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=== नवद्वीप ===
 
=== नवद्वीप ===
नवद्वीप चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थान है। यह पतितपावनी गंगा के  
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नवद्वीप चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थान है। यह पतितपावनी गंगा के तट पर स्थित है।चैतन्य महाप्रभु का जन्म-स्थान होने के कारण नवद्वीप (नदियां) गौड़ीय वैष्णवों का महातीर्थ है। यहाँअनेक मन्दिर व धर्मशालाएँ हैं। श्री गौराांग महाप्रभु मन्दिर, श्री अद्वैताचार्य मन्दिर, श्री हरगोविन्द मन्दिर, शचीमाता, विष्णुप्रिया आदि दर्शनीय मन्दिर हैं। 
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तटपर स्थित है।चैतन्य महाप्रभु का जन्म-स्थान होने के कारण नवद्वीप
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=== गंगासागर ===
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कोलकाता से लगभग १४५ कि.मी. दक्षिण में एक द्वीप है जहाँ पतितपावनी गांगा सागर में विलीन होती है, अत: यह स्थान गांगासागर संगम कहलाता है और द्वीप को सागर द्वीप कहते हैं। मकर संक्रांति पर यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण भारत से तीर्थ यात्री आते हैं। यहाँ पर प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था जो कालान्तर में समुद्र में समा गया। अबभी कपिल मुनि की मूर्ति मेले के समय लाकर समुद्रतट पर स्थापित कर दी जाती है और मेले के बाद कोलकाता ले आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भी कुछ तीर्थयात्री यहाँ पहुँचते हैं। 
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पूर्वोत्तरएवंपूर्वीभारत 73
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=== ढाका ===
 
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वर्तमान बंगला देश की राजधानी व प्राचीन औद्योगिक नगर| ढाकेश्वरी देवी (भवानी) का प्राचीन मन्दिर यहाँ विद्यमान था। देश के विभाजन के बाद मन्दिर की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। ढाका वस्त्र व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की मलमल विश्वप्रसिद्ध थी। गुप्त वृंदावन व गोपेश्वर मन्दिर भी ढाका में स्थापित हैं।
(नदियां) गौड़ीय वैष्णवों का महातीर्थ है। यहाँअनेक मन्दिर व धर्मशालाएँ
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हैं। श्री गौराांग महाप्रभु मन्दिर, श्री अद्वैताचार्य मन्दिर, श्री हरगोविन्द
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मन्दिर, शचीमाता, विष्णुप्रिया आदि दर्शनीय मन्दिर हैं।
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कोलकाता से लगभग 145 कि.मी. दक्षिण में एक द्वीप है जहाँ
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पतितपावनी गांगा सागर में विलीन होती है, अत: यह स्थान गांगासागर
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संगम कहलाता है और द्वीप को सागर द्वीप कहते हैं। मकर संक्रांति पर
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यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण भारत से तीर्थ यात्री आते हैं।
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यहाँ पर प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था जो कालान्तर में समुद्र
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में समा गया। अबभी कपिल मुनि की मूर्ति मेले के समय लाकर समुद्रतट
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पर स्थापित कर दी जाती है और मेले के बाद कोलकाता ले आते हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भी कुछ तीर्थयात्री यहाँ पहुँचते हैं।
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वर्तमान बंगला देश की राजधानी व प्राचीन औद्योगिक नगर| ढाकेश्वरी  
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देवी (भवानी) का प्राचीन मन्दिर यहाँ विद्यमान था। देश के विभाजन के  
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बाद मन्दिर की स्थिति की सही जानकारी नहीं है। ढाका वस्त्र व्यवसाय  
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के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की मलमल विश्वप्रसिद्ध थी। गुप्त वृंदावन व  
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गोपेश्वर मन्दिर भी ढाका में स्थापित हैं।  
      
यशोहट (वैश्वीट)  
 
यशोहट (वैश्वीट)  
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