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मातापिता को अपनी सन्तानों को अच्छे व्यक्ति बनाने की दृष्टि से उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये यह बताते हुए यह श्लोक कहा गया है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> -<blockquote>लालयेत्‌ पश्चवर्षाणि दृशवर्षाणि ताडयेत्‌ ।</blockquote><blockquote>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌ ।।</blockquote>अर्थात्‌
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मातापिता को अपनी सन्तानों को अच्छे व्यक्ति बनाने की दृष्टि से उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये यह बताते हुए यह श्लोक कहा गया है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> -<blockquote>लालयेत्‌ पश्चवर्षाणि दृशवर्षाणि ताडयेत्‌ ।</blockquote><blockquote>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌ ।।{{Citation needed}} </blockquote>अर्थात्‌
    
पाँच वर्ष (सन्तानों का) लालन चलना चाहिये, दस
 
पाँच वर्ष (सन्तानों का) लालन चलना चाहिये, दस

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