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# इसी प्रकार भले घर में बना हो तब भी बासी भोजन नहीं लाना चाहिये । जिसमें पानी है ऐसा दाल, चावल, रसदार सब्जी बनने के बाद चार घण्टे में बासी हो जाती है। विद्यालय में भोजन का समय और घर में भोजन बनने का समय देखकर कैसा भोजन साथ लायें यह निश्चित करना चाहिये ।  
 
# इसी प्रकार भले घर में बना हो तब भी बासी भोजन नहीं लाना चाहिये । जिसमें पानी है ऐसा दाल, चावल, रसदार सब्जी बनने के बाद चार घण्टे में बासी हो जाती है। विद्यालय में भोजन का समय और घर में भोजन बनने का समय देखकर कैसा भोजन साथ लायें यह निश्चित करना चाहिये ।  
 
# विद्यार्थी और अध्यापक दोनों ही ज्ञान के उपासक ही हैं। अतः दोनों का आहार सात्विक ही होना चाहिये ।
 
# विद्यार्थी और अध्यापक दोनों ही ज्ञान के उपासक ही हैं। अतः दोनों का आहार सात्विक ही होना चाहिये ।
# भोजन के साथ संस्कार भी जुडे हैं । इसलिये इन बातों का ध्यान करना चाहिये
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# भोजन के साथ संस्कार भी जुड़े हैं । इसलिये इन बातों का ध्यान करना चाहिये
 
## प्रार्थना करके ही भोजन करना चाहिये ।  
 
## प्रार्थना करके ही भोजन करना चाहिये ।  
 
## पंक्ति में बैठकर भोजन करना चाहिये ।  
 
## पंक्ति में बैठकर भोजन करना चाहिये ।  
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इन्स्टण्ट फूड का अर्थ है झटपट तैयार होने वाला पदार्थ। झटपट अर्थात् दो मिनिट से लेकर पन्द्रह-बीस मिनिट में तैयार हो जाने वाला।
 
इन्स्टण्ट फूड का अर्थ है झटपट तैयार होने वाला पदार्थ। झटपट अर्थात् दो मिनिट से लेकर पन्द्रह-बीस मिनिट में तैयार हो जाने वाला।
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आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चों और पति को भेजना होता है।  
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आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चोंं और पति को भेजना होता है।  
    
छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये धार्मिक गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
 
छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये धार्मिक गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
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बासी रोटी और दही बहुत लोगोंं को बहुत अच्छा लगता है। इसलिये सुबह खाने के लिये रात्रि में बनाकर बासी बनाकर खाई जाती है।ये सारे जंकफूड के नमूने हैं क्यों कि ये बासी और बचे हुए पदार्थों से ही बनते हैं। आयुर्वेद इन्हें खाने के लिये स्पष्ट मना करता है क्यों कि स्वास्थ्यकारक आहार की परिभाषा में इसका स्थान नहीं है।
 
बासी रोटी और दही बहुत लोगोंं को बहुत अच्छा लगता है। इसलिये सुबह खाने के लिये रात्रि में बनाकर बासी बनाकर खाई जाती है।ये सारे जंकफूड के नमूने हैं क्यों कि ये बासी और बचे हुए पदार्थों से ही बनते हैं। आयुर्वेद इन्हें खाने के लिये स्पष्ट मना करता है क्यों कि स्वास्थ्यकारक आहार की परिभाषा में इसका स्थान नहीं है।
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फिर भी प्रत्येक घर में ये प्रतिष्ठा प्राप्त हैं। इसका एक कारण यह है कि खाने वाले को ये अत्यन्त रुचिकर लगते हैं। इस प्रकार से ही उसका रुपान्तरण होता है। दूसरा कारण यह है कि बचे हुए पदार्थो को फैंकना गृहिणी को अच्छा नहीं लगता है। आर्थिक रुप से भी वह परवडता नहीं है। अतः बचे हुए अन्न का उपयोग करने में गृहिणी अपना कौशल दिखाती है।
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तथापि प्रत्येक घर में ये प्रतिष्ठा प्राप्त हैं। इसका एक कारण यह है कि खाने वाले को ये अत्यन्त रुचिकर लगते हैं। इस प्रकार से ही उसका रुपान्तरण होता है। दूसरा कारण यह है कि बचे हुए पदार्थो को फैंकना गृहिणी को अच्छा नहीं लगता है। आर्थिक रुप से भी वह परवडता नहीं है। अतः बचे हुए अन्न का उपयोग करने में गृहिणी अपना कौशल दिखाती है।
    
सम्पूर्ण भारत में घर घर में जंकफूड का प्रचलन है। भारत की गृहिणियाँ भाँति भाँति के जंक व्यंजन बनाने में माहिर होती हैं। घर के सदस्य भी उन्हे चाव से खाते हैं। परन्तु ये पदार्थ बासी हैं और अनारोग्यकर हैं यह बात सदा ध्यान में रखना आवश्यक है।
 
सम्पूर्ण भारत में घर घर में जंकफूड का प्रचलन है। भारत की गृहिणियाँ भाँति भाँति के जंक व्यंजन बनाने में माहिर होती हैं। घर के सदस्य भी उन्हे चाव से खाते हैं। परन्तु ये पदार्थ बासी हैं और अनारोग्यकर हैं यह बात सदा ध्यान में रखना आवश्यक है।
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=== अभिमत ===
 
=== अभिमत ===
अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं धार्मिक दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. फिर भी अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
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अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं धार्मिक दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. तथापि अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
    
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमा में जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ सब लोगोंं ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता है । ऐसा उनका मत था।
 
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमा में जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ सब लोगोंं ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता है । ऐसा उनका मत था।
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# मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है।  
 
# मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है।  
 
# विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है।  
 
# विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है।  
# साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है। साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चों और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है।
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# साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है। साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चोंं और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है।
 
# यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये।  
 
# यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये।  
 
# पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है।  
 
# पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है।  

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