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झंडेवाला, नयी दिल्ली </ref>। बच्चों में अपने धर्म के प्रति ,अपने राष्ट्र के प्रति और अपने देशवासियों  एवं माता-पिता गुरुजनों का आदर सम्मान करने की शिक्षा सर्वप्रथम देनी चाहिये। अतः हमें सर्वदा यह प्रयास करना चाहिए, कि विद्या का प्रारंभ अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत में किया जाये। इसी विषय को अग्रेसर करते हुए सम्पूर्ण भारत का परिचय सभी अभिभावक सरल रूप में और सहजता से प्राप्त कर सके।  
 
झंडेवाला, नयी दिल्ली </ref>। बच्चों में अपने धर्म के प्रति ,अपने राष्ट्र के प्रति और अपने देशवासियों  एवं माता-पिता गुरुजनों का आदर सम्मान करने की शिक्षा सर्वप्रथम देनी चाहिये। अतः हमें सर्वदा यह प्रयास करना चाहिए, कि विद्या का प्रारंभ अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत में किया जाये। इसी विषय को अग्रेसर करते हुए सम्पूर्ण भारत का परिचय सभी अभिभावक सरल रूप में और सहजता से प्राप्त कर सके।  
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अतः '''एकात्मता स्तोत्र''' नामक यह पाठांतर आपके लिए प्रस्तुत है। एकात्मता-स्तोत्र के पूर्वरूप, '''भारत-भक्ति-स्तोत्र''' से हम लोग भली भाँति परिचित हैं, जो बोलचाल में '<nowiki/>'''प्रात: स्मरण'''' नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह प्रात: स्मरण की हमारी प्राचीन परम्परा से ही प्रेरित था। यह भारत-एकात्मता-स्तोत्र भारत की सनातन और सर्वकष एकात्मता के प्रतीकभूत नामों का श्लोकबद्ध संग्रह है। सम्पूर्ण भारतवर्ष की एकात्मता के संस्कार दृढ़मूल करने के लिए इस नाममाला का ग्रथन किया गया है।
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अतः '''एकात्मता स्तोत्र''' नामक यह पाठांतर आपके लिए प्रस्तुत है। एकात्मता-स्तोत्र के पूर्वरूप, '''भारत-भक्ति-स्तोत्र''' से हम लोग भली भाँति परिचित हैं, जो बोलचाल में '<nowiki/>'''प्रात: स्मरण'''' नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह प्रात: स्मरण की हमारी प्राचीन परम्परा से ही प्रेरित था। यह भारत-एकात्मता-स्तोत्र भारत की सनातन और सर्वकष एकात्मता के प्रतीकभूत नामों का श्लोकबद्ध संग्रह है। सम्पूर्ण भारतवर्ष की एकात्मता के संस्कार दृढ़मूल करने के लिए इस नाममाला का ग्रथन किया गया है।
      
राष्ट्र के प्रति अनन्य भक्ति , पूर्वजो के प्रति असीम श्रद्धा तथा सम्पूर्ण देश में निवास करने वालो के प्रति एकात्मता का भाव जागृत करने वाले इस मंत्र का नियमित रूप से पठान करना चाहिए ।
 
राष्ट्र के प्रति अनन्य भक्ति , पूर्वजो के प्रति असीम श्रद्धा तथा सम्पूर्ण देश में निवास करने वालो के प्रति एकात्मता का भाव जागृत करने वाले इस मंत्र का नियमित रूप से पठान करना चाहिए ।
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[[File:Bharat Ekatmata Stotra Sachitra-page-015.jpg|center|thumb]]
 
[[File:Bharat Ekatmata Stotra Sachitra-page-015.jpg|center|thumb]]
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== पर्वत ==
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=== मुख्य पर्वत ===
 
<blockquote>'''<big>महेन्द्रो मलय: सह्यो देवतात्मा हिमालय: । ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिशचारावलिस्तथा ॥४॥</big>''' </blockquote>'''<big><u>महेन्द्र पर्वत</u></big>'''
 
<blockquote>'''<big>महेन्द्रो मलय: सह्यो देवतात्मा हिमालय: । ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिशचारावलिस्तथा ॥४॥</big>''' </blockquote>'''<big><u>महेन्द्र पर्वत</u></big>'''
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(महेन्द्रो मलय: सह्यो शुक्तिमान् ऋक्षवानपि। विन्ध्यश्च परियात्रश्च सप्तैते कुलपर्वता: ॥)  
 
(महेन्द्रो मलय: सह्यो शुक्तिमान् ऋक्षवानपि। विन्ध्यश्च परियात्रश्च सप्तैते कुलपर्वता: ॥)  
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== मुख्य नदियाँ ==
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=== मुख्य नदियाँ ===
 
[[File:Bharat Ekatmata Stotra Sachitra-page-016.jpg|center|thumb]]
 
[[File:Bharat Ekatmata Stotra Sachitra-page-016.jpg|center|thumb]]
 
<blockquote>'''<big>गड्.गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी । कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ॥ ५ ॥</big>''' </blockquote>'''<big><u>गंगा</u></big>'''   
 
<blockquote>'''<big>गड्.गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी । कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ॥ ५ ॥</big>''' </blockquote>'''<big><u>गंगा</u></big>'''   
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महानदी मध्य प्रदेश तथा उत्कल प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है, जो मध्य प्रदेश के रायपुर जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित सिंहवा पर्वत-श्रृंखला से निकलती है। कटक के पास अनेक धाराओं में बहती हुई यह पूर्व में गंगासागर में विलीन होती है। उत्कल प्रदेश का बहुत बड़ा क्षेत्र इसके जल से सिंचित होता है। उत्कल प्रदेश का बहुत बड़ा क्षेत्र इसके जल से सिंचित होता है।
 
महानदी मध्य प्रदेश तथा उत्कल प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है, जो मध्य प्रदेश के रायपुर जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित सिंहवा पर्वत-श्रृंखला से निकलती है। कटक के पास अनेक धाराओं में बहती हुई यह पूर्व में गंगासागर में विलीन होती है। उत्कल प्रदेश का बहुत बड़ा क्षेत्र इसके जल से सिंचित होता है। उत्कल प्रदेश का बहुत बड़ा क्षेत्र इसके जल से सिंचित होता है।
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=== मुख्य नगर ===
 
[[File:Bharat Ekatmata Stotra Sachitra-page-017.jpg|center|thumb]]
 
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<blockquote>'''<big>अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्चि अवन्तिका । वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया॥ ६॥</big>''' </blockquote>'''<u><big><sup>अयोध्या</sup></big></u>'''
 
<blockquote>'''<big>अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्चि अवन्तिका । वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया॥ ६॥</big>''' </blockquote>'''<u><big><sup>अयोध्या</sup></big></u>'''

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