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विद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा के बारे में वैचारिक स्पष्टता और उस सन्दर्भ में उसे व्यवहार में कैसे लागू कर सकते हैं ? यह जानना इस प्रश्नावली का प्रयोजन था। आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में सहभागी आचार्यों की इसमें सहभागिता रही।
 
विद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा के बारे में वैचारिक स्पष्टता और उस सन्दर्भ में उसे व्यवहार में कैसे लागू कर सकते हैं ? यह जानना इस प्रश्नावली का प्रयोजन था। आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में सहभागी आचार्यों की इसमें सहभागिता रही।
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प्रश्नावली के प्रथम तीन प्रश्न वैचारिक स्पष्टता हेतु थे । पर्यावरण के सम्बन्ध में स्पष्टता कम और सुरक्षा की समझ पर्याप्त है, ऐसे उत्तर मिले । जैसे कि प्राकृतिक विपत्तियों के निवारण हेतु, मानवजीवन को सुरक्षित रखने हेतु, ग्लोबल वार्मिग रूपी वैश्विक समस्या का उपाय आदि । पृथ्वी, जल, तेज, वायु व आकाश ये पंचमहाभूत पर्यावरण के घटक हैं । एक मात्र यह सही उत्तर श्री अन्नपूर्णा बहन का था । अन्यों
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प्रश्नावली के प्रथम तीन प्रश्न वैचारिक स्पष्टता हेतु थे । पर्यावरण के सम्बन्ध में स्पष्टता कम और सुरक्षा की समझ पर्याप्त है, ऐसे उत्तर मिले । जैसे कि प्राकृतिक विपत्तियों के निवारण हेतु, मानवजीवन को सुरक्षित रखने हेतु, ग्लोबल वार्मिग रूपी वैश्विक समस्या का उपाय आदि । पृथ्वी, जल, तेज, वायु व आकाश ये पंचमहाभूत पर्यावरण के घटक हैं । एक मात्र यह सही उत्तर श्री अन्नपूर्णा बहन का था । अन्यों को तो घटक शब्द का अर्थ ही समझ में नहीं आया।
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प्रश्न ४ में दी हुई अनेक बातों में अपनी व्यक्तिगत टिप्पणी लिखें यह अपेक्षा थीं। इसके उत्तर में यज्ञ करना चाहिए, कीटों से रक्षा के उपाय प्राकृतिक हों, रासायनिक नहीं, ऐसे उत्तर मिले । प्राकृतिक साधनों का उपयोग करना और कृत्रिम साधनों को त्यागना, इस प्रश्न का भी समाधान कारक उत्तर नहीं मिला । हाँ, विद्यालय में कूलर, फ्रीज, ऐ.सी. आदि उपकरणों का विरोध अवश्य किया ।
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==== अभिमत : ====
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पंचमहाभूतों से यह सृष्टि बनी हैं। प्रत्येक महाभूत सृष्टि का सन्तुलन एवं स्वच्छता बनाये रखने का कार्य करता है। अतः इनकी सुरक्षा करना सही अर्थ में पर्यावरण की सुरक्षा है। परन्तु मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु अपनी विकृत बुद्धि से उनका नाश कर रहा है , उन्हें प्रदूषित कर रहा है।
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विद्यालय भवन निर्माण में लकड़ी, बाँस, मिट्टी, चूना आदि प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करना चाहिए । प्लास्टिक, लोहा आदि से निर्मित उपस्कर काममें नहीं लेने चाहिए । आज के छात्रों के पास, कम्पास, पैन, स्केल, कवर पेपर, बेग आदि सभी वस्तुएँ प्लास्टिक की होती है, इन्हें वर्जित करना । प्राथमिक कक्षाओं में अनिवार्य रूप से पत्थर की स्लेट का उपयोग करना । विद्यालय प्रांगण में वृक्ष लगाना । दैनन्दिन अग्निहोत्र करने से पर्यावरण की शुद्धि होगी । स्वच्छता हेतु भी प्लास्टिक की सामग्री के स्थान पर वनस्पतिजन्य साधन-सामग्री ही उपयोग में लानी चाहिए।
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छात्रों में पर्यावरण सुरक्षा हेतु वैचारिक जागृति करना तथा पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली वस्तुओं पर पाबन्दी लगाना । डिटर्जेंट मुक्त स्वच्छता, प्लास्टिक का मर्यादित उपयोग तथा वायु प्रदूषण, जलप्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण के बारे में सावधानी रखना। ऐसे अनेक उपक्रमों के माध्यम से विद्यार्थी जन आन्दोलन चलाकर पर्यावरण की सुरक्षा करें ऐसी योजना बनानी चाहिए।
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==== विमर्श ====
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पर्यावरण का विचार आजकल केवल प्रदूषण के सन्दर्भ
    
सामने जो छात्र बैठे हैं उनकी बैठक व्यवस्था की रचना
 
सामने जो छात्र बैठे हैं उनकी बैठक व्यवस्था की रचना
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