Difference between revisions of "शारीरिक शिक्षा के आयाम - कसरत"

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=== सूर्यनमस्कार करने की विधि ===
 
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<blockquote>'''उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।'''</blockquote><blockquote>'''पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ॥'''</blockquote>अर्थ :- प्रत्येक नमस्कार के समय  १) मस्तक २) छाती ३) दोनों हाथ ४) दोनों घुटने ५) दोनों पाँव ६) दृष्टी ७) वाणी और ८) मन सभी अष्टांग से होने वाला नमस्कार |
 
<blockquote>'''उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।'''</blockquote><blockquote>'''पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ॥'''</blockquote>अर्थ :- प्रत्येक नमस्कार के समय  १) मस्तक २) छाती ३) दोनों हाथ ४) दोनों घुटने ५) दोनों पाँव ६) दृष्टी ७) वाणी और ८) मन सभी अष्टांग से होने वाला नमस्कार |
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Revision as of 21:11, 8 July 2021

कसरत शब्द का उच्चारण होते ही हमारे मन में तुरंत आज के परिवेश में होने वाली पाश्चात्य कसरत ( एक्सरसाइज ) दिमाग में आ जाता है | परन्तु वह हमारे लिए नहीं है हमारे संस्कृति , सभ्यता एवं वातावरण के अनुसार बहुत ही नुकसान देय है | भारत का वातावरण एवं मैसम सामान्य है इसलिए यहाँ पर सामान्य कसरत , अखाड़े , दंगल , योग साधना , और शारीर को सामान्य रखने के लिए मौसम अनुसार जदिबुतियों का पूर्व काल में प्रचालन रहा | विदेशी आक्रमण एवं शासन के कारण बाहरी सभ्यता एवं जीवन शैली को अपनाकर हमने अपनी जीवन शैली को ख़राब कर दिया है | जिसके परिणाम आज दिखने लगे है | बच्चो में पौष्टिकता का आभाव , उम्र से पहले बुढ़ापा , सुस्त जीवन शैली , आलस्य , रोग प्रतिकारक छमता की कमी इत्यादी .. यह सभी हमने स्वयं पालकर रखा है |

निवारण

इन सभी दुर्गुणों से बचने का एक ही मार्ग है | भारतीय जीवन शैली जिन्हें हमारे पूर्वजो ने संभालकर रखा था परन्तु विकास के नामपर हमने उन सभी अमूल्य चीजो एवं विचारों को खो दिया है |

कसरत के प्रकार

  • सभी कसरतो में सबसे महत्वपूर्ण कसरत है सूर्यनमस्कार | इसे सभी उम्र के लोग कर सकते है पुरुष हो या महिला |
  • ८ वर्ष से १२ वर्ष के उम्र के लोगो ने २० से २५ सूर्यनमस्कार करना चाहिए
  • १३ वर्ष से १६ वर्ष तक के उम्र के लोगो ने ५० से १०० सूर्यनमस्कार करना चाहिए
  • १७ वर्ष से ५० वर्ष के लोगो ने १०० से ३०० सूर्यनमस्कार करना चाहिए
  • ८ वर्ष से कम और ५० वर्ष से अधिक के लोगो ने छमता नुसार करना चाहिए

सूर्यनमस्कार करने की विधि

उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।

पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ॥

अर्थ :- प्रत्येक नमस्कार के समय १) मस्तक २) छाती ३) दोनों हाथ ४) दोनों घुटने ५) दोनों पाँव ६) दृष्टी ७) वाणी और ८) मन सभी अष्टांग से होने वाला नमस्कार |

सूर्य बीव.jpg

साधारण दंड

Dand 1.png
Dand 2.png
Dand 3.png

References