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'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
 
'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
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मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पडेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा।
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मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पड़ेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा।
    
मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है।
 
मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है।

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