Difference between revisions of "पुनरुत्थान कक्षा २"

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* समध्वनि शब्द, गीतों का पढ़ते हुए गायन।
 
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* अतिरिक्त वस्तुएँ न रखना, कचरा कचरा-पेटी में ही डालना।  
 
* अतिरिक्त वस्तुएँ न रखना, कचरा कचरा-पेटी में ही डालना।  
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विशेष प्रवृत्ति : प्रभात फेरी
  
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* श्लोक, सुभाषितों का श्रवण। (रलमाला ध्वनिमुद्रिका)
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* बालगीत, समध्वनि शब्दों का श्रवण। (शिशुगीत ध्वनि मुद्रिका)
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* शायगीत, प्रकृति गीत, देशभक्ति गीत सुनना। (भारत के गीत गाओ ध्वनिमुद्रिका)
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* प्रार्थना, भजन, स्तुति, सुनना। (रेडियो पर,टी.वी. पर, घर में बड़ों के कण्ठ स
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* गाए गए, विद्यालय में आचार्य के कण्ठ से गाए गए)
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* तबला वादन की, घोष वादन की ध्वनिमुद्रिका सुनना।
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==== 2. गायन: ====
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* मत्र, सूत्र, श्लोक, स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण सहित, छंदबद्ध, सामूहिक गायन।।
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* समध्वनि शब्द, पहेलियों, दोहों का मधुर स्वर में तालबद्ध गायन।
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* गीत गायन (विषय आधारित, प्रकृति आधारित गीत, देशभक्ति गीत, धुन)।।
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* स्वर साधना, ॐ उच्चारण, 'सा', 'प' स्वर की साधना।
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* सरल अलंकारों का हार्मोनियम के साथ गायन। (1 से 5 अलंकार )
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* देश भक्ति गीत।
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==== 3. वादन : ====
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* भिन्न-भिन्न तालों में ताली बजाना, मँजीरा बजाना, खंजरी बजाना।
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==== 4. लेखन : ====
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* योग्य मोड़ों के साथ अक्षर लेखन, एक समान माप संभालते हुए मूलाक्षरों का सुंदर अक्षरों में लेखन।
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* अनुलेखन एवं श्रुतलेखन।
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* दो पंक्तियों वाली लेखन-पुस्तिका में लिखना सिखाना।
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* पेड़, कारीगर, सब्जी, फलों के नाम, पक्षी का नाम, गाँव के विषय में लिखना।
  
 
==References==
 
==References==

Revision as of 20:07, 17 January 2020

विषय

  1. उद्योग
  2. योग
  3. भाषा
  4. संगीत
  5. गणित
  6. विज्ञान
  7. संस्कृति
  8. शारीरिक शिक्षण

विषय-उद्योग

1. रेखाएँ बनाना :

  • रेखाओं की सहायता से विविध आकार (डिझाइन) बनाना।
  • आडी, तिरछी रेखाओं से स्लेट को सुशोभित करना, सीमा रेखा बनाना।

2. चित्र :

  • रेखाचित्र बनाना (चित्रपोथी पृष्ठ क्रमांक 3 से 12 तक)
  • चित्र बनाकर रंग भरना।
  • बिंदु जोड़कर रंगोली बनाना।
  • ज्यामितिय आकारों पर आधारित चित्र बनाकर रंग भरना।

3. काटना :

  • हाथ से, कैची से, मापिका से, धागे से कागज की पटियाँ काटकर तोरण बनाना।
  • कपड़ा, थान, पुट्ठा काटना।
  • सब्जियों और फल काटना। (आलू, गाजर, लौकी, केला. सेब ... आदि । काटना)

4. माटी काम :

  • मिट्टी को कूटकर, छानकर, भिगोकर, गूंथकर खिलौन बनाना।
  • ईटों का आकार देना. ईटे पकाना, ईटों को रंग करना, घर बनाना।

5. प्रवृत्ति :

  • पस्तक लेखन पुस्तिका को पुट्ठा चढ़ाना या आवरण चढ़ाना।
  • चित्र पर अनाज, रेत, साबुत दालों आदि को गोंद से अथवा फेविकॉल से चिपकाना।
  • कागज की थैलियाँ, लिफाफे बनाना।
  • छोटे-बड़े मोतियों की माला बनाना।
  • सुई से कपड़े पर, जूट के थैलों पर अथवा जालीदार कपड़े पर टाँका लगाना।
  • रुई से दीपक की बाती बनाना।
  • पूरी, रोटी, पराठे बेलना।
  • वाल की सेंग, फली, अनार, उबला हुआ आलू छीलना।
  • भल बनाना।

६. कृषि :

  • क्यारी तैयारी करना।
  • बीज अथवा पौधे रोपना, पौधे की वृद्धि का अवलोकन करना।

विषय - योग

1. श्वसन :

  • दीर्घ श्वसन, पूरा श्वास निकालना, पूरा श्वास भरना, कौन-सी नसकोर श्वास ले।
  • रही है, यह देखना।
  • स्थिर बैठकर श्वासोच्छ श्वास करना।

2. शुद्धिक्रिया:

  • हाथ-पैर धोना, पोंछना,नाक साफ करना।

3. आचार :

  • भोग लगाना, नमस्कार अथवा प्रणाम करना।
  • फूल चढ़ाना, यज्ञ में आहुति देना, चंदन घिसना।

4. जप करना :

  • ॐ कार का सही पद्धति से उच्चारण कर माला करना और 'ॐ नमो नारायणाय' का जप करना।

5. कीर्तन करना :

  • ताली बजाकर नृत्य करते हुए।

6. स्तोत्र :

  • संकटनाशन गणेश स्तोत्र, प्रज्ञावर्धनम् स्तोत्र, श्री रामचंद्र स्तुति।

7. आसन :

  • वज्रासन, ताड़ासन, पद्मासन, ध्रुवासन, सुखासन, शवासन, प्रार्थनासन।

8. ध्यान:

  • स्थिर, शांत, आँखें बंद करके बैठना।

9. मुद्रा:

  • ज्ञानमुद्रा, पुस्तक मुद्रा, प्राणमुद्रा, नमस्कार मुद्रा।

10. सेवाकार्य :

  • वृक्षसेवा : क्यारी और पौधों की स्वच्छता, देखभाल, वृक्षों को पानी देना।
  • छात्रसेवा : चप्पल-जूते (पादत्राण)व्यवस्थित रखना, आसन, माले। व्यवस्थित करना।
  • गुरुसेवा : गुरु को आसन देना, प्रणाम करना।
  • अतिथिसेवा : उन्हें पानी देना. उनके साथ बातें करना, घूमने जाना।
  • वृद्धसेवा : उन्हें पानी देना, उनके साथ बातें करना, घूमने जाना।
  • विद्यालय सेवा : फर्नीचर, खिड़की-दरवाजे बातें करना, कचरा उठाना।

11. विशेष प्रवृत्ति :

  • संयम से व्यवहार करना, सत्य बोलना, सहनशीलता, संकल्प पूरा करना।

12. सदाचार :

  • पंक्तिबद्ध रहना, बिना कारण नहीं बोलना।
  • सीधे (दाएँ) हाथ से भोजन करना, जूठन नहीं छोड़ना।
  • कार्य-पुस्तिका में से पृष्ठ नहीं फाड़ना, पुस्तकों को संभालकर रखना, एक-दूसरे की चुगली न करना।

विषय - भाषा

1 . श्रवण: (सुंनना और समझना)

  • शब्द, विविध प्रकार के वाक्य सुनकर उन्हें समझना।
  • समध्वनि शब्द, स्तोत्र, गीत सुनना।
  • कहानी, घटना, वर्णन,सूचना सुनकर उन्हें समझना।

2. कथन : (बोलना और गाना)

  • समध्वनि शब्द, गीत, मंत्र, श्लोक, दोहों का शुद्ध उच्चारण सहित गायन।
  • मूलाक्षर (स्वर-व्यंजन) शुद्ध उच्चारण सहित बोलना।
  • मूलाक्षरों से शब्द, शब्दों से वाक्य बनाकर बोलना।
  • अनुरणनात्मक शब्द (उदा.
  • अनुप्रासात्मक शब्द (उदा.
  • स्वयं का परिचय, विद्यालय का परिचय, कहानी सुनाना, चित्र का वर्णन, घटना बताना।

3. वादन : (जोर से ऊँची आवाज में) पढ़ना, मन में पढ़ना और समझना।।

  • सरल शब्द, अर्घाक्षर वाले शब्द, वाक्य, अनुच्छेद का वाचन।
  • कहानी पुस्तिका, चित्रकथा का वाचन, अनुवाचन, धीरे बोलकर पढ़ना।
  • समध्वनि पढ़ना।
  • समध्वनि शब्द, गीतों का पढ़ते हुए गायन।
  • अतिरिक्त वस्तुएँ न रखना, कचरा कचरा-पेटी में ही डालना।

विशेष प्रवृत्ति : प्रभात फेरी

विषय-संगीत

1. श्रवण :

  • श्लोक, सुभाषितों का श्रवण। (रलमाला ध्वनिमुद्रिका)
  • बालगीत, समध्वनि शब्दों का श्रवण। (शिशुगीत ध्वनि मुद्रिका)
  • शायगीत, प्रकृति गीत, देशभक्ति गीत सुनना। (भारत के गीत गाओ ध्वनिमुद्रिका)
  • प्रार्थना, भजन, स्तुति, सुनना। (रेडियो पर,टी.वी. पर, घर में बड़ों के कण्ठ स
  • गाए गए, विद्यालय में आचार्य के कण्ठ से गाए गए)
  • तबला वादन की, घोष वादन की ध्वनिमुद्रिका सुनना।

2. गायन:

  • मत्र, सूत्र, श्लोक, स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण सहित, छंदबद्ध, सामूहिक गायन।।
  • समध्वनि शब्द, पहेलियों, दोहों का मधुर स्वर में तालबद्ध गायन।
  • गीत गायन (विषय आधारित, प्रकृति आधारित गीत, देशभक्ति गीत, धुन)।।
  • स्वर साधना, ॐ उच्चारण, 'सा', 'प' स्वर की साधना।
  • सरल अलंकारों का हार्मोनियम के साथ गायन। (1 से 5 अलंकार )
  • देश भक्ति गीत।

3. वादन :

  • भिन्न-भिन्न तालों में ताली बजाना, मँजीरा बजाना, खंजरी बजाना।

4. लेखन :

  • योग्य मोड़ों के साथ अक्षर लेखन, एक समान माप संभालते हुए मूलाक्षरों का सुंदर अक्षरों में लेखन।
  • अनुलेखन एवं श्रुतलेखन।
  • दो पंक्तियों वाली लेखन-पुस्तिका में लिखना सिखाना।
  • पेड़, कारीगर, सब्जी, फलों के नाम, पक्षी का नाम, गाँव के विषय में लिखना।

References

भारतीय शिक्षा : पुनरुत्थान कक्षानुसार पाठ्यक्रम - कक्षा २, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे