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सभी को इतना ज्ञात होना चाहिए कि जितना लौंकिक ज्ञान आवश्यक है उससे कहीं अधिक अपने धर्म का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है । क्योंकि भारतीय पद्धति की शिक्षा में जीवन जीने का कौशल्य , आदर ,सम्मान ,भाव , प्रेम , सेवा , त्याग......... आदर्श जीवन जीने की पूर्ण कला इसमें निहित है । विद्या एवं ज्ञान अर्जित करने का सर्वोत्तम आयु बाल्यावस्था होती है | बाल्यावस्था में बालको को जितना ज्ञान अर्जित करने में आसानी और उसका पालन हो सकता है उतना एक आयु गट पूर्ण होने के बाद कई समस्यायें होती है |  
 
सभी को इतना ज्ञात होना चाहिए कि जितना लौंकिक ज्ञान आवश्यक है उससे कहीं अधिक अपने धर्म का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है । क्योंकि भारतीय पद्धति की शिक्षा में जीवन जीने का कौशल्य , आदर ,सम्मान ,भाव , प्रेम , सेवा , त्याग......... आदर्श जीवन जीने की पूर्ण कला इसमें निहित है । विद्या एवं ज्ञान अर्जित करने का सर्वोत्तम आयु बाल्यावस्था होती है | बाल्यावस्था में बालको को जितना ज्ञान अर्जित करने में आसानी और उसका पालन हो सकता है उतना एक आयु गट पूर्ण होने के बाद कई समस्यायें होती है |  
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धार्मिक शिक्षा का बीज बाल्यावस्था में बो दिया जाता है तो बहुत ही सुन्दर वृक्ष का स्वरुप देखने को मिलाता जिसमे सभी को छाया देने की क्षमता , व्यवहार में सममनाता ,सभी से प्रेम , आदर ,सम्मान , सेवा , त्याग ,,,इत्यादि स्वरूपों के दर्शन होते है | धार्मिक ज्ञान के बिना मनुष्य पशु सामान है | बालको को पाश्चात्य सभ्यता , बोली भाषा  और उनके ऐसा आचरण करना बहुत पसंद है और ऋषियों के चारित्र , धर्म एवं इश्वर के प्रति हिन् भावना रखना | यह सब पाश्चात्य ( पश्चिमी ) सभ्यता ,संस्कार एवं शिक्षा का प्रभाव है |
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धार्मिक शिक्षा का बीज बाल्यावस्था में बो दिया जाता है तो बहुत ही सुन्दर वृक्ष का स्वरुप देखने को मिलाता जिसमे सभी को छाया देने की क्षमता , व्यवहार में सममनाता ,सभी से प्रेम , आदर ,सम्मान , सेवा , त्याग ......इत्यादि स्वरूपों के दर्शन होते है | धार्मिक ज्ञान के बिना मनुष्य पशु सामान है | बालको को पाश्चात्य सभ्यता , बोली भाषा  और उनके ऐसा आचरण करना बहुत पसंद है और ऋषियों के चारित्र , धर्म एवं इश्वर के प्रति हिन् भावना रखना | यह सब पाश्चात्य ( पश्चिमी ) सभ्यता ,संस्कार एवं शिक्षा का प्रभाव है |
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शिक्षा एवं ज्ञान कि कोई सीमा नहीं होती है परन्तु प्रारंभिक शिक्षा धार्मिक हो इस विषय को दृढ़ता पूर्वक पालन करना चाहिए | धार्मिक शिक्षा के उपरांत अन्य विषय का अभ्यासआरंभ करना चाहिए | जिस प्रकार विष का स्वभाव भयंकर है
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