार करना : छोटी छोटी कुदालियों से मिट्टी खोदने का कार्य करवाएँ। छोटे फावड़े से खोदी हुई मिट्टी बाहर निकाल कर एक तरफ ढेर बनाएँ।
 
# मिट्टी साफ करना : मिट्टी में से कंकड़ पत्थर एवं अन्य हानिकारक वस्तुएँ चुन लें। व्यर्थ घास, खरपतवार आदि निकालकर मिट्टी को साफ करें। मिट्टी के ढेलों को हाथ या हथौड़ी से फोड़कर मिट्टी चूर चूर करें। स्वच्छ मिट्टी फिर से क्यारियों में डालें। क्यारियों के किनारे किनारे मेंड बनाएँ।
 
# मिट्टी साफ करना : मिट्टी में से कंकड़ पत्थर एवं अन्य हानिकारक वस्तुएँ चुन लें। व्यर्थ घास, खरपतवार आदि निकालकर मिट्टी को साफ करें। मिट्टी के ढेलों को हाथ या हथौड़ी से फोड़कर मिट्टी चूर चूर करें। स्वच्छ मिट्टी फिर से क्यारियों में डालें। क्यारियों के किनारे किनारे मेंड बनाएँ।
# क्यारियां तैयार करते समय मिट्टी में खाद मिलाएँ। खाद भी मिट्टी के समान ही बारीक होना चाहिए। खाद में कृत्रिम खाद का उपयोग कभी न करें। हमेशा गोबर या केंचुए द्वारा तैयार खाद ही लें।
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# क्यारियां तैयार करते समय मिट्टी में खाद मिलाएँ। खाद भी मिट्टी के समान ही बारीक होना चाहिए। खाद में कृत्रिम खाद का उपयोग कभी न करें। सदा गोबर या केंचुए द्वारा तैयार खाद ही लें।
 
# इसके बाद क्यारियों में मेथी, पालक, धनिया, राई, तुलसी, गेंदा इत्यादि पौधे लगाएँ। ये बीज या पौधे जल्दी उग जाते है एवं इनकी पत्तियाँ एवं फूल हमारे दैनिक उपयोग में लिए जा सकते हैं अतः इनका चयन किया गया है यह छात्रों को समझाएँ। बीज उगाने हों तो क्यारे उस नाप के बनाने चाहिए, पौधे उगाने हों तो उसके अनुरूप क्यारे बनाने चाहिए। इसके बाद अच्छी तरह समान दूरी पर, समान गहराई में बीज या पौधे लगाना चाहिए। अच्छी तरह मिट्टी डालकर पानी देना, एवं पौधों के बढ़ने की प्रक्रिया का निरीक्षण समय समय पर करते रहना, उसकी सफाई करते रहना, पानी देते रहना एवं इस विषय पर वार्तालाप भी करते रहना चाहिए। पौधे की सुरक्षा की व्यवस्था भी करना चाहिए।
 
# इसके बाद क्यारियों में मेथी, पालक, धनिया, राई, तुलसी, गेंदा इत्यादि पौधे लगाएँ। ये बीज या पौधे जल्दी उग जाते है एवं इनकी पत्तियाँ एवं फूल हमारे दैनिक उपयोग में लिए जा सकते हैं अतः इनका चयन किया गया है यह छात्रों को समझाएँ। बीज उगाने हों तो क्यारे उस नाप के बनाने चाहिए, पौधे उगाने हों तो उसके अनुरूप क्यारे बनाने चाहिए। इसके बाद अच्छी तरह समान दूरी पर, समान गहराई में बीज या पौधे लगाना चाहिए। अच्छी तरह मिट्टी डालकर पानी देना, एवं पौधों के बढ़ने की प्रक्रिया का निरीक्षण समय समय पर करते रहना, उसकी सफाई करते रहना, पानी देते रहना एवं इस विषय पर वार्तालाप भी करते रहना चाहिए। पौधे की सुरक्षा की व्यवस्था भी करना चाहिए।
 
# पौधे तैयार हो जाने पर पत्ते या फूल चुनना चाहिए। पत्ते का अल्पाहार बनाने में, एवं फूलों का पुष्पगुच्छ या माला बनाने में उपयोग करें।  
 
# पौधे तैयार हो जाने पर पत्ते या फूल चुनना चाहिए। पत्ते का अल्पाहार बनाने में, एवं फूलों का पुष्पगुच्छ या माला बनाने में उपयोग करें।  

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