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यह माहिती १५० से अधिक देशों के लोगों से एकत्रित की गई है। इसके लिए वर्तमान में इन पहलुओं को शामिल किया गया हैं: वास्तविक जीडीपी प्रति व्यक्ति, सामाजिक समर्थन, स्वस्थ जीवन  
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प्रत्याशा, जीवन विकल्प पसंदगी की स्वतंत्रता, उदारता, और भरोसा। प्रत्येक देश को डायस्टोपिया नामक एक काल्पनिक राष्ट्र के साथ तुलना भी कि जाती है। डिस्टोपिया प्रत्येक पहल के लिए सबसे कम राष्ट्रीय औसत का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक पहलु का स्तर माप ० से १० तक का रहता हैं। जो जनसंख्या भारित औसत स्कोर है और जो समय समय पर नज़र रखके और दूसरे देशों के मुकाबले तुलना कर के तय किये जाते है।
 
प्रत्याशा, जीवन विकल्प पसंदगी की स्वतंत्रता, उदारता, और भरोसा। प्रत्येक देश को डायस्टोपिया नामक एक काल्पनिक राष्ट्र के साथ तुलना भी कि जाती है। डिस्टोपिया प्रत्येक पहल के लिए सबसे कम राष्ट्रीय औसत का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक पहलु का स्तर माप ० से १० तक का रहता हैं। जो जनसंख्या भारित औसत स्कोर है और जो समय समय पर नज़र रखके और दूसरे देशों के मुकाबले तुलना कर के तय किये जाते है।

Revision as of 12:38, 3 May 2020

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विश्व खुशी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (युनाईटेड नेशन्स सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट सोल्युशन नेटवर्क) द्वारा प्रकाशित खुशी मापन का रिपोर्ट है।

जुलाई २०११ में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आमंत्रित सदस्य देशों में एक प्रस्ताव पारित किया कि अपने देशों की खुशियों को मापे और इसका उपयोग सार्वजनिक नीतियों में मार्गदर्शन हेतु करें।सर्व प्रथम इसका अनुसरण २ अप्रैल, २०१२ को, संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक में भूतान के प्रधान मंत्री जिग्मे थिनले की अध्यक्षता में किया गया। भूतान पहला और अब तक का एकमात्र देश है, जिसने सकल घरेलू उत्पाद के बजाय आधिकारिक तौर पर सकल राष्ट्रीय खुशी को अपने देश के विकास के मुख्य सूचक के तौर पे अपनाया।

१ अप्रैल, २०१२ को संयुक्त राष्ट्र हाई स्तरीय बैठक में पहली विश्व खुशी रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट ने दुनिया की खुशी की स्थिति, खुशी और दुख के कारणों और नीतिगत निहितार्थों को दर्शाया। रिपोर्ट में, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, सर्वेक्षण विशेषज्ञ और राष्ट्रीय आंकड़ों (नेशनल स्टेटेस्टीक)- सहित क्षेत्रों में अग्रणी विशेषज्ञों का वर्णन है कि राष्ट्रों की प्रगति का आकलन करने के लिए खुशी का माप प्रभावी ढंग से कैसे इस्तेमाल कीया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग

यह माहिती १५० से अधिक देशों के लोगों से एकत्रित की गई है। इसके लिए वर्तमान में इन पहलुओं को शामिल किया गया हैं: वास्तविक जीडीपी प्रति व्यक्ति, सामाजिक समर्थन, स्वस्थ जीवन


प्रत्याशा, जीवन विकल्प पसंदगी की स्वतंत्रता, उदारता, और भरोसा। प्रत्येक देश को डायस्टोपिया नामक एक काल्पनिक राष्ट्र के साथ तुलना भी कि जाती है। डिस्टोपिया प्रत्येक पहल के लिए सबसे कम राष्ट्रीय औसत का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक पहलु का स्तर माप ० से १० तक का रहता हैं। जो जनसंख्या भारित औसत स्कोर है और जो समय समय पर नज़र रखके और दूसरे देशों के मुकाबले तुलना कर के तय किये जाते है।

२०१७ रिपोर्ट

२०१७ की रिपोर्ट में नॉर्वे दुनिया का सबसे खुशहाल देश है, हालांकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है। डेनमार्क, आइसलैंड और स्विट्जरलैंड कम फरक में उनके पीछे है। सभी शीर्ष दस देशों के छह श्रेणियों में उच्च स्कोर हैं। रैंकिंग निम्नानुसार है: फिनलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, और स्वीडन

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References

भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे