Difference between revisions of "भेड़ और भेड़िये की कहानी"

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==== '''कहानी से सीख : -'''  कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।बार बार  झूठ बोलने से लोग हमें झूठा समझ लेते है  कई बार सच बोलने पा भी वे हमें झूठा ही समझाते है इसलिए झूठ बोलना बहुत बुरी बात होती है। झूठ बोलने की वजह से हम लोगों का विश्वास खोने लगते हैं और समय आने पर कोई हमारी मदद नहीं करता। ====
 
==== '''कहानी से सीख : -'''  कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।बार बार  झूठ बोलने से लोग हमें झूठा समझ लेते है  कई बार सच बोलने पा भी वे हमें झूठा ही समझाते है इसलिए झूठ बोलना बहुत बुरी बात होती है। झूठ बोलने की वजह से हम लोगों का विश्वास खोने लगते हैं और समय आने पर कोई हमारी मदद नहीं करता। ====
 
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[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]

Revision as of 14:50, 12 August 2020

एक समय की बात हैं, एक गांव में एक भेड़ चरानेवाला चरवाहा रहता था। उसके पास बहुत सी भेड़ थीं, जिन्हें घास चराने ले के लिए गांव के खुले मैदान में ले जाता था। सुबह वह भेड़ों को जंगल ले जाता और शाम तक वापस घर आता। पूरा दिन भेड़ें घास चरतीं तो चरवाहा बैठ बैठ क्या करे इस लिए प्रति दिन वह अपने मनोरंजन करने के नए नए तरीके ढूंढता रहता था।

एक दिन उसे एक नई शरारत करने की सूझी। उसने सोचा, क्यों न इस बार गांव वालों के साथ मजाक करके उसका आनंद लिया जाए। यही सोच कर उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”उसकी आवाज सुन कर गांव वाले जो अपने खेतो में काम कर रहे थे | लाठी और डंडे लेकर दौड़ते हुए उसकी मदद करने आए। जैसे ही गांव वाले वहां पहुंचे, उन्होंने देखा कि वहां भेड़ें आराम से चार रही है और वह कोई भेड़ियाँ भी नहीं है| गांव वालो को घबराया देखकर चरवाहा पेट पकड़ कर जोर जोर से हसने लगा। “हा हा हा SSS,बहुत मजा आ गया , मैं तो मजाक कर रहा था। कैसे दौड़ते-दौड़ते आए हो सब, हा हा हा।” उसकी ये बातें सुन कर गांव वालों का चेहरा गुस्से से लाल-पीला होने लगा। एक आदमी ने कहा कि हम सब अपना काम छोड़ कर, तुम्हें बचाने आए हैं और तुम हंस रहे हो ? ऐसा कह कर सभी लोग वापस अपने अपने काम की ओर लौट गए।

कुछ दिन के बाद, गांव वालों ने फिर से चरवाहे की आवाज सुनी। “बचाओ बचाओ भेड़िया आया, बचाओ।” यह सुनते ही, वो फिर से चरवाहे की मदद करने के लिए लोग दौड़ पड़े। दौड़ते-हांफते गांव वाले वहां पहुंचे, तो क्या देखते हैं? कि चरवाहा अपनी भेड़ों के साथ आराम से खड़ा है और गांव वालों की तरफ देख कर जोर-जोर से हंस रहा है। इस बार गांव वालों को और गुस्सा आया। उन सभी ने चरवाहे को खूब खरी-खोटी सुनाई, लेकिन चरवाहे को अक्ल न आई। उसने फिर दो-तीन बार ऐसा ही किया और मजाक में चिल्लाते हुए गांव वालों को इकठ्ठा कर लिया। अब गांव वालों ने चरवाहे की बात पर विश्वास करना बंद कर दिया था।

एक दिन गांव वाले अपने खेतों में काम कर रहे थे और उन्हें फिर से चरवाहे के चिल्लाने की आवाज आई। “बचाओ बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया बचाओ”, लेकिन इस बार किसी ने भी उसकी बात पर गौर नहीं किया। सभी आपस में कहने लगे कि इसका तो काम ही है दिन भर मजाक करना। चरवाहा लगातार चिल्ला रहा था, “अरे कोई तो आओ, मेरी मदद करो, इस भेड़िए को भगाओ”, लेकिन इस बार कोई भी उसकी मदद करने वहां नहीं पहुंचा।

चरवाहा चिल्लाता रहा, लेकिन गांव वाले नहीं आए और भेड़िया एक-एक करके उसकी सारी भेड़ों को खा गया। यह सब देख चरवाहा रोने लगा। जब बहुत रात तक चरवाहा घर नहीं आया, तो गांव वाले उसे ढूंढते हुए जंगल पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि चरवाहा पेड़ पर बैठा रो रहा था।

गांव वालों ने किसी तरह चरवाहे को पेड़ से उतारा। उस दिन चरवाहे की जान तो बच गई, लेकिन उसकी प्यारी भेड़ें भेड़िए का शिकार बन चुकी थीं। चरवाहे को अपनी गलती का एहसास हो गया था और उसने गांव वालों से माफी मांगी। चरवाहा बोला “मुझे माफ कर दो भाइयों, मैंने झूठ बोल कर बहुत बड़ी गलती कर दी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।”

कहानी से सीख : - कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।बार बार झूठ बोलने से लोग हमें झूठा समझ लेते है कई बार सच बोलने पा भी वे हमें झूठा ही समझाते है इसलिए झूठ बोलना बहुत बुरी बात होती है। झूठ बोलने की वजह से हम लोगों का विश्वास खोने लगते हैं और समय आने पर कोई हमारी मदद नहीं करता।

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