Difference between revisions of "वैश्विक लिंग गैप रिपोर्ट"

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ग्लोबल जेन्डर गैप रिपोर्ट को पहली बार २००६ में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित किया गया था। २०१६ की रिपोर्ट में १४४ प्रमुख और उभरती हई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं । ग्लोबल लैंगिक गेप इंडेक्स लैंगिक समानता को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया सूचकांक है।
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रिपोर्ट की लिंग गैप इंडेक्सगणना लिंग अंतर के अनुसार देशों का रैंकिंग करती है। धारणा यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ कम लाभान्वित है और जहाँ महिलाओं को परंपरागत तौर पर पुरुषों जैसे लाभों से वंचित रखा जा सकें ऐसे ही कदम उठाये जाते है वहाँ महिलाओं  के लाभ हो सके इस प्रकार से लिंग असंतुलन के बारे में सही जानकारी देने से रोका जा रहा है। उदाहरण के लिए, पुरुष मूल्य पर राज्य की महिला प्रमुख (पिछले ५० वर्षों) के वर्षों की संख्या अगर २५ वर्ष है तो उसका स्कोर १ होगा परंतु यदि वर्षों की संख्या ५० है तो भी स्कोर तो १ ही रहेगा। इस पद्धति के कारण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का समर्थन करने वाले लिंग अंतर को समानता के रूप में सूचित किया जाता है ।
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तीन सबसे ऊंचे रैंकिंग वाले देशों ने अपने लिंग अंतर के ८४% से अधिक को समाप्त कर दिया है, जबकि सबसे कम रैंकिंग देश अपने लिंग अंतर को ५०% से थोडा ही अधिक समाप्त कर सके हैं । रिपोर्ट में कहा गया है कि इन संसाधनों और अवसरों के उपलब्ध स्रोतों की परवाह किए बिना, उन संसाधनों और अवसरों को कितनी अच्छी तरह पुरुष और महिला आबादी के बीच विभाजित कर रहे हैं, इसके बारे में देशों का मूल्यांकन करता है। वैश्विक लिंग अंतरों का आकलन करने और तुलना करने के लिए एक सर्वसमावेशक ढांचा प्रदान करके और इन संसाधनों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समान रूप से विभाजित करने के लिए जो देश आदर्श माने जाते हैं, उन देशों का खुलासा करके, यह रिपोर्ट विशेष जागरूकता एवं नीति निर्धारकों के बीच अधिकाधिक विचारविनिमय के लिए उत्प्रेरक सिद्ध होती है।
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रिपोर्ट दुनिया भर के १३० अर्थव्यवस्थाओं, जो विश्व की एकंदर जनसंख्या के ९३ % से अधिक है , में से सर्वसमावेशक ऐसे चार क्षेत्रों में पुरुष और महिलाओं के बीच रही असमानता की जांच करती है :
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ये चार क्षेत्र हैं - आर्थिक सहभागिता और अवसर  __ वेतन के परिणाम, सहभागिता स्तर और उच्च कौशल्ययुक्त नियुक्ति के प्रति अभिगम
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सूचकांक तैयार करने के लिए प्रयोग में लिये गए चौदह परिवर्तनशील विषयों में से में से तेरह निदर्शक अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन , संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनोंकी ओर से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हार्ड डेटा संकेतकों में से हैं।
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उच्चतम संभवित स्कोर १ (महिलाओं के लिए समानता या बेहतरता : जीवनकाल को छोडकर , १०६% या महिलाओं के लिए बेहतर) और न्यूनतम संभव स्कोर ० है। कुछ देशों के लिए डेटा अनुपलब्ध हैं।
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<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
 
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे

Revision as of 05:00, 7 January 2020

रिपोर्ट का कवर

ग्लोबल जेन्डर गैप रिपोर्ट को पहली बार २००६ में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित किया गया था। २०१६ की रिपोर्ट में १४४ प्रमुख और उभरती हई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं । ग्लोबल लैंगिक गेप इंडेक्स लैंगिक समानता को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया सूचकांक है।

क्रियाविधि

रिपोर्ट की लिंग गैप इंडेक्सगणना लिंग अंतर के अनुसार देशों का रैंकिंग करती है। धारणा यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ कम लाभान्वित है और जहाँ महिलाओं को परंपरागत तौर पर पुरुषों जैसे लाभों से वंचित रखा जा सकें ऐसे ही कदम उठाये जाते है वहाँ महिलाओं के लाभ हो सके इस प्रकार से लिंग असंतुलन के बारे में सही जानकारी देने से रोका जा रहा है। उदाहरण के लिए, पुरुष मूल्य पर राज्य की महिला प्रमुख (पिछले ५० वर्षों) के वर्षों की संख्या अगर २५ वर्ष है तो उसका स्कोर १ होगा परंतु यदि वर्षों की संख्या ५० है तो भी स्कोर तो १ ही रहेगा। इस पद्धति के कारण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का समर्थन करने वाले लिंग अंतर को समानता के रूप में सूचित किया जाता है ।

तीन सबसे ऊंचे रैंकिंग वाले देशों ने अपने लिंग अंतर के ८४% से अधिक को समाप्त कर दिया है, जबकि सबसे कम रैंकिंग देश अपने लिंग अंतर को ५०% से थोडा ही अधिक समाप्त कर सके हैं । रिपोर्ट में कहा गया है कि इन संसाधनों और अवसरों के उपलब्ध स्रोतों की परवाह किए बिना, उन संसाधनों और अवसरों को कितनी अच्छी तरह पुरुष और महिला आबादी के बीच विभाजित कर रहे हैं, इसके बारे में देशों का मूल्यांकन करता है। वैश्विक लिंग अंतरों का आकलन करने और तुलना करने के लिए एक सर्वसमावेशक ढांचा प्रदान करके और इन संसाधनों को महिलाओं और पुरुषों के बीच समान रूप से विभाजित करने के लिए जो देश आदर्श माने जाते हैं, उन देशों का खुलासा करके, यह रिपोर्ट विशेष जागरूकता एवं नीति निर्धारकों के बीच अधिकाधिक विचारविनिमय के लिए उत्प्रेरक सिद्ध होती है।

रिपोर्ट दुनिया भर के १३० अर्थव्यवस्थाओं, जो विश्व की एकंदर जनसंख्या के ९३ % से अधिक है , में से सर्वसमावेशक ऐसे चार क्षेत्रों में पुरुष और महिलाओं के बीच रही असमानता की जांच करती है :

ये चार क्षेत्र हैं - आर्थिक सहभागिता और अवसर __ वेतन के परिणाम, सहभागिता स्तर और उच्च कौशल्ययुक्त नियुक्ति के प्रति अभिगम

शैक्षिकसिद्धि - बुनियादी और उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्ति के परिणाम और अभिगम

राजनीतिक सशक्तिकरण -नीति निर्धारक संरचनाओं में प्रतिनिधित्व का परिणाम

स्वास्थ्य और उत्तरजीविता - जीवन प्रत्याशा और लिंग अनुपात के परिणाम । इस मामले में समानता की अपेक्षा नहीं है , पुरुष (प्रति १००० पुरुष के लिए ९४४ महिला) की तुलना में महिला जन्म दर कम होता है , और महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मृत्य की वय कम रहती है ऐसी धारणा की जाती है । यदि महिलायें पुरुषों की तुलना में छह प्रतिशत अधिक जीवित रहती हैतो उसमें समानता मान ली जाती है और अगर यह दर छह प्रतिशत से कम है तो उसे लिंग अंतर के रूप में गिना जाता है।

सूचकांक तैयार करने के लिए प्रयोग में लिये गए चौदह परिवर्तनशील विषयों में से में से तेरह निदर्शक अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन , संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनोंकी ओर से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हार्ड डेटा संकेतकों में से हैं।

WEF ग्लोबल जेन्डर गैप इंडेक्स रैंकिंग - विश्व लिंग असमानता श्रेणी क्रम

उच्चतम संभवित स्कोर १ (महिलाओं के लिए समानता या बेहतरता : जीवनकाल को छोडकर , १०६% या महिलाओं के लिए बेहतर) और न्यूनतम संभव स्कोर ० है। कुछ देशों के लिए डेटा अनुपलब्ध हैं।

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References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे