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=== अध्याय ३८ ===
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एक बार मदर टेरेसा को किसी ने पूछा कि आधुनिक विज्ञान के अनेक सिद्धान्त बाइबल में लिखा हैं उसके विरुद्ध हैं । उदाहरण के लिये विज्ञान कहता है कि पृथ्वी सूर्य के आसपास घूमती है परन्तु बाइबल के अनुसार सूर्य पृथ्वी के आसपास घूमता है। आप किसे मानेंगी, विज्ञान को या धर्म को ? मदर टेरेसा उत्तर में मौन रहीं।
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इसका अर्थ यह है कि रिलीझन और विज्ञान में मतैक्य नहीं है। यह मतैक्य नहीं होना सम्पूर्ण प्रजा को दो हिस्सों में बाँटता है। सम्पूर्ण विश्व में आज रिलीजन और विज्ञान का एकदूसरे का विरोध मुखर होता जा रहा है। विश्व अधिकाधिक मात्रा में विज्ञान का स्वीकार करता जा रहा हैं। परन्तु रिलीजन को वह छोड भी नहीं सकता। इसलिये विश्व में जीवनचर्या के दो विभाग बन गये हैं। इस लोक के लिये विज्ञान और परलोक के लिये रिलीजन । यह विभाजन भौतिक सुखसुविधाओं के लिये हैं। सामाजिक जीवन की व्यवस्था में इस लोक के लिये कानून और परलोक के लिये रिलीजन । चर्चमें रिलीजन चलेगा, न्यायालय में कानून, व्यापार और उत्पादन में विज्ञान ।
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परन्तु भारत में जीवन ऐसा द्वन्द्वात्मक नहीं है । जाने अनजाने भी भारत की प्रजा के अन्तःकरण में अद्वैत इतनी गहरी पैठ बनाये हुए हैं और धर्म ऐसा प्रभावी है कि पश्चिमी शिक्षा प्राप्त किये हुए लोग भी धर्म और विज्ञान, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की बात करते हैं । वे कहने लगे हैं कि अध्यात्म विज्ञान का और विज्ञान अध्यात्म का विरोधी नहीं है । लोग ऐसा भी कहते हैं कि अध्यात्म विज्ञानसम्मत होना चाहिये और विज्ञान अध्यात्मसम्मत । परन्तु बौद्धिकों की यह चर्चा अधिकांश उलझनभरी रहती है क्योंकि कब वे विज्ञान को केवल भौतिक विज्ञान मानते हैं और धर्म या
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==References==
 
==References==
 
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
 
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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