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=== पम्पा सरोवर ===
 
=== पम्पा सरोवर ===
 
दक्षिण दिशा में स्थित है।भगवान् श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण के साथ इस सरोवर के तीर परविश्राम किया था। वाल्मीकि-रामायण में पम्पासार का सुन्दर वर्णन किया गया है।तुगंभद्रा नदी के दक्षिण में यह सरोवरस्थित है। किष्किन्धा, ऋष्यमूक पर्वत, स्फटिक-शिला पम्पा सरोवर के समीप फेंले रामायणकालीन ऐतिहासिक स्थान हैं। पम्पा सरोवर के पास पहाड़ी पर छोटे-छोटे जीर्ण मन्दिर हैं। एक मन्दिर में लक्ष्मीनारायण की ब्रह्मपुत्र का उद्गम-स्थान वास्तव में यही सरोवर है, अनेक विद्वान इसकी युगल मूर्ति है। पास में शबरी गुफा भी स्थित है।  
 
दक्षिण दिशा में स्थित है।भगवान् श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण के साथ इस सरोवर के तीर परविश्राम किया था। वाल्मीकि-रामायण में पम्पासार का सुन्दर वर्णन किया गया है।तुगंभद्रा नदी के दक्षिण में यह सरोवरस्थित है। किष्किन्धा, ऋष्यमूक पर्वत, स्फटिक-शिला पम्पा सरोवर के समीप फेंले रामायणकालीन ऐतिहासिक स्थान हैं। पम्पा सरोवर के पास पहाड़ी पर छोटे-छोटे जीर्ण मन्दिर हैं। एक मन्दिर में लक्ष्मीनारायण की ब्रह्मपुत्र का उद्गम-स्थान वास्तव में यही सरोवर है, अनेक विद्वान इसकी युगल मूर्ति है। पास में शबरी गुफा भी स्थित है।  
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== सप्त पर्वत ==
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जिस प्रकार पीयूष-प्रवाहिनी नदियाँ राष्ट्र की एकात्मता को सुदृढ़ कड़ियाँ हैं वैसे ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित पर्वत और शिखर सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। एकात्मता-स्तोत्र में वर्णित पर्वतों के नाम हैं-हिमालय, महेन्द्र, मलयगिरी, सहयाद्रि, रैवतक, विंध्याचल तथा अरावली। इनके अतिरिक्त अमरकण्टक, सरगमाथा, अर्बुदांचल, कैलास आदि शिखरऔर बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि पर्वतीय स्थल भी वन्दनीय हैं।
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=== हिमालय ===
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यह विश्व का सर्वोच्च पर्वत है जिसमें अनेक हिमाच्छादित श्रृंग, हिमानियाँ तथा विस्तृत घाटियाँ हैं। यहाँ पर देवी-देवताओं का वास है। अत: महाकवि कालिदास ने इसका देवतात्मा' नाम से उल्लेख किया। सिन्धु, गांगा, सतलुज, गण्डक, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों के उद्गम यहीं हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, कलास, मानसरोवर, वैष्णवी देवी, अमरनाथ नामक सैकड़ों पुण्यस्थल हिमालय में हैं। अनेक ऋषि-महात्माओं का यह तप स्थल रहा है। संसार का सबसे ऊँचा पर्वत-शखर "सागरमाथा  (एवरेस्ट)' हिमालय केअन्तर्गतआता है। कचनजघा, नन्दादेवी, गौरीशांकर, धौलागिरि आदि मेंभी हिमालय की अन्य जॉची चोटियाँ हैं। हिमालय भारत के उत्तरी भाग में २४०० कि. मी. लम्बाई व १५० से ४०० कि.मी. चौड़ाई में विस्तृत है। ऋग्वेद केअनुसार हिमालय ईश्वर की महानता का परिचायक हैं, वह निम्न प्रकार वर्णित हैं:
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"यस्येमे हिमवन्तो महित्वा, यस्य समुद्र रसयाहाहु:।
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यस्येमे प्रदिशो यस्यबाहू, कस्मै देवाय हविषाविधेम।"  (ऋग्वेद 1-121-4)
    
==References==
 
==References==
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