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निम्नलिखित वचन यही बात समझाते हैं<ref>श्रीमद भगवद्गीता ७.११  </ref> -<blockquote>बलं बलवतामस्मि कामरागविवर्जितम्।</blockquote><blockquote>धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ।।7.11।।</blockquote>सभी प्राणियों में धर्म के अविरोधी काम मैं हूँ ।
 
निम्नलिखित वचन यही बात समझाते हैं<ref>श्रीमद भगवद्गीता ७.११  </ref> -<blockquote>बलं बलवतामस्मि कामरागविवर्जितम्।</blockquote><blockquote>धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ।।7.11।।</blockquote>सभी प्राणियों में धर्म के अविरोधी काम मैं हूँ ।
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“अर्थशास्त्रात तु बलवत्‌ धर्म शास्त्रं इति स्मृत: ।'
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अर्थशास्त्रात तु बलवत्‌ धर्म शास्त्रं इति स्मृत: ।{{Citation needed}}
    
अर्थशास्त्र से धर्मशास््र बलवान है ।
 
अर्थशास्त्र से धर्मशास््र बलवान है ।

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