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9.  संक्षेप में भोजन करने का एक विस्तृत शाख्र है । इस शास्त्र का अनुसरण किये बिना भोजन करना अवैज्ञानिक है ।
 
9.  संक्षेप में भोजन करने का एक विस्तृत शाख्र है । इस शास्त्र का अनुसरण किये बिना भोजन करना अवैज्ञानिक है ।
 
==== वसख्त्रपरिधान में वैज्ञानिकता ====
 
==== वसख्त्रपरिधान में वैज्ञानिकता ====
१. अन्न की तरह वस्त्र भी हमारे दैनन्दिन जीवन का अनिवार्य अंग है । इसका शास्त्रीय पद्धति से विचार करना ही चाहिये ।  
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अन्न की तरह वस्त्र भी हमारे दैनन्दिन जीवन का अनिवार्य अंग है । इसका शास्त्रीय पद्धति से विचार करना ही चाहिये ।  
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२.. सूती वस्त्र पहनना वैज्ञानिक है सिन्थेटिक पहनना और थैले, मेजपोश, सोफाकवर, पर्दे आदि में भी अवैज्ञानिक क्योंकि सूती वस्त्र शरीर का रक्षण करते हैं सूती का स्थान सिन्थेटिक कपडे ने लिया है । अब जबकि सिन्थेटिक वस्त्र स्वास्थ्य के लिये हानिकारक तो सूती माँगने पर भी दुकानदार सूती जैसे लगने वाले हैं । सिन्थेटिक वस्र आकर्षक लगते हैं, सस्ते मिलते हैं, धोने में सुविधा है, प्रैस नहीं करने पड़ते, परन्तु वस्त्रों से स्वास्थ्य का रक्षण करना ही महत्त्वपूर्ण है ।  सुविधा नहीं, स्वास्थ्य के अविरोधी सुविधा का . विचार करना वैज्ञानिकता है ।  
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सूती वस्त्र पहनना वैज्ञानिक है सिन्थेटिक पहनना अवैज्ञानिक क्योंकि सूती वस्त्र शरीर का रक्षण करते हैं जबकि सिन्थेटिक वस्त्र स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं । सिन्थेटिक वस्त्र आकर्षक लगते हैं, सस्ते मिलते हैं, धोने में सुविधा है, प्रैस नहीं करने पडते, परन्तु वस्त्रों से स्वास्थ्य का रक्षण करना ही महत्त्वपूर्ण है। सुविधा नहीं, स्वास्थ्य के अविरोधी सुविधा का विचार करना वैज्ञानिकता है।
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वस्त्र स्वास्थ्यरक्षा के साथ साथ शील रक्षा के लिये, लज्जारक्षा के लिये भी होते हैं । शरीर स्वास्थ्य के लिये उपयोगी सूती वस्त्र भी शीलरक्षा नहीं कर सकते तो उन्हें पहनना अवैज्ञानिक है ।
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कारखाने में बने तैयार कपडे पहनने वाले लोग अनेक कारीगरों को बेरोजगार बनाने में निमित्त बनते हैं। किसी की रोजगारी छीन लेना, किसी की आर्थिक स्वतन्त्रता नष्ट करना हिंसा है। ऐसे वस्त्र पहनना हिंसा है। हिंसा कभी वैज्ञानिक नहीं हो सकती । इसलिये विशालकाय यंत्र, केन्द्रीकृत उत्पादन प्रक्रिया और विज्ञापन तथा परिवहन आधारित वितरणव्यवस्था से गुजर कर बने हुए वस्त्र पहनना अवैज्ञानिक है। 
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जिस प्रकार सूती के स्थान पर सिन्थेटिक वस्त्र होते हैं उस प्रकार रेशमी और गरम कपड़ों के स्थान पर भी सिन्थेटिक कपड़े होते हैं। इनका प्रचलन इतना बढ़ गया है कि अधिकांश लोगों को इसकी कल्पना तक नहीं होती। ये कपड़े मोजे, स्वेटर, शाल आदि के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं । इनका प्रयोग करना भी अवैज्ञानिक ही है। 
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बालक-बालिका, किशोर-किशोरी, युवक-युवती जो तंग कपड़े पहनते हैं उनसे उनके स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचता है। ऐसे कपड़े पहनना अवैज्ञानिक है। 
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कपड़ा पहनने के लिये तो काम में आता ही है, साथ में उसके अन्य अनेक उपयोग हैं। बिस्तर, बिछाने ओढने की चादर, दरी, विभिन्न प्रकार की थैलियाँ और थैले, मेजपोश, सोफाकवर, पर्दे आदि में भी सूती का स्थान सिन्थेटिक कपडे ने लिया है। अब तो सूती माँगने पर भी दुकानदार सूती जैसे लगने वाले सिन्थेटिक कपडे देते हैं । वे इतने सूती जैसे लगते हैं कि अधिकांश ग्राहक इन्हें पहचान भी नहीं सकते इनका प्रयोग करना भी अवैज्ञानिक ही है। 
    
==== अलंकार, सौन्दर्यप्रसाधन, अन्य छोटी मोटी वस्तुओं में वैज्ञानिकता ====
 
==== अलंकार, सौन्दर्यप्रसाधन, अन्य छोटी मोटी वस्तुओं में वैज्ञानिकता ====
३... वख स्वास्थ्यरक्षा के साथ साथ शील रक्षा के लिये, ... उस्तुओं में वैज्ञानिकता
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विद्यार्थियों के बस्ते का थैला, जूते, रबड, पेन्सिल, लेखन पुस्तिका और पठनपुस्तिका के आवरण, कंपास पेटिका, नास्ते का डिब्बा, पानी की बोतल यदि प्राकृतिक के स्थान पर सिन्थेटिक है तो उनका प्रयोग करना अवैज्ञानिक है।
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नहाने और धोने का साबुन, कपडे धोने का पाउडर, बाल धोने का शेम्पू, क्रीम, पाउडर, नेल पॉलिश, हाथ के और गले के अलंकार यदि सिन्थेटिक है तो उनका प्रयोग अवैज्ञानिक है।
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मेहंदी, रबर बैण्ड, बिन्दी, पिन, बकल टेटू आदि में से आज कुछ भी प्राकृतिक नहीं है। इनका प्रयोग करना अवैज्ञानिक है। ऊँची एडी के सैण्डल का प्रयोग अवैज्ञानिक है।
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==== दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या में वैज्ञानिकता ====
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दिनचर्या में सोना, जागना, अध्ययन करना, काम करना, भोजन करना आदि के उचित समय का पालन करना मुख्य बात है। दिन के चौबीस घण्टों का समय विभिन्न क्रियाकलापों के लिये उचित या अनुचित होता है। उचित है तो वैज्ञानिक है, अनुचित है तो अवैज्ञानिक है।
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लजारक्षा के लिये भी होते हैं । शरीर स्वास्थ्य के... १... विद्यार्थियों के बस्ते का थैला, जूते, रबड, पेन्सिल,
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रात्रि में देर से सोना और सुबह देर से उठना शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है इसलिए अवैज्ञानिक है।
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लिये उपयोगी सूती वस्त्र भी शीलरक्षा नहीं कर सकते लेखन पुस्तिका और पठनपुस्तिका के आवरण,
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रात्रि में बारह बजे से पूर्व की एक घंटे की नींद बारह बजे के बाद की दो घण्टे की नींद के बराबर होती है । इसलिये जल्दी सोने से कम समय सोने पर भी अधिक नींद मिलती है ।
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तो उन्हें पहनना अवैज्ञानिक है । कंपास पेटिका, नास्ते का डिब्बा, पानी की बोतल
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रात्रि में सोने के समय का सायंकाल के भोजन के समय के साथ सम्बन्ध है । सायंकाल को किया हुआ भोजन पच जाने के बाद ही सोना चाहिये । भोजन पचने से पहले सोना स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त हानिकारक है । सायंकाल को सूर्यास्त से पूर्व भोजन करना चाहिये यह हमने भोजन की चर्चा करते समय देखा है। सायंकाल का भोजन हल्का ही होना चाहिये जिसे पचने में ढाई घण्टे से अधिक समय न लगे । सायंकाल के भोजन का समय ऋतु के अनुसार छः से लेकर साडे सात का होता है । अतः सोने का समय रात्रि में साडे आठ से दस बजे का है । दस से अधिक देरी कभी भी नहीं होनी चाहिये ।
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¥. कारखाने में बने तैयार कपडे पहनने वाले लोग अनेक यदि प्राकृतिक के स्थान पर सिन्थेटिक है तो उनका
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हम देखते हैं कि हमारी काम करने की व्यवस्था और पद्धति, टीवी कार्यक्रमों का समय, भोजन का समय हमें रात्रि में उचित समय पर सोने नहीं देते । नींद की गुणवत्ता खराब होने का प्रारम्भ वहीं से हो जाता है। सोते समय दूध पीने की, प्राणायाम और ध्यान करने की या प्रार्थना करने की प्रवृत्ति नहीं रही तो शान्त और गहरी निद्रा नहीं आती । शान्त, गहरी, सुखकारक निद्रा नहीं हुई तो चेतातन्त्र का तनाव बढता है और मन की अशान्ति, रक्तचाप आदि पैदा होते हैं । इसलिये पहला नियम रात्रि में जल्दी सोने का है।
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कारीगरों को बेरोजगार बनाने में निमित्त बनते हैं प्रयोग करना अवैज्ञानिक है ।
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रात्रि में जल्दी सोने से स्वाभाविक रूप में ही प्रातःकाल जल्दी उठा जा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति को आयु के अनुसार छः से आठ घण्टे की नींद चाहिये । रात्रि में नौ बजे सोयें तो प्रातः तीन से पाँच बजे तक उठा जाता है। प्रातःकाल जगने का समय सूर्योदय से कम से कम चार घडी और अधिक से अधिक छः घडी होता है एक घडी चौबीस मिनिट की होती है । अतः सूर्योदय से लगभग देढ से सवा दो घण्टे पूर्व जगना चाहिये । सूर्योदय ऋतु अनुसार प्रातः साड़े पाँच से साढ़े सात बजे तक होता है । अतः प्रातः जगने का समय साडे तीन से लेकर साडे पाँच बजे तक का होता है। जिन्हे आठ या छः घण्टे की अवधि चाहिये । उन्होंने इस प्रकार गिनती कर रात्रि में सोने का समय निश्चित करना चाहिये।
    
किसी की रोजगारी छीन लेना, किसी की आर्थिक... २... नहाने और धोने का साबुन, कपडे धोने का पाउडर,
 
किसी की रोजगारी छीन लेना, किसी की आर्थिक... २... नहाने और धोने का साबुन, कपडे धोने का पाउडर,
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