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| धारापुरी (एलिफेंट) में मुम्बई के पास द्वीप पर स्थिति अनेक गुफा मन्दिरएलोरा शैली में बनाये गए हैं।शिवरात्रि के पर्व पर धारापुरी में मेला लगता है। | | धारापुरी (एलिफेंट) में मुम्बई के पास द्वीप पर स्थिति अनेक गुफा मन्दिरएलोरा शैली में बनाये गए हैं।शिवरात्रि के पर्व पर धारापुरी में मेला लगता है। |
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| + | === देवगिरी ( दौलताबाद ) === |
| + | यादववंश की प्राचीन राजधानी देवगिरेि ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ एक प्राचीन किला है। किले में एक बच्चे स्थान पर जनार्दन स्वामी की समाधि है। मुस्लिम आक्रमणों के समय इस नगर के वैभव को बड़ा धक्का लगा। मुस्लिम आक्रमणकारी तुगलक ने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य दूढ़ करने के उद्देश्य से देवगिरि को अपनी राजधानी बनाया, परन्तु वह सफल न हो सका और वापिस लौट आया, तभी से देवगिरि का नाम दौलताबाद पडा। |
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| + | === पैठण === |
| + | यह प्राचीन तीर्थ क्षेत्र हैं तथा यहाँ शालिवाहन राजाओं की राजधानी थी।पुराने खण्डहरआज भी यहाँ विद्यमान हैं। प्राचीन विद्याकेन्द्र के रूप में भी पैठण को मान्यता प्राप्त थी। सन्त एकनाथ यहीं रहकर भगवत्भक्ति में लीन रहते थे। उनका निवास आदिआज भी सुरक्षित है। एकनाथ जी की समाधि गोदावरी तट पर बनी है। प्रसिद्ध सन्त श्री कृष्णदयार्णव का निवास व समाधि भी यहाँ विद्यमान हैं। सन्त ज्ञानेश्वर ने पैठण में ही भैंसे के मुख से वेद-मंत्र उच्चारित कराये थे। ढोलकेश्वर तथा सिद्धेश्वर यहाँ के प्राचीन मन्दिर हैं। औरंगजेब ने छोलकश्वर मन्दिर को ध्वस्त करने का विफल प्रयास किया था। मूर्ति में जंजीर बांधने के निशान आज भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। इसका पुराना नाम प्रतिष्ठान है। |
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| + | === पंढरपुर === |
| + | पवित्र भीमा नदी के तटपर स्थित यह पवित्र स्थान महाराष्ट्र का प्रमुख तीर्थ है। सन्त नामदेव, तुकाराम, नरहरि, भक्त पुण्डरीक आदि ने यहाँ निवास किया और धर्म-प्रसार किया। श्री विट्ठल मन्दिर पंढरपुर का विशाल व प्रमुखतम मन्दिर है। भगवान् पंढरीनाथ यहाँ आराध्यदेव हैं। सन्त नामदेवजी की समाधि श्री विट्ठल मन्दिर के परिसर में ही है। |
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| + | === नांदेढ़ === |
| + | यहाँ गुरु गोविन्द सिंहजी की समाधि और विशाल गुरुद्वारा है। बन्दा वैरागी यहीं जंगलों में तपस्यारत मिले। गुरु गोविन्द सिंह ने उन्हे देश की परिस्थिति से अवगत कराकर उनके हृदय में कर्तव्यबोध जाग्रत कराया तब वे देश परआये संकट से जूझने और आक्रमणकारियों को खदेड़ने के लिए संघर्षरत हुए। यहीं परएक मुसलमान युवक ने धोखे से गुरुगोविन्द सिंह पर कटारी से प्रहार किया जो उनके लिए प्राणघातक सिद्ध हुआ। यहाँ पहले चारोंओर जंगल ही जंगल था,परन्तुआज पवित्र तीर्थ स्थान बन गया है। |
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| + | === बादामी === |
| + | यह कर्नाटक का ऐतिहासिक नगर है।चालुक्यवंशी सम्राट पुलकेशन ने इसे अपनी राजधानी बनाया। दो पहाड़ियों के बीच बसी यह नगरी बाह्य आक्रमणों से सरलता से निपटने में समर्थ है।इसके पूर्वोत्तर में एक किला है जो सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। किले में ५ गुफा-मन्दिर हैं। इसका प्राचीन नाम वातापि हैं। |
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| + | === विदर === |
| + | यह भी पुरानी बस्ती है। भारत दर्शन के दौरान गुरु नानकदेव यहाँ पधारे थे। उसी समय यहाँ जलसंकट पैदा हो गया। द्रवित होकर गुरुजी ने एक झरने का प्रादुर्भाव किया और त्रस्त लोगों को पानी मिला। वह झरना आज भी है। इसी स्थान पर गुरुद्वारा बना है जो झरना साहब गुरुद्वारा नाम से प्रसिद्ध है। झरने के पास पापनाशन शिवमन्दिर है। |
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| + | === कोल्हापुर === |
| + | यह पुराणों में वर्णित करवीर क्षेत्र है। देवी के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक कोल्हापुर में है। यहाँ सती के नेत्र गिरेथे। महिषमर्दिनी ही यह पीठ है। यह एक जाग्रत पीठ है। महालक्ष्मी यहाँ नित्य निवास करती हैं। महालक्ष्मी मन्दिर यहाँ प्रमुख मन्दिर है। जैन मतावलम्बी इसे अपनी इष्ट देवी मानते हैं। नगर में शिवाजी व शांभाजी से सम्बन्धित स्थान भी विद्यमान हैं। |
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| ==References== | | ==References== |
| <references /> | | <references /> |
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