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'''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगोंं से इसकी चर्चा की। कुछ लोगोंं को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये ।
 
'''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगोंं से इसकी चर्चा की। कुछ लोगोंं को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये ।
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'''प्रशासक''' : मुझे एक विचार आ रहा है। हमारे सारे राष्ट्रीय संकटों की जड दो सौ वर्षों का ब्रिटीशों का आधिपत्य ही है। उस कालखण्ड में उन्होंने हमारे सारे विषयों के पाठ्यक्रम और स्वरूप बदल दिये । इतिहास भी फिर से लिखा ताकि हमें भविष्य में कुछ पता ही न चले। हमारी व्यवस्थायें छिन्नभिन्न कर दी । इसलिये मुझे लगता है कि हमें इन दो सौ वर्षों का प्रमाणभूत इतिहास पुनः लिखना चाहिये । हमें इसके लिये पर्याप्त अनुसन्धान भी करना होगा। हम किसी अच्छे विश्वविद्यालय को यह प्रकल्प दे सकते हैं और उसके लिये सहायता भी कर सकते हैं।
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'''प्रशासक''' : मुझे एक विचार आ रहा है। हमारे सारे राष्ट्रीय संकटों की जड़ दो सौ वर्षों का ब्रिटीशों का आधिपत्य ही है। उस कालखण्ड में उन्होंने हमारे सारे विषयों के पाठ्यक्रम और स्वरूप बदल दिये । इतिहास भी फिर से लिखा ताकि हमें भविष्य में कुछ पता ही न चले। हमारी व्यवस्थायें छिन्नभिन्न कर दी । इसलिये मुझे लगता है कि हमें इन दो सौ वर्षों का प्रमाणभूत इतिहास पुनः लिखना चाहिये । हमें इसके लिये पर्याप्त अनुसन्धान भी करना होगा। हम किसी अच्छे विश्वविद्यालय को यह प्रकल्प दे सकते हैं और उसके लिये सहायता भी कर सकते हैं।
    
दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे।
 
दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे।
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'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
 
'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
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मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पडेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा।
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मैं एकबार पुनः स्पष्टता करता हूँ कि यह विश्वविद्यालय केवल भारत के लिये नहीं है, मुख्य रूप से यह विश्व के लिये है। विश्व जिन भीषण संकटों से घिरा हुआ है उसका निवारण करने हेतु वह अपने तरीके से प्रयास तो कर रहा है, परन्तु उसमें उसे यश नहीं मिल रहा है। हमारा पक्का विश्वास है कि पश्चिम को उसके प्रयास में यश मिल ही नहीं सकता क्योंकि उसकी जीवनशैली ही सारे संकटों का मूल है । वह अपनी शैली छोडना नहीं चाहता और संकट दूर करना चाहता है । ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकती । हमें पक्का विश्वास यह भी है कि भारत की जीवनदृष्टि इन संकटों का निवारण कर सकती है । परन्तु इसके लिये भारत को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त होना पड़ेगा। आज तो भारत की स्थिति भी चिन्ताजनक है । इसलिये हमें भारत अध्ययन केन्द्र और विश्वअध्ययन केन्द्र बनाने पड़ेंगे । प्रथम भारत को पश्चिम के प्रभाव से मुक्त करना और बाद में भारत विश्व को संकटों से मुक्ति का मार्ग दिखायेगा । दोनों काम साथ साथ चलेंगे । इस कार्य में पश्चिम को भी तो साथ में लेना होगा।
    
मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है।
 
मैंने संक्षेप में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का विचार आपके सामने रखा है। मैं पुनः एक बार बता दें कि हमारा आदर्श हार्वर्ड विश्वविद्यालय नहीं अपितु तक्षशिला विद्यापीठ रहेगा । हम आपसे सहयोग और समर्थन दोनों चाहते हैं। वह प्राप्त होगा ही ऐसा विश्वास अब होने लगा है।

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