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==== संदर्भ ====
 
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1. डेविड बी. क्विन, 'नूतन अमेरिकी विश्व : १६१२ तक का उत्तरी अमेरिका का दस्तावेजी इतिहास : न्यू अमेरिकन वर्ल्ड : अ डोक्यूमेण्टरी हिस्ट्री ऑव् नॉर्थ अमेरिका टू १६१२  
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# डेविड बी. क्विन, 'नूतन अमेरिकी विश्व : १६१२ तक का उत्तरी अमेरिका का दस्तावेजी इतिहास : न्यू अमेरिकन वर्ल्ड : अ डोक्यूमेण्टरी हिस्ट्री ऑव् नॉर्थ अमेरिका टू १६१२ New American world : A Documentary History of North America to 1612 : पांच खण्डों में, १९७९  
 
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# सर ज्हॉन डेविस, 'नामदार सम्राट के सुशासन के प्रारम्भ होने तक आयलैंण्ड को पूर्ण रूप से परास्त कर अंग्रेज सत्ता के आधिपत्य में नहीं लाया जा सका उसके सही कारणों की खोज : अ डिस्कवरी ऑव् द टु कोदोदा व्हाय आयलैंण्ट बाँदा नेबर एण्टायरली सबट्यूट एण्ड ब्रॉट अण्डर ओबेडिअन्स ऑव् द क्राउन ऑव् इंग्लैण्ड अण्टील द बिगिनिंग ऑव् हिझ मैजेस्टीझ हैपी रेइन : A Discovery of True Causes, Why Ireland was never entirely subdued and brought under obedience of the Crown of England until the beginning of His Majesty's happy reign, 1630 (पुनर्मुद्रण १८६०)
New American world : A Documentary History of North America to 1612 : पांच खण्डों में, १९७९
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# एच. एफ. डोबिन्स, 'अमेरिका के मूल निवासियों की जनसंख्या का अनुमान : एस्टीमेटिंग अबोरिजिनल अमेरिकन पोप्युलेशन : Estimating Aboriginal American Population' करण्ट एंथ्रोपोलॉजी, खण्ड ७, क्र.  ४, अक्टूबर १९६६, पृ. ३९५-४४९  
 
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# बर्नार्ड डबल्यू शिहान, 'विनाश के बीज : जेफरसन की उदारता और अमेरिकन भारतीय : सीड्स ऑव् एक्स्टींक्शन : जेफरसोनियन फिलान्थ्रोपी एण्ड द अमेरिकन इण्डियन : Seeds of Extinction : Jeffersonian Philanthropy and the American Indian १९७३, पृ. २२७-२२८  
2. सर ज्हॉन डेविस, 'नामदार सम्राट के सुशासन के प्रारम्भ होने तक आयलैंण्ड को पूर्ण रूप से परास्त कर अंग्रेज सत्ता के आधिपत्य में नहीं लाया जा सका उसके सही कारणों की खोज : अ डिस्कवरी ऑव् द टु कोदोदा व्हाय आयलैंण्ट बाँदा नेबर एण्टायरली सबट्यूट एण्ड ब्रॉट अण्डर ओबेडिअन्स ऑव् द क्राउन ऑव् इंग्लैण्ड अण्टील द बिगिनिंग ऑव् हिझ मैजेस्टीझ हैपी रेइन : A Discovery of True Causes, Why Ireland was never entirely subdued and brought under obedience of the Crown of England until the beginning of His Majesty's happy reign, 1630
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# एच. सी. पोर्टर, 'अस्थिर जंगली : इंग्लैण्ड और उत्तरी अमेरिकी भारतीय, १५०० से १६०० : द इन्कॉन्स्टण्ट सेवेज : इंग्लैण्ड एण्ड द नॉर्थ अमेरिकन इण्डियन १५०० - १६०० : The Inconstant Savage : England and the North American Indian 1500 - 1600' १९७९, पृ. ४२८  
 
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# डैण्टन्स न्यूयॉर्क : 'पूर्व में नया नेदरलेण्ड के नाम से पहचाने जाने वाले न्यू यॉर्क का संक्षिप्त विवरण : अ ब्रीफ डिस्क्रीप्शन ऑव् न्यू यॉर्क फॉर्मी कॉल्ड न्यू नेदरलैण्डस : A Brief Description of New York formerly called New Netherlands', १६७० (पुनर्मुद्रण १९०२), पृ. ४५  
(पुनर्मुद्रण १८६०)  
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# जे. सी. लाँग, 'लॉर्ड जैफरी एम्हर्स्ट : राजा का सिपाही : लॉर्ड जैफरी एम्हर्स्ट : अ सोल्झर ऑव् द किंग : Lord Jeffery Emherst : A Soldier of the King', १९३३, पृ. १८६-१८७  
 
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# अन्यों के साथ आर. उबल्यू. फोगेल और एस. एल. एंगरमन, 'समय क्रूस पर : अमेरिका के नीग्रो की गुलामी का अर्थकारण : टाइम ऑन क्रॉस : द इकनॉमिक्स ऑव् अमेरिकन नीग्रो स्लेवरी : Time on Cross. The economics of American Negro Slavery', १९८९,  पृ. २१-२२। फोगेल और एंगरमन द्वारा निर्दिष्ट ९.५ लाख की संख्या अमेरिका में गुलामों के आयात को सूचित करती है।  
3. एच. एफ. डोबिन्स, 'अमेरिका के मूल निवासियों की जनसंख्या का अनुमान : एस्टीमेटिंग अबोरिजिनल अमेरिकन पोप्युलेशन : Estimating Aboriginal American Population' करण्ट एंथ्रोपोलॉजी, खण्ड ७, क्र.  ४, अक्टूबर १९६६, पृ. ३९५-४४९  
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# वही  
 
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# एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, ११ वां संस्करण, १९११, खण्ड २७ पृ. ६३६  
4. बर्नार्ड डबल्यू शिहान, 'विनाश के बीज : जेफरसन की उदारता और अमेरिकन भारतीय : सीड्स ऑव् एक्स्टींक्शन : जेफरसोनियन फिलान्थ्रोपी एण्ड द अमेरिकन इण्डियन : Seeds of Extinction : Jeffersonian Philanthropy and the American Indian १९७३, पृ. २२७-२२८  
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# ओबट इमर्सन स्मिथ, 'उपनिवेशी बंधन में : अमेरिका में गोरों की गुलामी और बंधुआ मजदूरी, १६१७ से १७७६ के दौरान : कोलोनिस्टस् इन बॉण्डेज : व्हाउट सर्विट्यूट एण्ड कन्विक्ट लेबर इन अमेरिका, १६१७ - १७७६ : Colonists in Bondage : White Servitude and Convict Labour in America, 1617-1776' १९४७, पृ. ३०८-३२५  
 
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# डी. जी. ई. हॉल के उद्धरण, 'बर्मा के साथ अंग्रेजों का प्रारम्भिक सम्बन्ध : अर्ली इंग्लीश इन्टरकोर्स विद बर्मा : Early English Intercourse with Burma', १९२८, पृ. २५०  
5. एच. सी. पोर्टर, 'अस्थिर जंगली : इंग्लैण्ड और उत्तरी अमेरिकी भारतीय, १५०० से १६०० : द इन्कॉन्स्टण्ट सेवेज : इंग्लैण्ड एण्ड द नॉर्थ अमेरिकन इण्डियन १५०० - १६०० : The Inconstant Savage : England and the North American Indian 1500 - 1600' १९७९, पृ. ४२८  
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# अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में जो भी टक्कर हुई उसके विषय में पुरातन लेख और अन्य सामग्री व्यापक रूप में उपलब्ध है। उसमें अधिकांश सामग्री भारतीय पुरातन लेख के रूप में भी निरूपित है। सन् १८१०-११ में आवास कर के विरोध में उठे जनआंदोलन का ब्यौरा 'भारतीय परम्परा में असहयोग', पुनरुत्थान, २००७ में उपलब्ध है।  
 
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# सन् १८४३ में नमक पर डाले गये कर के विरोध में सुरत में हुए आन्दोलन का विवरण उसी वर्ष के मुम्बई प्रेसीडेन्सी रिकार्ड में उपलब्ध है।  
6. डैण्टन्स न्यूयॉर्क : 'पूर्व में नया नेदरलेण्ड के नाम से पहचाने जाने वाले न्यू यॉर्क का संक्षिप्त विवरण : अ ब्रीफ डिस्क्रीप्शन ऑव् न्यू यॉर्क फॉर्मी कॉल्ड न्यू नेदरलैण्डस : A Brief Description of New York formerly called New Netherlands', १६७० (पुनर्मुद्रण १९०२), पृ. ४५  
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# ब्रिटिशों के भारत में आने से पूर्व के शासक शासित सम्बन्धों के विषय में भारत सरकार के, बंगाल, मुंबई और मद्रास प्रेसीडेन्सी के अभिलेखागारों में ब्रिटिशों द्वारा निर्मित विपुल सामग्री उपलब्ध है। यही सामग्री अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी की है। इस काल के इंग्लैण्ड के भारत विषयक सरकारी कागजों में भी ऐसी सामग्री मिलती है। ब्रिटिश हाउस ऑव् कॉमन्स की सिलेक्ट कमिटी के समक्ष की हुई प्रस्तुति में इतिहासकार जेम्स मिल ने भी इस प्रकार की जानकारी दी है।  
 
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# राजा और प्रजा के आपसी सम्बन्ध और भेंट के आदानप्रदान के विषय में सामग्री १८वीं एवं १९वीं शताब्दी के अभिलेखागारों में उपलब्ध है।  
7. जे. सी. लाँग, 'लॉर्ड जैफरी एम्हर्स्ट : राजा का सिपाही : लॉर्ड जैफरी एम्हर्स्ट : अ सोल्झर ऑव् द किंग : Lord Jeffery Emherst : A Soldier of the King', १९३३, पृ. १८६-१८७  
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# 'मोतरफा' और 'वीसाबुडी' नामक करों की जानकारी मद्रास प्रेसीडेन्सी के अभिलेखों में उपलब्ध है। इसमें गैरकृषक व्यवसायों और उद्योगों में जुड़े लोगों की संख्या है। विभिन्न जिलों में कितने करघे हैं उसकी भी संख्या है। भारत के और प्रदेशों में भी इसी प्रकार की जानकारी मिलती है। साथ ही १८७१, १८८१, १८९१ की जनगणना विषयक जानकारी भी उपलब्ध है।  
 
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# भारत के सन् १८०० के आसपास के विज्ञान और तन्त्रज्ञान विषयक अभिलेखीय जानकारी भारत और इंग्लैण्ड दोनों में मिलती है।  
8. अन्यों के साथ आर. उबल्यू. फोगेल और एस. एल. एंगरमन, 'समय क्रूस पर : अमेरिका के नीग्रो की गुलामी का अर्थकारण : टाइम ऑन क्रॉस : द इकनॉमिक्स ऑव् अमेरिकन नीग्रो स्लेवरी : Time on Cross. The economics of American Negro Slavery', १९८९,  पृ. २१-२२। फोगेल और एंगरमन द्वारा निर्दिष्ट ९.५ लाख की संख्या अमेरिका में गुलामों के आयात को सूचित करती है।  
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# १८वीं एवं १९वीं शताब्दी की भारतीय शिक्षाकी पद्धति और व्याप से सम्बन्धित जानकारी लेखक के रमणीय वृक्ष : १८वीं शताब्दी में भारतीय शिक्षा' पुस्तक में उपलब्ध है।  
 
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# तमिलनाडु स्टेट आर्काइव्झ (टी एन एस ए), मद्रास बोर्ड ऑव् रेवन्यू प्रोसीडींग्स (BRP), खण्ड २०२५, कार्यवाही ८-६-१८४६, पृ. ७४५७, कडप्पा जिले के उपभोग विषयक सामग्री; खण्ड २०३०, कार्यवाही १३-७-१८४६ पृ. ९०३१- 2 ) ७२४७, बेलारी जिले की जानकारी के लिये।  
9. वही  
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# चेंगलपटु जिले के लगभग २,२०० गांवों के विस्तृत सर्वेक्षण पर आधारित  
 
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# इ. पी. स्टेबिंग, 'भारत के जंगल : द फॉरेस्ट्स ऑव्इ ण्डिया : The Forests of India', खण्ड १, १९२२.  
10. एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, ११ वां संस्करण, १९११, खण्ड २७ पृ. ६३६  
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# टीएनएसए : बीआरपी, खण्ड २२१२, कार्यवाही १ १०-१८४९, पृ. १४२२४ - १४२६०, विशेष : अनुच्छेद ५४  
 
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# सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ४२, पृ. ३८४-३८५ (अंग्रेजी), १० जनवरी, १९३०.  
11. ओबट इमर्सन स्मिथ, 'उपनिवेशी बंधन में : अमेरिका में गोरों की गुलामी और बंधुआ मजदूरी, १६१७ से १७७६ के दौरान : कोलोनिस्टस् इन बॉण्डेज : व्हाउट सर्विट्यूट एण्ड कन्विक्ट लेबर इन अमेरिका, १६१७ - १७७६ : Colonists in Bondage : White Servitude and Convict Labour in America, 1617-1776' १९४७, पृ. ३०८-३२५  
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# सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ३५, पृ. ४५७ (अंग्रेजी), १२ जनवरी १९२८  
 
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# सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ३५, पृ. ५४४ (अंग्रेजी), नेहरू का गांधीजी को पत्र, ११ जनवरी १९२८  
13. डी. जी. ई. हॉल के उद्धरण, 'बर्मा के साथ अंग्रेजों का प्रारम्भिक सम्बन्ध : अर्ली इंग्लीश इन्टरकोर्स विद बर्मा : Early English Intercourse with Burma', १९२८, पृ. २५०  
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# सम्पूर्ण गांधी वाङ्य, खण्ड ८१, पृ. ३१९-३२१, ५ अक्टूबर १९४५, महात्मा गांधी का नेहरू को पत्र  
 
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# जवाहरलाल नेहरू, 'सिलैक्टेड वर्क्स', खण्ड १४, पृ. ५५४-५५७, नेहरू का महात्मा गांधी को पत्र, ४ अक्टूबर १९४५  
14. अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में जो भी टक्कर हुई उसके विषय में पुरातन लेख और अन्य सामग्री व्यापक रूप में उपलब्ध है। उसमें अधिकांश सामग्री भारतीय पुरातन लेख के रूप में भी निरूपित है। सन् १८१०-११ में आवास कर के विरोध में उठे जनआंदोलन का ब्यौरा 'भारतीय परम्परा में असहयोग', पुनरुत्थान, २००७ में उपलब्ध है।  
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# १७ नवम्बर १९६५ को अमेरिका के वॉशिंग्टन डी.सी. की स्मिथसोनिअन इन्स्टीट्यूट के अर्धशताब्दी समारोह के अवसर में प्रा. क्लॉड लेवी स्ट्रॉस की टिप्पणी, अप्रैल १९६६ में ‘करन्ट एन्थ्रोपोलॉजी' खण्ड २, अंक २ में प्रकाशित  
 
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# एस. जे. ताल्बिआ द्वारा उद्धृत, 'जादू, विज्ञान, धर्म के परिप्रेक्ष्य में तर्क का औचित्य : मैजिक, साईन्स, रिलिजन एण्ड द स्कोप ऑव् रेशनालिटी : Magic, Science, Religion and the scope of Rationality', १९९०, पृ. ४४  
15. सन् १८४३ में नमक पर डाले गये कर के विरोध में सुरत में हुए आन्दोलन का विवरण उसी वर्ष के मुम्बई प्रेसीडेन्सी रिकार्ड में उपलब्ध है।  
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16. ब्रिटिशों के भारत में आने से पूर्व के शासक शासित सम्बन्धों के विषय में भारत सरकार के, बंगाल, मुंबई और मद्रास प्रेसीडेन्सी के अभिलेखागारों में ब्रिटिशों द्वारा निर्मित विपुल सामग्री उपलब्ध है। यही सामग्री अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी की है। इस काल के इंग्लैण्ड के भारत विषयक सरकारी कागजों में भी ऐसी सामग्री मिलती है। ब्रिटिश हाउस ऑव् कॉमन्स की सिलेक्ट कमिटी के समक्ष की हुई प्रस्तुति में इतिहासकार जेम्स मिल ने भी इस प्रकार की जानकारी दी है।  
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17. राजा और प्रजा के आपसी सम्बन्ध और भेंट के आदानप्रदान के विषय में सामग्री १८वीं एवं १९वीं शताब्दी के अभिलेखागारों में उपलब्ध है।  
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18. 'मोतरफा' और 'वीसाबुडी' नामक करों की जानकारी मद्रास प्रेसीडेन्सी के अभिलेखों में उपलब्ध है। इसमें गैरकृषक व्यवसायों और उद्योगों में जुड़े लोगों की संख्या है। विभिन्न जिलों में कितने करघे हैं उसकी भी संख्या है। भारत के और प्रदेशों में भी इसी प्रकार की जानकारी मिलती है। साथ ही १८७१, १८८१, १८९१ की जनगणना विषयक जानकारी भी उपलब्ध है।  
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19. भारत के सन् १८०० के आसपास के विज्ञान और तन्त्रज्ञान विषयक अभिलेखीय जानकारी भारत और इंग्लैण्ड दोनों में मिलती है।  
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20. १८वीं एवं १९वीं शताब्दी की भारतीय शिक्षाकी पद्धति और व्याप से सम्बन्धित जानकारी लेखक के रमणीय वृक्ष : १८वीं शताब्दी में भारतीय शिक्षा' पुस्तक में उपलब्ध है।  
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21. तमिलनाडु स्टेट आर्काइव्झ (टी एन एस ए), मद्रास बोर्ड ऑव् रेवन्यू प्रोसीडींग्स (BRP), खण्ड २०२५, कार्यवाही ८-६-१८४६, पृ. ७४५७, कडप्पा जिले के उपभोग विषयक सामग्री; खण्ड २०३०, कार्यवाही १३-७-१८४६ पृ. ९०३१- 2 ) ७२४७, बेलारी जिले की जानकारी के लिये।  
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22. चेंगलपटु जिले के लगभग २,२०० गांवों के विस्तृत सर्वेक्षण पर आधारित  
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23. इ. पी. स्टेबिंग, 'भारत के जंगल : द फॉरेस्ट्स ऑव्इ ण्डिया : The Forests of India', खण्ड १, १९२२.  
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24. टीएनएसए : बीआरपी, खण्ड २२१२, कार्यवाही १ १०-१८४९, पृ. १४२२४ - १४२६०, विशेष : अनुच्छेद ५४  
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25. सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ४२, पृ. ३८४-३८५ (अंग्रेजी), १० जनवरी, १९३०.  
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26. सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ३५, पृ. ४५७ (अंग्रेजी), १२ जनवरी १९२८  
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27. सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय, खण्ड ३५, पृ. ५४४ (अंग्रेजी), नेहरू का गांधीजी को पत्र, ११ जनवरी १९२८  
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28 . सम्पूर्ण गांधी वाङ्य, खण्ड ८१, पृ. ३१९-३२१, ५ अक्टूबर १९४५, महात्मा गांधी का नेहरू को पत्र  
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29. जवाहरलाल नेहरू, 'सिलैक्टेड वर्क्स', खण्ड १४, पृ. ५५४-५५७, नेहरू का महात्मा गांधी को पत्र, ४ अक्टूबर १९४५  
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30. १७ नवम्बर १९६५ को अमेरिका के वॉशिंग्टन डी.सी. की स्मिथसोनिअन इन्स्टीट्यूट के अर्धशताब्दी समारोह के अवसर में प्रा. क्लॉड लेवी स्ट्रॉस की टिप्पणी, अप्रैल १९६६ में ‘करन्ट एन्थ्रोपोलॉजी' खण्ड २, अंक २ में प्रकाशित  
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31. एस. जे. ताल्बिआ द्वारा उद्धृत, 'जादू, विज्ञान, धर्म के परिप्रेक्ष्य में तर्क का औचित्य : मैजिक, साईन्स, रिलिजन एण्ड द स्कोप ऑव् रेशनालिटी : Magic, Science, Religion and the scope of Rationality', १९९०, पृ. ४४  
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32. अप्रैल १९९२ में जर्मनी के ब्रेमेन में आयोजित 'पर्यावरण एवं विकास (Environment and Development)' विषयक गोष्ठि में प्रस्तुत पत्र
 
32. अप्रैल १९९२ में जर्मनी के ब्रेमेन में आयोजित 'पर्यावरण एवं विकास (Environment and Development)' विषयक गोष्ठि में प्रस्तुत पत्र
  
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