Difference between revisions of "बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग - प्रस्तावना"

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'''यह कहानी युगों–युगों से कही और बताई जाती रही है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक ऐसी कहानी है जो आपके बच्चे को एक महत्वपूर्ण सीख देती है जो जीवनभर उसके साथ रहता है। आप इस कहानी का क्लासिक रूप भी बच्चों को सुना सकते हैं या कुछ अलग - अलग प्रकार  के साथ भी सुना सकते हैं जो कि आपके बच्चे को सीखने के लिए एक मूल्यवान पाठ सबित होगा ।'''
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यह कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी से कहीं ना कहीं बताई जाती रही है, लेकिन यह कहानियाँ ऐसी हैं, जो हर बच्चे को एक महत्वपूर्ण सीख देती है। ऐसी सीख जो जीवनभर उनके साथ रहती है।  
  
= '''1.  कछुए और खरगोश की कहानी''' =
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अध्यापक या अभिभावक, इस कहानी को पूर्व भाव से या वर्तमान भाव से भी बच्चोंं को सुना सकते हैं या कुछ अलग - अलग प्रकार के प्रयोगों के साथ भी सुना सकते हैं जो कि आपके और आपके बच्चे के आपसी संबंधो के लिए एक मूल्यवान पाठ सबित होगा।
  
एक वक्त की बात है, किसी घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, वो उसी को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती दे देता। दूसरे जानवरों के बीच वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।
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[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]
 
 
एक बार उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया।
 
 
 
जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
 
 
 
पेड़ के नीचे सुस्ताते-सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा, लेकिन कछुआ तो पहले ही जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया।
 
 
 
'''कहानी से सीख'''
 
 
 
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता जरूर है।
 
[[Category:शिक्षा पाठ्यक्रम एवं निर्देशिका]]
 

Latest revision as of 22:43, 12 December 2020

यह कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी से कहीं ना कहीं बताई जाती रही है, लेकिन यह कहानियाँ ऐसी हैं, जो हर बच्चे को एक महत्वपूर्ण सीख देती है। ऐसी सीख जो जीवनभर उनके साथ रहती है।

अध्यापक या अभिभावक, इस कहानी को पूर्व भाव से या वर्तमान भाव से भी बच्चोंं को सुना सकते हैं या कुछ अलग - अलग प्रकार के प्रयोगों के साथ भी सुना सकते हैं जो कि आपके और आपके बच्चे के आपसी संबंधो के लिए एक मूल्यवान पाठ सबित होगा।