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# विखंडित विश्लेषण पद्दति : साईंटिफिक टेम्परामेंट की विचारधारा को देकार्ते की यह सब से बडी देन है। उस ने पेंचिदा बातों को समझने के लिये सामान्य मनुष्य के लिये विखंडित विश्लेषण पद्दति के रूप में एक प्रणाली बताई। इस पद्दति के अनुसार पूर्ण वस्तू का ज्ञान उसके छोटे छोटे टुकडों के प्राप्त किये ज्ञान का जोड होगा।  
 
# विखंडित विश्लेषण पद्दति : साईंटिफिक टेम्परामेंट की विचारधारा को देकार्ते की यह सब से बडी देन है। उस ने पेंचिदा बातों को समझने के लिये सामान्य मनुष्य के लिये विखंडित विश्लेषण पद्दति के रूप में एक प्रणाली बताई। इस पद्दति के अनुसार पूर्ण वस्तू का ज्ञान उसके छोटे छोटे टुकडों के प्राप्त किये ज्ञान का जोड होगा।  
 
# जड़वाद : जड़ का अर्थ है अजीव। पूरी सृष्टि अजीव पदार्थों की बनीं है। साईंस के अनुसार सारी सृष्टि में चेतन कुछ भी नहीं है। स्वयंप्रेरणा, स्वत: कुछ करने की शक्ति सृष्टि में कहीं नहीं है। साईंस भावना, प्रेम, सहानुभूति आदि नहीं मानता। मिलर की परिकल्पना के अनुसार जिन्हे हम जीव समझते है वे वास्तव में रासायनिक प्रक्रियाओं के पुलिंदे होते है।
 
# जड़वाद : जड़ का अर्थ है अजीव। पूरी सृष्टि अजीव पदार्थों की बनीं है। साईंस के अनुसार सारी सृष्टि में चेतन कुछ भी नहीं है। स्वयंप्रेरणा, स्वत: कुछ करने की शक्ति सृष्टि में कहीं नहीं है। साईंस भावना, प्रेम, सहानुभूति आदि नहीं मानता। मिलर की परिकल्पना के अनुसार जिन्हे हम जीव समझते है वे वास्तव में रासायनिक प्रक्रियाओं के पुलिंदे होते है।
# यांत्रिक दृष्टिकोण : टुकडों के ज्ञान को जोडकर संपूर्ण को जानना तब ही संभव होगा जब उस पूर्ण की बनावट यांत्रिक होगी। यंत्र में एक एक पुर्जा कृत्रिम रूप से एक दूसरे के साथ जोडा जाता है। उसे अलग अलग कर उसके कार्य को समझना सरल होता है। ऐसे प्रत्येक पुर्जे का कार्य समझ कर पूरे यंत्र के कार्य को समझा जा सकता है। व्होल इस सैम ऑफ़ इट्स पार्ट्स (Whole is sum of its parts)
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# यांत्रिक दृष्टिकोण : टुकडों के ज्ञान को जोडकर संपूर्ण को जानना तब ही संभव होगा जब उस पूर्ण की बनावट यांत्रिक होगी। यंत्र में एक एक पुर्जा कृत्रिम रूप से एक दूसरे के साथ जोड़ा जाता है। उसे अलग अलग कर उसके कार्य को समझना सरल होता है। ऐसे प्रत्येक पुर्जे का कार्य समझ कर पूरे यंत्र के कार्य को समझा जा सकता है। व्होल इस सैम ऑफ़ इट्स पार्ट्स (Whole is sum of its parts)
 
== वर्तमान तन्त्रज्ञान दृष्टि की सीमाएं - आरंभिक चिंतन  ==
 
== वर्तमान तन्त्रज्ञान दृष्टि की सीमाएं - आरंभिक चिंतन  ==
 
हम भारतीय दृष्टि का अध्ययन करने के उपरान्त, वर्तमान तंत्रज्ञान दृष्टि एवं भारतीय दृष्टिकोण के मध्य में गहराई से विश्लेषण करेंगे । यहाँ हम केवल कुछ बिन्दुओं पर विचार रख रहे हैं।   
 
हम भारतीय दृष्टि का अध्ययन करने के उपरान्त, वर्तमान तंत्रज्ञान दृष्टि एवं भारतीय दृष्टिकोण के मध्य में गहराई से विश्लेषण करेंगे । यहाँ हम केवल कुछ बिन्दुओं पर विचार रख रहे हैं।   

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