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=== कावेरी ===
 
=== कावेरी ===
 
कावेरी प्रमुख नदियों में सबसे दक्षिण में स्थित है। यह कुर्ग जिले में स्थित है। सहयाद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व बहते हुए सागर में मिलती है। मिलने से पूर्व कई शाखाओं में बँट जाती है और उपजाऊ डेल्टा बनाती है। इसकी लम्बाई ८०० कि.मी.है। अग्नि व विष्णु पुराण में कावेरी का वर्णन विस्तार से हुआ है। कावेरी के उद्गम स्थल के पास ही देवी कावेरी का प्राचीन मन्दिर है। कई छोटी-छोटी नदियाँ कावेरी में मिलती हैं। कनकवती, हेमवती, लक्ष्मणतीर्थ प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। यह नदी कहीं पर बहुत चौड़ी व संकरी है। तीन स्थानों पर यह दो शाखाओं में बँटकर पुन:एक हो जाती है। इस प्रकार बीच में तीन पवित्र द्वीप बन गये हैं। आदिरंगमू या श्रीरंगपत्तन, मध्य में शिवसमुद्रम् तथा अन्तरंगम् या श्रीरंगमू में भगवान विष्णु के पवित्र मन्दिर बने हैं। चिदम्बरम् नामक पवित्र शैव तीर्थ तथा प्राचीन जम्बूकेश्वरम् मन्दिर श्रीरंगम के पास स्थित हैं। तंजावूर, कुंभकोणम तथा त्रिचिरापल्ली इसी पवित्र नदी के समीपवर्ती तीर्थ हैं। प्रसिद्ध कम्बारामायण के रचयिता कवि कम्बन का क्षेत्र कावेरी-तट ही हैं।
 
कावेरी प्रमुख नदियों में सबसे दक्षिण में स्थित है। यह कुर्ग जिले में स्थित है। सहयाद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व बहते हुए सागर में मिलती है। मिलने से पूर्व कई शाखाओं में बँट जाती है और उपजाऊ डेल्टा बनाती है। इसकी लम्बाई ८०० कि.मी.है। अग्नि व विष्णु पुराण में कावेरी का वर्णन विस्तार से हुआ है। कावेरी के उद्गम स्थल के पास ही देवी कावेरी का प्राचीन मन्दिर है। कई छोटी-छोटी नदियाँ कावेरी में मिलती हैं। कनकवती, हेमवती, लक्ष्मणतीर्थ प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। यह नदी कहीं पर बहुत चौड़ी व संकरी है। तीन स्थानों पर यह दो शाखाओं में बँटकर पुन:एक हो जाती है। इस प्रकार बीच में तीन पवित्र द्वीप बन गये हैं। आदिरंगमू या श्रीरंगपत्तन, मध्य में शिवसमुद्रम् तथा अन्तरंगम् या श्रीरंगमू में भगवान विष्णु के पवित्र मन्दिर बने हैं। चिदम्बरम् नामक पवित्र शैव तीर्थ तथा प्राचीन जम्बूकेश्वरम् मन्दिर श्रीरंगम के पास स्थित हैं। तंजावूर, कुंभकोणम तथा त्रिचिरापल्ली इसी पवित्र नदी के समीपवर्ती तीर्थ हैं। प्रसिद्ध कम्बारामायण के रचयिता कवि कम्बन का क्षेत्र कावेरी-तट ही हैं।
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=== महानदी ===
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उत्कल (उड़ीसा) राज्य की यह प्रमुख नदी मध्यप्रदेश के रायपुर जिले के दक्षिण पूर्व में सिहाँवा पर्वत श्रेणी से निकलकर उड़ीसा में कटक के पास सागर में मिलती है। नदी का कुल बहाव ८६० कि.मी. है। बहाव की आधी दूरी छत्तीसगढ़ के रायपुर, बस्तर, बिलासपुर तथा रायगढ़ जिलों में कोयना, पंचगंगा, घटप्रभा, मल्लप्रभा आदि लघु सरिताओं का जल समेटे तय करती है। शिवनाथ, जोंक, हस्दों इसकी सहायक नदियाँ हैं। महानदी का जल सिंचाई व विद्युत-निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है। विश्व का सबसे लम्बा बांध हीराकुण्ड महानदी पर ही बना है। उपर्युक्त प्रमुख नदियों के अतिरिक्त निम्न नदियों का भी स्मरण बड़ी श्रद्धाभक्ति के साथ किया जाता है। इनमें स्नान करने परशाप-ताप शान्त हो जाते हैं तथा मानव देवत्व की ओर अग्रसर होता हैं। ये नदियाँ हैं महेन्द्रतनया, वेत्रिवती, क्षिप्रा,भीमा, ताप्ती, चम्बल, गोमती, चर्मण्वती आदि।
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