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→‎गोलागोकर्ण नाथ: लेख सम्पादित किया
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छोटी काशी नाम से प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ गोला गोकर्णनाथ भगवान शिव का प्रिय स्थान है। यहाँ भगवान शिव का आत्मतत्व लिंग अधिष्ठित है। प्रमुख मन्दिर एक विशाल सरोवर के किनारे स्थित है। मन्दिर व सरोवर बहुत अच्छी अवस्था में नहीं है। वहाँ स्वच्छता की व्यवस्था अति आवश्यक है। भारत में दो गोकर्णनाथक्षेत्र एक दक्षिण मेंतथा दूसरा गोला गोकर्णनाथ यहाँ विद्यमान है। देवताओं द्वारा स्थापित भगवान् शिव का विग्रह यहाँप्राचीन काल से पूजित रहा है। आसपास के तीर्थों में भद्रकुण्ड, पुनभूकुण्ड, देवेश्वर महादेव, बटेश्वर तथा स्वर्णश्वर महादेव प्रमुख हैं। यहाँ शिवरात्रि तथा श्रावण पूर्णिमा को मेला लगता है।   
 
छोटी काशी नाम से प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ गोला गोकर्णनाथ भगवान शिव का प्रिय स्थान है। यहाँ भगवान शिव का आत्मतत्व लिंग अधिष्ठित है। प्रमुख मन्दिर एक विशाल सरोवर के किनारे स्थित है। मन्दिर व सरोवर बहुत अच्छी अवस्था में नहीं है। वहाँ स्वच्छता की व्यवस्था अति आवश्यक है। भारत में दो गोकर्णनाथक्षेत्र एक दक्षिण मेंतथा दूसरा गोला गोकर्णनाथ यहाँ विद्यमान है। देवताओं द्वारा स्थापित भगवान् शिव का विग्रह यहाँप्राचीन काल से पूजित रहा है। आसपास के तीर्थों में भद्रकुण्ड, पुनभूकुण्ड, देवेश्वर महादेव, बटेश्वर तथा स्वर्णश्वर महादेव प्रमुख हैं। यहाँ शिवरात्रि तथा श्रावण पूर्णिमा को मेला लगता है।   
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लक्ष्मणपुर(छक्क)  
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=== लक्ष्मणपुर( लखनऊ ) ===
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रघुकुलभूषण श्रीराम के अनुज लक्ष्मणजी नेइस नगर की स्थापना की गोमती नदी के दोनों तटों पर बसा है। अतिप्राचीन नगर होने के कारण इसने भारत के उत्कर्ष औरअपकर्ष दोनों को देखा है। परतंत्रता के काल में इस नगर की मौलिकता समाप्त हो गयी। प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों पर नये स्थान तत्कालीन शासकों ने जबरदस्ती बना दिये। प्रेसीडेन्सी भवन तथा इमामबाड़ा इसके प्रमुख उदाहरण हैं। वर्तमान में लखनऊ उत्तर प्रदेश प्रान्त की राजधानी है।
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रघुकुलभूषण श्रीराम के अनुज लक्ष्मणजी नेइस नगर की स्थापना की
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=== गोरखपुर ===
 
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नाथ सम्प्रदाय का सबसे प्रमुख तीर्थस्थान गोरखपुर हीहै। योगियों में श्रेष्ठ गोरखनाथ जी ने जिस स्थान पर तपस्या की और जहाँ उन्होंने गहन समाधि का अभ्यास किया, वहीं पर बाबा गोरखनाथ का पावन मंदिर बना हुआ है। मुस्लिम शासनकाल में अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इस तीर्थ की पवित्रता अक्षुण्ण रही। यह गोरख पंथियों की वीरता का ही प्रमाण है।अलाउद्दीन खिलजी ने एक बार इसकी पवित्रता भंग करने की कोशिश की थी, योगियों ने तुरन्त इसकी पवित्रता को प्रतिष्ठित कर दिखाया। औरंगजेब के शासनकाल में एक बार यह पवित्र मन्दिर ध्वस्त किया गया था,परन्तु फिर भत्तों की कर्मठता ने इसे अमरत्व प्रदान कर दिया। मन्दिर के केन्द्र में एक विस्तृत यज्ञस्थली है और पाश्र्व में एक दीपशिखा चारों ओर प्रकाश बिखेरती है। गीता प्रेस के वर्णन के बिना गोरखपुर का वर्णन अधूरा ही माना जायेगा। गोरखपुर स्थित यह प्रेस श्रद्धेय जयदयाल गोयन्दका और भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की कर्मठता का जीता जागता उदाहरण है।इस प्रेस नेअति अल्प मूल्य परहिन्दूधर्म-ग्रन्थों का प्रचार-प्रसार किया औरइस प्रकार सांस्कृतिक धरोहर के पुनरुत्थान और संरक्षण के लिए सराहनीय योगदान दिया। प्रेस के परिसर में निर्मित लीलाचित्र मन्दिर दर्शनीय है।  
गोमती नदी के दोनों तटों पर बसा है। अतिप्राचीन नगर होने के कारण
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इसने भारत के उत्कर्ष औरअपकर्ष दोनों को देखा है। परतंत्रता के काल
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में इस नगर की मौलिकता समाप्त हो गयी। प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों पर
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नये स्थान तत्कालीन शासकों ने जबरदस्ती बना दिये। प्रेसीडेन्सी भवन
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तथा इमामबाड़ा इसके प्रमुख उदाहरण हैं। वर्तमान में लखनऊ उत्तर प्रदेश
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प्रान्त की राजधानी है।
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छोटपुट
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नाथ सम्प्रदाय का सबसे प्रमुख तीर्थस्थान गोरखपुर हीहै। योगियों में  
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श्रेष्ठ गोरखनाथ जी ने जिस स्थान पर तपस्या की और जहाँ उन्होंने गहन  
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समाधिों का अभ्यास किया, वहीं पर बाबा गोरखनाथ का पावन मॉनेदार बना  
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हुआ है। मुस्लिम शासनकाल में अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इस  
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तीर्थ की पवित्रता अक्षुण्ण रही। यह गोरख पंथियों की वीरता का हीप्रमाण
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के केन्द्र में एक विस्तृत यज्ञस्थली है और पाश्र्व में एक दीपशिखा चारों  
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ओर प्रकाश बिखेरती है। गीता प्रेस के वर्णन के बिना गोरखपुर का वर्णन  
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गोयन्दका और भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की कर्मठता का जीता  
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जागता उदाहरण है।इस प्रेस नेअति अल्प मूल्य परहिन्दूधर्म-ग्रन्थों का  
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प्रचार-प्रसार किया औरइस प्रकार सांस्कृतिक धरोहर के पुनरुत्थान और  
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लीलाचित्र मन्दिर दर्शनीय है।  
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सीतामढ़ी
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=== सीतामढ़ी ===
 
जगज्जननी सीता का उद्भव यहीं हुआ था। यह स्थान लखनदेई  
 
जगज्जननी सीता का उद्भव यहीं हुआ था। यह स्थान लखनदेई  
  
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