Difference between revisions of "शिक्षक, विद्यार्थी एवं अध्ययन"

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[[Category:भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप]]
 
 
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Revision as of 23:20, 4 March 2020

समस्त शिक्षा प्रक्रिया में केन्द्रवर्ती कारक हैं शिक्षक और विद्यार्थी[1]। भारतीय विचार में ये दो होने पर भी दो नहीं है, एक ही हैं । ऐसा एकत्व स्थापित होने पर ही शिक्षा सार्थक होती है । इन दोनों में एकत्व स्थापित करने वाली प्रक्रियाही अध्ययन है । यहाँ अध्ययन में अध्यापन भी निहित है। शिक्षक और विद्यार्थी का एकत्व स्थापित करने वाली प्रक्रिया ही अध्ययन है । एक व्यक्ति को विद्यार्थी बनने हेतु बहुत कुछ करना होता है, बहुत कुछ होना होता है । यही बात एक व्यक्ति को शिक्षक बनने में भी है । विद्यार्थी और शिक्षक की पात्रता और सिद्धता पर ही अध्ययन की उत्कृष्ठता और श्रेष्ठता का आधार है ।

शिक्षा के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अच्छे विद्यार्थी और अच्छे शिक्षक के सन्दर्भ में यहाँ की गई बातें पचाना कठिन हो सकता है परन्तु विकास के लिये आवश्यक तो लगेगा ही। हमारे शिक्षाजगत में यदि इन बातों का स्वीकार हो जाता है तो शिक्षा की और उसके परिणाम स्वरूप समाज की स्थिति में भारी गुणात्मक अन्तर आयेगा यह निश्चित है।

References

  1. भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला १), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे