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"यस्येमे हिमवन्तो महित्वा, यस्य समुद्र रसयाहाहु:।  
 
"यस्येमे हिमवन्तो महित्वा, यस्य समुद्र रसयाहाहु:।  
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यस्येमे प्रदिशो यस्यबाहू, कस्मै देवाय हविषाविधेम।"  (ऋग्वेद 1-121-4)  
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यस्येमे प्रदिशो यस्यबाहू, कस्मै देवाय हविषाविधेम।"  (ऋग्वेद -१२१-४)
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=== अरावली ===
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दिल्ली के दक्षिणी सिरे से प्रारम्भ होकर हरियाणा, राजस्थान व गुजरात तक दक्षिण-पश्चिम दिशा में यह पर्वतमाला फैली हुई है। यह विश्व के प्राचीन पर्वतों में से एक है। स्कन्दपुराण व महाभारत में इसका वर्णन आया है।यह पर्वत महाराणा प्रताप के उत्सर्ग, कर्तृत्व तथा शौर्य का साक्षी है। मेवाड़ को विदेशी आक्रान्ताओं से मुक्त कराने का महान व सफल अभियान इसी पर्वत की उपत्यकाओं में फलीभूत हुआ। इस पर्वत की गोद में अनेक प्राचीन पावन तीर्थस्थल तथा ऐतिहासिक नगर विद्यमान हैं।अरावली का सर्वोच्च शिखरआबू(अर्बुदांचल) है। यह जैन तीर्थ के रूप में विख्यात है। सात कुल-पर्वतों मेंअरावली की गणना की जाती है। पारियात्र’इसी का संस्कृत नाम है। सात कुल-पर्वतों की नामावली निम्न श्लोक में दी हुई है
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महेन्द्रो मलय: सहूयो सुक्तिमान् ऋक्षवानपिं।
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विन्ध्यश्च पारियात्रश्च सप्तैता: कुलपर्वताः। (मार्कण्डेय पुराण)  
    
==References==
 
==References==
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