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* अनीति से समृद्धि और सुख का नाश होता है।
 
* अनीति से समृद्धि और सुख का नाश होता है।
 
* दूसरों को गुलाम बनाने की चाह रखने वालों का तत्काल तो नहीं अपितु अल्पकाल में नाश ही होता है।
 
* दूसरों को गुलाम बनाने की चाह रखने वालों का तत्काल तो नहीं अपितु अल्पकाल में नाश ही होता है।
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==== ९. यन्त्रविवेक ====
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* यन्त्र आवश्यक हैं परन्तु उनका अविवेकपूर्ण उपयोग हानिकारक है।
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* यन्त्र मनुष्य के सहायक होने चाहिये, मनुष्य के पर्याय नहीं ।
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* यन्त्र मनुष्य के लिये है, मनुष्य यन्त्र के लिये नहीं हैं। मनुष्य मुख्य है, यन्त्र गौण ।
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* यन्त्र निर्जीव है मनुष्य सजीव । निर्जीव यन्त्र को मनुष्य प्राण की ऊर्जा से चलाता है।
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* यन्त्र अपनी ऊर्जा से नहीं चलता, मनुष्य और पशु की प्राण की ऊर्जा से चलता है।
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* यन्त्र जब प्राकृतिक गति से चलते हैं तब वे हानिकारक नहीं होते, अप्राकृतिक गति से चलने पर स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थ का नाश करते
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* प्राणशक्ति के अलावा विद्युत, पेट्रोल आदि अन्य ऊर्जा से चलने वाले यन्त्र आर्थिक क्षेत्र को छिन्नविच्छिन्न कर देते हैं और मनुष्य की स्वतन्त्रता का नाश करते हैं।
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* यन्त्र से मिलनेवाले आराम, सुविधा और समृद्धि आभासी होते हैं। बहुत जल्दी वे नष्ट हो जाते हैं।
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* प्राणशक्ति से चलने वाले यन्त्र मनुष्य की कल्पनाशक्ति और सृजनशीलता का आविष्कार है, अन्य ऊर्जा से चलने वाले यन्त्र मनुष्य की दुर्बुद्धि का ।
    
==References==
 
==References==
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